Jabalpur Seat Lok Sabha Election 2024: जबलपुर सीट पर भाजपा का दबदबा कायम, आशीष दूबे जीते
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Jabalpur Seat Lok Sabha Election 2024: जबलपुर सीट पर भाजपा का दबदबा कायम, आशीष दूबे जीते

Jabalpur Loksabha Seat Elections News: देश के पहले आम चुनाव में 1952 में जबलपुर में दो संसदीय सीटें थीं - जबलपुर उत्तर और जबलपुर दक्षिण-मंडला. मध्य प्रदेश के गठन के बाद 1957 में जबलपुर लोकसभा सीट का गठन हुआ.

Jabalpur Seat Lok Sabha Election 2024: जबलपुर सीट पर भाजपा का दबदबा कायम, आशीष दूबे जीते

Jabalpur Loksabha Seat Chunav 2024: मध्य प्रदेश का जबलपुर लोकसभा क्षेत्र अपनी समृद्ध संस्कृति, विविधतापूर्ण भौगोलिक परिदृश्य और शैक्षिक संस्थानों के लिए जाना जाता है. यह शहर न केवल अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आधुनिक विकास के लिए भी प्रसिद्ध है.

जबलपुर को पहले जबालिपुरम के नाम से जाना जाता था. ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में महर्षि जाबालि ने यहां लंबे समय तक निवास किया था. 1100 ईस्वी में राजा मदन सिंह द्वारा पहाड़ी पर बनवाया गया मदन महल इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता की गवाही देता है.

धार्मिक महत्व:
जबलपुर में कई बौद्ध, हिन्दू और जैन धर्म के मंदिर और स्मारक हैं. यह क्षेत्र धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न संस्कृतियों के सह-अस्तित्व का प्रतीक है.

आधुनिक विकास:
जबलपुर में थलसेना की छावनी, भारतीय आयुध निर्माणियों के कारखाने तथा पश्चिम मध्य रेलवे का मुख्यालय भी है. यह शहर शिक्षा का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान स्थित हैं..

प्राकृतिक सौंदर्य:
जबलपुर के पहाड़ और झरने अपनी सुंदरता से लोगों का मन मोह लेते हैं. यहां कई मनोरम पर्यटन स्थल हैं, जैसे भेड़ाघाट, भेड़ाघाट जलप्रपात, मदन महल, रानी दुर्गावती का मकबरा, ग्वारीघाट

जबलपुर शिक्षा, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्भुत संगम है. यह शहर अपनी विविधता और समृद्ध संस्कृति के लिए जाना जाता है. जबलपुर निश्चित रूप से एक ऐसा शहर है जो पर्यटकों और स्थानीय लोगों दोनों को आकर्षित करता है.

जबलपुर: चुनावी इतिहास की एक झलक
दो सीटों से एक सीट तक: देश के पहले आम चुनाव में 1952 में जबलपुर में दो संसदीय सीटें थीं - जबलपुर उत्तर और जबलपुर दक्षिण-मंडला. सुशील कुमार पटेरिया और मंगरु गणु उइके क्रमशः इन दोनों सीटों से जीते थे. मध्य प्रदेश के गठन के बाद 1957 में जबलपुर लोकसभा सीट का गठन हुआ.

कांग्रेस का दबदबा:
1957 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के सेठ गोविंद दास ने जीत हासिल की. वे एमपी के इतिहास के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं. उन्होंने 1971 तक लगातार चार बार जबलपुर से सांसद का चुनाव जीता.

जेपी आंदोलन और शरद यादव का उदय:
1974 में सेठ गोविंद दास के निधन के बाद जबलपुर में उपचुनाव हुआ. उस समय देश में जेपी आंदोलन अपने चरम पर था. जयप्रकाश नारायण ने 27 साल के शरद यादव को टिकट दिया. जेल में रहते हुए भी शरद यादव ने उपचुनाव जीता और भारतीय राजनीति में एक उभरते सितारे के रूप में स्थापित हुए.

जबलपुर लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास काफी रोचक रहा है. 1977 का चुनाव इस सीट पर हुए चुनावों में सबसे यादगार रहा. जयप्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन से जुड़े शरद यादव ने इस चुनाव में कांग्रेस के गढ़ को ध्वस्त कर दिया था.

