महाराष्‍ट्र चुनाव 2024: हरियाणा की हार से सहमी कांग्रेस, मराठा लैंड में बगावत की चिंगारियों पर डाल रही पानी
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महाराष्‍ट्र चुनाव 2024: हरियाणा की हार से सहमी कांग्रेस, मराठा लैंड में बगावत की चिंगारियों पर डाल रही पानी

Maharashtra Assembly Election 2024: हरियाणा में बागियों ने कांग्रेस का गेम बिगाड़ दिया. उस हार से सबक लेते हुए पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति बदली है.

महाराष्‍ट्र चुनाव 2024: हरियाणा की हार से सहमी कांग्रेस, मराठा लैंड में बगावत की चिंगारियों पर डाल रही पानी

Maharashtra Elections 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तमाम उम्मीदें धराशायी हो गईं. कई सीटों पर अपने ही बागियों ने पार्टी का सारा गणित चौपट कर दिया. 'जाट लैंड' में जो चूक हुई, कांग्रेस उसे 'मराठा लैंड' यानी महाराष्‍ट्र में नहीं दोहराना चाहती. इसलिए, कांग्रेस ने अपने सीनियर नेताओं को काम पर लगा दिया है. उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में टिकट की चाह रखने वालों को उम्मीदवार न बनाए जाने की सूरत में बागी होने से रोकना है. किसी भी तरह उन्हें पार्टी के प्रति वफादार बनाए रखना है. टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि कांग्रेस ने इसी मकसद से, महाराष्ट्र के हर क्षेत्र के लिए सीनियर नेताओं को ऑब्जर्वर नियुक्त किया है.

अब नहीं तो फिर कभी... नाराज नेताओं को कांग्रेस का भरोसा

महाराष्ट्र में सीनियर नेताओं को ऑब्जर्वर बनाने के पीछे कांग्रेस की बदली हुई रणनीति है. वैसे तो कांग्रेस हर चुनाव के लिए स्पेशल ऑब्जर्वर नियुक्त करती है, महाराष्‍ट्र में कहानी थोड़ी अलग है. इस बार, ऑब्जर्वर्स को खास तौर पर ब्रीफ किया गया है कि वे उन सदस्यों पर नजर रखें जो पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों को चुनौती दे सकते हैं. कांग्रेस की यह चिंता हाल ही में खत्म हुए हरियाणा चुनाव के नतीजों से उपजी है.

चुनावी प्रक्रिया में पार्टी हर सीट से एक ही उम्मीदवार खड़ा कर सकती है, ऐसे में कई इच्छुक नेता निराश हो जाते हैं. उनकी निराशा नाराजगी में बदलती है तो नुकसान पार्टी को उठाना पड़ता है. विरोधी पार्टियों के लिए ऐसे नाराज नेता आसान शिकार होते हैं जिन्हें भड़काकर या बहला-फुसलाकर पार्टी के खिलाफ उतारा जा सकता है.

कांग्रेस को हरियाणा में ऐसे ही 'बागी नेताओं' ने तगड़ी चोट दी है. बागी हुए नेताओं ने प्रमुख सीटों पर पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के वोट काटे. नतीजा यह हुआ कि तमाम चुनाव पूर्व अनुमान गलत साबित हुए और बीजेपी फिर से राज्य की सत्ता पर काबिज हो गई.

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महाराष्ट्र में रूठों को मनाने का जिम्मा इनके सिर

कांग्रेस अपने नाराज नेताओं को माइक्रो-मैनेज करने पर खास ध्यान दे रही है. महाराष्ट्र के लिए पार्टी ने जिन्हें ऑब्जर्वर बनाया है, वे जाने-माने सदस्य हैं और उनकी सामाजिक छवि भी मजबूत है. इसके अलावा, राज्य के पांचों क्षेत्रों में से हर एक के लिए दो या तीन ऑब्जर्वर नियुक्त किए गए हैं. जैसे- मुंबई/कोंकण क्षेत्र के लिए अशोक गहलोत और कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर, विदर्भ के लिए पूर्व सीएम भूपेश बघेल और चरणजीत सिंह चन्नी और एमपी में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार, मराठवाड़ा के लिए सचिन पायलट और तेलंगाना के वरिष्ठ मंत्री उत्तम रेड्डी, अन्य.

पार्टी ने लोकल पैठ वाले AICC पदाधिकारियों - मुकुल वासनिक और अविनाश पांडे - को सीनियर कोऑर्डिनेटर भी बनाया है. इन नेताओं का अपना राजनीतिक कद है और वे पार्टी नेतृत्व के भी करीबी हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि वे बगावती तेवर अपनाने वाले नेताओं को मनाने में कामयाब रहेंगे.

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