आखिरी बॉल पर सिक्सर लगा पाएंगे जेपी नड्डा? RSS वाली बात छोड़ दें तो भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल रहा 'कूल'
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आखिरी बॉल पर सिक्सर लगा पाएंगे जेपी नड्डा? RSS वाली बात छोड़ दें तो भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल रहा 'कूल'

JP Nadda BJP President Delhi Election: भाजपा को फरवरी 2025 में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिलने वाला है. मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले उन्हें मंत्री पद मिल चुका है. नड्डा जब राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे तब दिल्ली के चुनाव में भाजपा को हार मिली थी और जब नड्डा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है तब भी दिल्ली में चुनाव हैं.

आखिरी बॉल पर सिक्सर लगा पाएंगे जेपी नड्डा? RSS वाली बात छोड़ दें तो भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल रहा 'कूल'

सब कुछ ठीक रहा तो अगले कुछ दिनों में भाजपा को नया अध्यक्ष मिलने वाला है. वैसे जेपी नड्डा का कार्यकाल पिछले साल फरवरी में ही पूरा हो गया था लेकिन लोकसभा चुनाव और कई राज्यों में विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक्सटेंशन दिया गया. यह तो साफ है कि नया अध्यक्ष पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सहमति से ही बनेगा. नड्डा की अध्यक्ष पद से विदाई ऐसे समय हो रही है जब दिल्ली का विधानसभा चुनाव हो रहा है. आपको याद होगा वह जब भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए थे तब भी फरवरी 2020 में उनकी अध्यक्षता में पहली चुनावी परीक्षा पड़ी थी लेकिन वह पार्टी को सफलता नहीं दिला सके. अब राजनीतिक पंडित यही सवाल उठा रहे हैं कि क्या कार्यकाल के 'आखिरी बॉल' पर नड्डा सिक्सर लगा पाएंगे?

इसका जवाब 8 फरवरी को चुनाव नतीजे आने पर पता चलेगा. हां, इतना जरूर है कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल मिला जुला या कहिए 'कूल' ही रहा. पार्टी का नंबर गिरा लेकिन लगातार तीसरी बार सत्ता पाने में भाजपा सफल रही.

बस एक विवाद हुआ

2019 की 303 सीटों की जगह इस बार भाजपा की सीटें घटकर 240 रह गईं. हालांकि नड्डा का कार्यकाल देखें तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर दिए एक बयान के अलावा कोई बड़ा विवाद पैदा नहीं हुआ. एक इंटरव्यू में उन्होंने कह दिया था कि जब भाजपा नई और कमजोर थी, तब उसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद की जरूरत थी, अब भाजपा बड़ी और समर्थ हो गई है.

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भाजपा में मोदी-शाह की जोड़ी ही सर्वोच्च है, हर फैसले में उनकी मंजूरी जरूरी होती है. ऐसे में नड्डा ने बेहतर सामंजस्य और भरोसा कायम रखा. दिल्ली में सीटें कितनी मिलेंगी, पता नहीं लेकिन यह जरूर है कि पिछले दो चुनावों की तुलना में भाजपा की सीटें बढ़ सकती हैं. ऐसे में नड्डा की विदाई शानदार हो सकती है.

वैसे, नड्डा पहले ही मंत्री बनाए जा चुके हैं. BJP के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले 50% राज्य इकाइयों का संगठनात्मक चुनाव होना जरूरी है. देरी की एक वजह यह भी थी.

जब बने थे भाजपा अध्यक्ष

जून 2019 में नड्डा को भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और जनवरी 2020 में भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. शुरुआत उनकी हार से हुई थी, ऐसे में मन में उनके जरूर होगा कि कार्यकाल की समाप्ति होते समय दिल्ली में कमल जरूर खिलाया जाए.

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को दूसरी बार बहुमत मिला तो तत्कालीन प्रेसिडेंट अमित शाह गृह मंत्री बने थे. नड्डा कार्यकारी अध्यक्ष बने और हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में चुनाव हुए थे. हरियाणा में भाजपा को जेजेपी से गठबंधन करना पड़ा. हालांकि 2024 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने जबर्दस्त विजय हासिल की. महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना में तकरार हुई. सत्ता का खेल लंबा चला. शिवसेना आगे चलकर टूट गई और 2024 में एक बार फिर भाजपा का गठबंधन सरकार बनाने में सफल रहा.

सफलता के साथ चली असफलता

नड्डा के कार्यकाल में झारखंड में भाजपा की सरकार चली गई फिर 2024 में भी सफलता नहीं मिली. दक्षिण भारत का गढ़ कर्नाटक भी 'हाथ' के पास फिसल गया. नड्डा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस ने सरकार बना ली.

उधर, महाराष्ट्र की तरह बिहार में तेजी से घटनाक्रम बदले. 2020 में भाजपा सबसे बड़ा दल बनी लेकिन भितरघात से नाराज नीतीश कुमार ने आरजेडी से हाथ मिला लिया. वह सीएम भी बन गए. हालांकि नड्डा के कार्यकाल में ही वह वापस एनडीए में आ गए.

सबसे बड़े स्टेट यूपी में भाजपा लगातार दूसरी बार जीती. राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में भी कमल खिला. 2018 के चुनावों में इन तीनों राज्यों से BJP बाहर हो गई थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया के दल बदलने से भाजपा एमपी में कोरोना काल में ही सरकार बनाने में सफल रही. आज राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं.

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