Indian Railway: आजादी के बाद से इंडियन रेलवे ने कई उपलब्धियां हासिल की है. इसी कड़ी में रेलवे ने एक ऐसा पुल बनाया है जो सिर्फ केबल के सहारे टंगा है. आइए जानते हैं कैसा है ये ब्रिज और कहां पर बनाया गया है.
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Indian Railway Cable Bridge: हमारे देश में कई नदियां हैं, इनमें बड़ी-बड़ी नदियों के बारे में तो हर कोई जानता हैं, लेकिन किसी एक क्षेत्र विशेष में बहने वाली नदियों के बारे में केवल वहां को लोग ही जानते हैं, लेकिन रेलवे जब ट्रेन ट्रैक बनवाता है तो उसे हर पहलू को ध्यान में रखकर यह काम करना पड़ता है. इनमें से ज्यादातर नदियां तो ऐसी होती हैं, जो केवल बरसात के मौसम में उफान पर रहती है, लेकिन इन पर मजबूत पुल बनाना जरूरी हो जाता है.
जब हम ट्रेन से सफर करते हैं तो रास्ते में कई नदियां आती हैं, जिन पर रेलवे ने ब्रिज बनाए हैं. अब भारतीय रेलवे के पुलों की लिस्ट में पहला केबल वाला ब्रिज भी शामिल हो चुका है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
इंडियन रेलवे ने भी तेजी से आधुनिकता की ओर कदम बढ़ाया है. अपने यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देना हो या रेलवे स्टेशनों को मोडिफाई करना हो अब सब कुछ बदल रहा है. अब भारतीय रेलवे की उपलब्धियों में केबल ब्रिज का नाम भी जुड़ गया है, ये भारत का पहला रेलवे केबल ब्रिज है.
कहां बना है देश का पहला केबल रेलवे ब्रिज?
देश का पहला केबल ब्रिज जम्मू-कश्मीर में बनाया गया है. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि इस पुल को तार के सहारे तैयार किया गया है. इसमें 96 केबल्स को सपोर्ट देकर फिक्स किया गया है. इस ब्रिज का निर्माण चेनाब की सहायक नदी अंजी पर किया गया है. नदी के तल से लगभग 331 मीटर ऊपर लटके इस पुल का नजारा बेहद खूबसूरत है.
रिकॉर्ड समय में बना पुल
भारतीय रेलवे के लिए इस पुल के बहुत मायने हैं, क्योंकि यह कश्मीर को देश से जोड़ने का काम करता है. इस ब्रिज को अंजी खड्ड नाम दिया गया है, जो उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक प्रोजेक्ट का हिस्सा है. अंजी नदी पर बने इस पुल को 11 महीने के रिकॉर्ड समय में बनाया गया है. यह केबल ब्रिज सुरंग टी-2, कटड़ा और सुरंग टी-3 और रियासी छोर को भी जोड़ता है.
एफिल टॉवर का रिकॉर्ड टूटा
इस ब्रिज के बारे में जानकर आपको हैरान होगी, लेकिन ऐसी कई दिलचस्प बातें हैं, जिनके बारे में आपको जानना चाहिए. 725 मीटर लंबे इस केबल ब्रिज का 473 मीटर का हिस्सा यानी आधे से ज्यादा पुल केबल के सहारे हवा में लटका हुआ है.
इसे देख हैरानी के साथ ही डर भी लगेगा, क्योंकि ये केबल्स 193 मीटर लंबे सिर्फ एक पिलर के सपोर्ट पर लगे हैं. यह ब्रिज एफिल टावर से भी ऊंचा है. एफिल टॉवर की ऊंचाई 330 मीटर है, जबकि ब्रिज की नदी के तल से लेकर पिलर तक की ऊंचाई ही 331 मीटर है.
ट्रेन की रफ्तार पर नहीं होगा असर
इंडियन रेलवे का कहना है कि यह ब्रिज बेहद मजबूत है. यहां 213 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी इस पुल का कुछ नहीं बिगाड़ सकती. जानकारी के मुताबिक इस ब्रिज पर ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ाई जा सकती है.