Jammu Kashmir News: कश्मीर में पुलिस ने उम्मीदवार के पैरों में पहना दिया GPS ट्रैकर एंक्लेट, लेकिन क्यों
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Jammu Kashmir News: कश्मीर में पुलिस ने उम्मीदवार के पैरों में पहना दिया GPS ट्रैकर एंक्लेट, लेकिन क्यों

Jammu Kashmir Elections 2024: जम्मू कश्मीर असेंबली चुनाव में एक निर्दलीय पैरों में जीपीएस युक्त ट्रैकर एंक्लेट पहनकर प्रचार कर रहा है. यह एंक्लेट उसे पुलिस ने पहनाए हैं लेकिन क्यों.

Jammu Kashmir News: कश्मीर में पुलिस ने उम्मीदवार के पैरों में पहना दिया GPS ट्रैकर एंक्लेट, लेकिन क्यों

Jammu Kashmir Assembly Election News 2024: जम्मू कश्मीर में हो रहे असेंबली चुनावों में अजब- गजब नजारे देखने को मिल रहे हैं. इस बार के चुनावों में जमात-ए-इस्लामी समर्थित स्वतंत्र उम्मीदवार भी इलेक्शन लड़ रहे हैं. इन्हीं में से एक हैं सिकंदर मलिक, जो पैरों में जीपीएस ट्रैकिंग एंकलेट पहनकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. ये एंकलेट किसी ओर ने नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर पुलिस ने बांधे हैं. सिकंदर कहते हैं कि 2024 के संसदीय चुनावों के बाद हमें विश्वास था कि जम्मू कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से हो रहे हैं. इसी वजह से उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया.

मैदान में निर्दलीय ठोक रहे हैं दांव

जमात-ए-इस्लामी को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद से संबंधों के आरोप में 2019 में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत गृह मंत्रालय ने प्रतिबंधित कर दिया था. उसने इस बार की चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने का फैसला किया. हालांकि सरकार के प्रतिबंध की वजह से उसके उम्मीदवार निर्दलीय के रूप में मैदान में ताल ठोक रहे हैं. 

ऐसे ही एक उम्मीदवार सिकंदर मलिक हैं, जो पूर्व जिला अध्यक्ष (आमिर जिला) भी है. उसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने यूएपीए के तहत 2019 में कई बार गिरफ्तार किया था. इसके बाद उसे कोर्ट बोलवर्ड जेल, फिर हरियाणा और बाद में जिला जेल बांदीपुरा में रखा गया था. हालांकि लोकसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले उन्हें जीपीएस ट्रैकर पहनाकर जमानत पर रिहा कर दिया गया.

'मेरे पैरों में पुलिस ने लगा दिए जीपीएस ट्रैकर'

सिकंदर मलिक ने बताया, मेरी लगातार गिरफ्तारियां हुईं. पहले कोट बुलार्ड जेल और फिर हरियाणा की जेल में रखा गया. मुझे हर दिन थाने में हाजिरी देनी होती थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव से पहले दी महीने मुझे बांदीपोरा जेल में रखा गया. फिर मुझे बोला गया कि आप को जीपीएस ट्रैकर लगया जाएगा. इसके बाद आप मूवमेंट कर सकते है तो मैंने इस चीज़ को एक्सेप्ट कर लिया.

सिकंदर का कहना है कि वह बांदीपुरा में हर वर्ग के लोगों से मिल रहे हैं और उनसे अपने और बांदीपुरा के बेहतर भविष्य के लिए वोट देने की अपील कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध हटा देना चाहिए. जमात-ए-इस्लामी कभी भी चुनावों के खिलाफ नहीं रही है, लेकिन 1987 में चुनावों में धांधली हुई थी और हमने अपना विश्वास खो दिया था. हालांकि पिछले संसदीय चुनावों में हमने निष्पक्षता देखी और अब स्थिति भी अच्छी है, इसलिए मैंने चुनाव लड़ने का फैसला किया.

'1987 के हालातों से हुए थे मायूस'

सिकंदर मलिक ने कहा कि हमारे जितने भी जिम्मेदार लोग थे, उन्होंने बयान दिया है कि 1987 के चुनावों के बाद हम मायूस हुए थे लेकिन फिर हालत ठीक हुए और ख़ासकर पिछले चुनावों से हममें भरोसा बढ़ा. यही वजह है कि अब काफी निर्दलीय इन चुनाव में उतरे हुए हैं. सिकंदर मलिक तीसरे चरण के मतदान के उम्मीदवार हैं और इसमें उनके भाग्य का फैसला होगा.

1987 के विवादास्पद विधानसभा चुनावों के बाद जमात ने अलगाववादियों का समर्थन किया और चुनाव बहिष्कार की राजनीति का हिस्सा रही. 2019 में, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद सरकार ने जमात और अन्य अलगाववादी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके साथ ही जमात के नेताओं को गिरफ्तार कर उनकी संपत्ति जब्त कर ली. 

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