Jagjit Singh: करियर की शुरुआत रेडियो से करने वाले जगजीत की नियति को कुछ और ही मंजूर था. वह कुछ बेहतर करने की चाह लिए मुंबई पहुंच गए, जहां उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
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Jagjit Singh Education: जगजीत सिंह की आवाज की जादूगरी से बच पाना किसी भी पीढ़ी के लिए जरा मुश्किल ही है. अपनी आवाज से एक पीढ़ी, बल्कि एक दौर को दीवाना बनाने वाले ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह की आज डेथ एनिवर्सरी है. उन्होंने साल 2011 में आज ही के दिन दुनिया से रुखसत ली थी. उनकी आवाज में एक अलग ही दर्द था, जो शायद जिंदगी से ही उन्हें तोहफे में मिला था. आज हम आपको बताएंगे कि वह कहां के रहने वाले थे और उन्होंने कहां से शिक्षा हासिल की थी.
राजस्थान में हुआ था जन्म
जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में हुआ था. उनका असली नाम जगमोहन सिंह धीमान था, उनका परिवार मूल रूप से पंजाब के रोपड़ जिले से था. बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर जगजीत रख लिया. श्री गंगानगर के खालसा हाई स्कूल और सरकारी कॉलेज से एजुकेशन किया.
इसके बाद उन्होंने डीएवी कॉलेज , जालंधर से कला की डिग्री प्राप्त की. शुरुआत की पढ़ाई के बाद उन्होंने 1961 में ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) के जालंधर स्टेशन पर एक सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में अपने पेशेवर करियर की शुरुआत कर दी. इसके बाद कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी हरियाणा से पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की थी.
साल 1976 में आए एल्बम 'द अनफॉरगेटेबल्स' से उनके करियर को रफ्तार मिली. जिंदगी ने एक बार फिर करवट ली और उनके जीवन में प्यार ने दस्तक दी. जगजीत सिंह को गायन और जिंदगी के सफर में चित्रा सिंह का साथ मिला.
सरकार ने पद्म भूषण से किया अलंकृत
जगजीत सिंह 1987 में 'बियोंड टाइम अलबम' के साथ भारतीय संगीत के इतिहास में डिजिटल मल्टी ट्रैक रिकॉर्डिंग करने वाले पहले कंपोजर बने. जगजीत सिंह ने उस्ताद जमाल खान से खयाल, ठुमरी, ध्रुपद जैसी गायन विधाओं में महारत हासिल की. हिंदी, पंजाबी, उर्दू, बंगाली, गुजराती, सिंधी और नेपाली भाषाओं में अपनी आवाज का जादू बिखरने वाले जगजीत सिंह को 2003 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से नवाजा गया.