DU Annual Fee: डीयू ने एक साल में दूसरी बार फीस बढ़ाई है. सबसे अहम बात यह है कि कई शिक्षकों का आरोप है कि यह फैसला स्टूडेंट्स से उच्चतर शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी ऋण पर ब्याज चुकाने के लिए पैसा निकालने का प्रयास है.
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DU Annual Fee Hike: आज के समय में बढ़ती महंगाई ने वैसे ही आम इंसान की कमर तोड़ के रख दी है. वहीं, महंगाई का असर सबसे ज्यादा शिक्षा के क्षेत्र पर पड़ा है. प्राइवेट स्कूल-कॉलेजों की फीस ने लोगों का सोचने पर मजबूर किया है. ऐसे में बेहतर सरकारी शिक्षा संस्थान में पढ़ने की ख्वाहिश हर युवा की होती है.
हालांकि, देश के बेहतरीन विश्वविद्यालयों में प्रवेश पाना आसान नहीं है, लेकिन वहां से उच्च शिक्षा हासिल करना मुश्किल हो रहा है. हम बात रहे हैं देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान दिल्ली यूनिवर्सिटी की, जहां एक साल में दूसरी बार सालाना फीस में इजाफा कर दिया गया है.
एक साल में दूसरी बार बढ़ाई फीस
दिल्ली यूनिवर्सिटी ने एक साल में दूसरी बार सालाना फीस बढ़ाकर दोगुना कर दी है. जानकारी के मुताबिक डीयू ने विभिन्न श्रेणियों के तहत अपने वार्षिक शुल्क में 46 प्रतिशत का इजाफा करके 2,350 रुपये कर दिया है.
930 करोड़ रुपये के ऋण कोष को मिली थी मंजूरी
जानकारी के मुताबिक इस संबंध में विश्वविद्यालय के कुलसचिव (रजिस्ट्रार) विकास गुप्ता को फोन कॉल्स और संदेश भेजे गए थे, लेकिन उनकी ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. एचईएफए एजेंसी की ओर से 930 करोड़ रुपये के ऋण कोष को मंजूरी दी गई थी.
सुविधा और सेवा शुल्क बढ़ाया
विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों के कल्याण कोष के शुल्क को भी दोगुना करके 200 रुपये कर दिया है. जबकि, डीयू ने सात जून को जारी ऑफिशियल सर्कूलर जारी करके सूचित किया था कि एकेडमिक ईयर 2023-24 से यूनिवर्सिटी फैसिलिटी और सर्विस के लिए शुल्क दोगुना कर 1,000 रुपये कर दिया गया है.
न्यू एकेडमिक ईयर के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग सहायता विश्वविद्यालय निधि के लिए वार्षिक शुल्क को संशोधित कर 150 रुपये किया गया है. पिछले साल जुलाई में अधिसूचित वार्षिक शुल्कों में पिछली बढ़ोतरी के बाद एक साल की अवधि में यह दूसरी बार बढ़ोतरी की जा रही है.
डीयू के एक प्रोफेसर का कहना है कि, "विभिन्न विकास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए, यूनिवर्सिटी अब एचईएफए से लिए गए लोन पर ब्याज चुकाने के लिए फीस बढ़ा रहा है, जो पूरी तरह सेंट्रल यूनिवर्सिटी की वहनीय शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ है, जिससे बहुत सारे छात्रों के लिए उच्चतर शिक्षा लेना मुश्किल हो गया है."