Chai Wale Baba UP: हर साल लाखों उम्मीदवार अपने सपनों को पूरा करने के लिए IAS परीक्षा में शामिल होते हैं. हालांकि, कई उम्मीदवार आर्थिक तंगी के कारण मार्गदर्शन की कमी से जूझते हैं.
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IAS UPSC Coaching: लाखों उम्मीदवार अपने सपनों को पूरा करने के लिए सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होते हैं. उनमें से केवल कुछ ही उम्मीदवार सफलतापूर्वक परीक्षा पास कर पाते हैं और केंद्र सरकार के विभागों में प्रतिष्ठित पद हासिल कर पाते हैं. परीक्षा पास करने के लिए उम्मीदवारों को मार्गदर्शन की जरूरत होती है, जो अक्सर उन्हें टॉप संस्थानों में शामिल होने की ओर ले जाता है. आर्थिक तंगी के कारण कई उम्मीदवार इस मौके से चूक जाते हैं.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के एक चाय वाले बाबा सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवारों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उभरे हैं. पिछले 40 साल से, वह सिविल सेवा की तैयारी करने वालों को फ्री कोचिंग क्लास दे रहे हैं. चाय वाले बाबा दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से हैं और उन्हें 'चाय वाला बाबा' के रूप में जाना जाता है. पढ़ाई के प्रति उनकी खास अप्रोच ने ध्यान खींचा है, क्योंकि उन्होंने मौन रहने और भोजन से परहेज करने की कसम खाई है, रोजाना केवल दस कप चाय पर जीवित रहते हैं.
वॉट्सऐप से दे रहे फ्री कोचिंग
'चाय वाला बाबा', जो इस समय प्रयागराज में महाकुंभ 2025 में हैं, वॉट्सऐप के जरिए स्टूडेंट्स को स्टडी मटीरियल मुहैया कराते हैं और उनके सवालों के जवाब देते हैं. सिविल सेवा की तैयारी कर रहे राजेश सिंह ने बताया कि वह पिछले चार-पांच सालों से महाराज जी से जुड़े हुए हैं और उन्होंने कहा कि जब भी उन्हें जरूरत होती है, वे मार्गदर्शन करते हैं. उन्होंने कहा, "भाषा के लिए एक माध्यम की जरूरत होती है, जो लिखित या मौखिक हो सकता है और कोई भी इसे गैर-मौखिक नहीं कहता. गुरुजी चुप रहते हैं, लेकिन हम उनके हाव-भाव और वॉट्सऐप मैसेज के जरिए समझ जाते हैं."
सवालों का जवाब देते हैं
उन्होंने आगे कहा कि छात्र अपने सवाल या चिंताएं उन्हें लिखकर देते हैं और वह लिखित रूप में उनका जवाब भी देते हैं. हालांकि, सिंह ने साफ किया कि शिष्यों का मानना नहीं है कि "लिखित माध्यम सबसे अच्छा है, लेकिन यह अपना उद्देश्य पूरा करता है."
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सिंह ने बताया, "बाबा सिविल सेवा कैंडिडेट्स के लिए फ्री कोचिंग प्रदान करते हैं और वॉट्सऐप के माध्यम से स्टूडेंट्स को नोट्स देते हैं. उनके सवालों का जवाब भी देते हैं. पूछे जाने पर, बाबा लिखते हैं कि उनका लक्ष्य छात्रों को शिक्षित करना और उन्हें अधिकारी बनने में मदद करना है. अपने मौन के विषय पर, वह बताते हैं कि इससे ऊर्जा संचित करने में मदद मिलती है, जिसका उपयोग वह विश्व कल्याण के लिए करते हैं."