OMG! मिट्टी का इतना बड़ा मटका जिससे हजारों लोग पी सकते हैं पानी,भारत में इस जगह पर है मौजूद
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OMG! मिट्टी का इतना बड़ा मटका जिससे हजारों लोग पी सकते हैं पानी,भारत में इस जगह पर है मौजूद

Mitti Ka Gharaa: क्या आपने कभी सोचा है कि कोई घड़ा इतना बड़ा हो कि उसमें एक टैंक जितना पानी आ जाए? यूपी के कन्नौज में खुदाई के दौरान अक्सर नायाब और दुर्लभ ऐतिहासिक चीजें मिलती रही हैं. यह मटका भी उन्हीं में से एक है. 

OMG! मिट्टी का इतना बड़ा मटका जिससे हजारों लोग पी सकते हैं पानी,भारत में इस जगह पर है मौजूद

Biggest Pitcher: गर्मियों में मिट्टी का घड़े का इस्तेमाल सभी करते हैं. इसकी पानी ठंडा और सेहत के लिए फायदेमांद होता है. ये छोटे-बड़े हर साइज में बनते हैं. लोग अपने परिवार के सदस्यों की संख्या के मुताबिक मिट्टी के मटके खरीदते हैं. कहने का मतलब यही है कि आमतौर पर सभी ने घड़े को एक सामान्य साइज में देखा है.

वहीं, कोई आपसे कहे कि किसी घड़े की आकार इतना बड़ा हो सकते हैं, जिसमें एक टैंक जितना पानी आ जाए तो आपको इस बात पर शायद ही यकीन हो, लेकिन एक ऐसा घड़ा आज भी मौजूद है. यह दुनिया के सबसे बड़ा और पुराना घड़ा हैं. आइए जानते हैं इसमें बारे में दिलचस्प बातें. 

कन्नौज की शोभा बढ़ा रहा है ये घड़ा
उत्तर प्रदेश के कन्नौज में मौजूद है ये धरोहर. यूपी में इत्र नगरी के नाम से मशहूर कन्नौज अपनी खुशबू के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके अलावा भी यह शहर जाना जाता है दुनिया के सबसे बड़े मिट्टी के मटके के लिए. यह घड़ा कन्नौज के म्यूजियम में संरक्षित किया गया है. बताया जाता है कि इसमें 2 हजार लीटर पानी आता है, जिससे हजारों लोग पानी पी सकते हैं. 

यहां पहले भी मिल चुकी हैं ऐतिहासिक चीजें
कन्नौज जिले का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. यह घड़ा भी उन्ही में से एक है. जिसे देख हर किसी की आंखें खुली ही रह जाती है. यह घड़ा पहली से तीसरी सदी के बीच कुषाण वंश के दौरान रहे सबसे बड़े घड़ो में से ही एक है, जो 40 वर्षों पहले शहर के शेखपुरा मोहल्ले में खुदाई के दौरान मिला था.

इतना विशाल है घड़े का आकार
इस विशालकाय मटके की उम्र तरकीबन 2000 साल बताई जाती है. इसकी ऊंचाई तकरीबन 5.4 फीट और चौड़ाई 4.5 फीट है. इसमें करीब 1 टैंकर जितना पानी भरा जा सकता है. कन्नौज में करीब 50-55 वर्षों से पुरातत्व विभाग समय-समय पर खुदाई करता आ रहा है. खुदाई में यहां के इतिहास को बयां करती कोई न कोई वस्तु निकलकर सामने आ ही जाती है. इसमें टेराकोटा की मूर्तियां, प्राचीन मुद्रा, शिवजी की अलग-अलग मुद्राओं की प्राचीन मूर्तियां भी शामिल हैं.

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