Maharashtra Elections: महाराष्ट्र चुनाव में 'बंटेंगे तो कटेंगे' के खिलाफ मुस्लिम एनजीओज का अभियान, बीजेपी को घेरने की तैयारी
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Maharashtra Elections: महाराष्ट्र चुनाव में 'बंटेंगे तो कटेंगे' के खिलाफ मुस्लिम एनजीओज का अभियान, बीजेपी को घेरने की तैयारी

Maharashtra elections 2024: महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए मुस्लिम एनजीओ की एक बड़ी संख्या सक्रिय हो गई है. दावा किया जा रहा है कि ये एनजीओ वोटरों को बीजेपी के खिलाफ भड़का रहे हैं.

Maharashtra Elections: महाराष्ट्र चुनाव में 'बंटेंगे तो कटेंगे' के खिलाफ मुस्लिम एनजीओज का अभियान, बीजेपी को घेरने की तैयारी

Maharashtra elections 2024: महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए मुस्लिम एनजीओ की एक बड़ी संख्या सक्रिय हो गई है. दावा किया जा रहा है कि ये एनजीओ वोटरों को बीजेपी के खिलाफ भड़का रहे हैं. योगी आदित्यनाथ के 'बंटेंगे तो कटेंगे' के नारे के बाद इन एनजीओ ने एकजुट होकर मुसलमानों को महाविकास अघाड़ी के पक्ष में मतदान करने के लिए जागरूक करने का अभियान शुरू किया है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है, जहां बीजेपी को हराने के लिए मुस्लिम एनजीओ सक्रिय हो गए हैं. माना जा रहा है कि ऐसे 400 एनजीओ चुनाव के दौरान मुस्लिम समुदाय को जागरूक करने के नाम पर बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

ज़ी मीडिया के हाथ एक दस्तावेज़ लगा है, जिसमें मराठी मुस्लिम सेवा संघ नाम के एनजीओ द्वारा प्रसारित किया गया एक पेपर शामिल है. इस दस्तावेज़ में मुस्लिम समुदाय से 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे का विरोध करने और महाविकास अघाड़ी के पक्ष में वोट देने की अपील की गई है. इसमें कई ऐसे सवाल भी शामिल हैं, जिनसे मुसलमानों को बीजेपी के खिलाफ खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है, जैसे कि शरियत में हस्तक्षेप, सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों पर बीजेपी का रुख आदि.

योगी आदित्यनाथ के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे के बाद महाराष्ट्र में मुस्लिम एनजीओ ने इसे काटने के लिए एकजुटता का प्रयास शुरू कर दिया है. दावा किया जा रहा है कि ये एनजीओ 'जागरूकता' के नाम पर एक एजेंडे के तहत मुस्लिम समुदाय को बीजेपी के खिलाफ खड़ा कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव में 180 एनजीओ सक्रिय थे, लेकिन इस बार इनकी संख्या बढ़कर 400 हो गई है, जिससे चुनाव पर एक अंडरकरंट प्रभाव की उम्मीद की जा रही है.

बीजेपी नेताओं का कहना है कि ये एनजीओ समाजसेवा के नाम पर एक खास राजनीतिक दल का समर्थन कर रहे हैं. वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ये एनजीओ बीजेपी के खिलाफ एक सोची-समझी रणनीति के तहत काम कर रहे हैं. इस पूरे घटनाक्रम से यह सवाल उठता है कि आखिर इन एनजीओ की फंडिंग और निर्देश कहां से आ रहे हैं.

महाराष्ट्र चुनाव में मुस्लिम एनजीओ की इस भूमिका ने सभी का ध्यान खींचा है. अब देखना होगा कि बीजेपी इस नई चुनौती का सामना कैसे करती है और 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे के जवाब में यह राजनीति किस ओर मुड़ती है.

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