1974 का उपचुनाव: 1974 में जबलपुर लोकसभा सीट पर सांसद सेठ गोविंद दास के निधन के बाद उपचुनाव हुआ. उस समय देश में जेपी आंदोलन अपने चरम पर था. जयप्रकाश नारायण ने 27 साल के शरद यादव को टिकट दिया और जेल में रहते हुए भी उन्होंने उपचुनाव जीता. यह जीत जेपी आंदोलन की एक बड़ी जीत मानी गई.

1977 का चुनाव: 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में शरद यादव ने एक बार फिर जबलपुर से चुनाव लड़ा. इस बार उनके सामने कांग्रेस के जगदीश नारायण अवस्थी थे.

नारे का कमाल: शरद यादव के पक्ष में एक नारे ने पूरा माहौल बदलकर रख दिया. 'लल्लू पर न जगधर पर, मुहर लगेगी हलधर पर' इस नारे ने ऐसा जोर पकड़ा कि कांग्रेस की उसके गढ़ में ही नींव हिल गई. शरद यादव ने 1977 का चुनाव भी भारी मतों से जीत लिया. यह जीत न केवल शरद यादव के लिए बल्कि पूरे विपक्ष के लिए एक बड़ी सफलता थी.

जेपी नड्डा की सास भी यहां से रह चुकी हैं सांसद
बीजेपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का जबलपुर में ससुराल है. नड्डा की सास जयश्री बनर्जी पूर्व में जबलपुर से सांसद रह भी चुकी हैं. जयश्री बनर्जी जनसंघ की पुरानी नेताओं में से एक हैं. 

बदलते राजनीतिक परिदृश्य:
1977 के बाद, जबलपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला रहा है. 1996 से 2019 तक, भाजपा ने इस सीट पर लगातार 7 बार जीत हासिल की है. 2019 में, राकेश सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार विवेक तन्खा को हराया.

1996 से जबलपुर सीट पर भाजपा का कब्जा है.
2014 में, भाजपा के राकेश सिंह ने कांग्रेस के विवेक तन्खा को हराकर रिकॉर्ड 3 लाख 50 हजार से अधिक वोटों का अंतर हासिल किया.
2019 में, राकेश सिंह ने फिर से जीत हासिल की.

मतदाताओं का नंबर गेम
जबलपुर संसदीय सीट में कुल कुल 17 लाख, 11 हजार 683 मतदाता है. इनमें पुरुष मतदाता 8 लाख 97 हजार 949 और महिला मतदाता 8 लाख 13 हजार 734 शामिल है. 

लोकसभा सीट पर चुनाव दर चुनाव जीत का इतिहास

साल विजयी उम्मीदवार​ पार्टी
1952 Sushil Kumar Pateriya/Mangru Ganu Uikey Congress
1957 Seth Govind Das Congress
1962 Seth Govind Das Congress
1967 Seth Govind Das Congress
1971 Seth Govind Das Congress
1974
1977
Sharad Yadav Bharatiya Lok Dal (By Election)
Janta Party (1977)
1980
1982
Munder Sharma
Baburao Paranjpe (By election)
Congress (I)
BJP
1984 Ajay Narayan Mushran Congress 
1989 Baburao Paranjpe BJP
1991 Shrawan Kumar Patel Congress 
1996 Baburao Paranjpe All India Indira Congress 
1998 Baburao Paranjpe BJP
1999 Jayashree Banerjee BJP
2004 Rakesh Singh BJP
2009 Rakesh Singh BJP
2014 Rakesh Singh BJP
2019 Rakesh Singh BJP
2024    

 

2024 का समीकरण क्या है? आशीष दूबे बनाम दिनेश यादव
मध्य प्रदेश के जबलपुर संसदीय क्षेत्र पर फ़िलहाल बीजेपी का दबदबा है ही. राकेश सिंह लंबे समय से सांसद थे. वे एमपी बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे. लेकिन इस बार वे विधानसभा चुनाव जीतकर मंत्री बने हैं. ऐसे में बीजेपी ने नया प्रत्याशी उतारा है. वैसे बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने इस बार नए प्रत्याशियों पर भाग्य आजमाया है. भाजपा ने जहां आशीष दुबे को टिकट दिया है, वहीं कांग्रेस ने दिनेश यादव को प्रत्याशी बनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबलपुर में रोड शो कर चुके हैं. देखना है करवट किस तरफ जाएगी. 

Candidates in 2024 Party Votes Result
Ashish Dubey BJP    
Dinesh Yadav Congress    
       
       

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