Election Commission: चुनाव आयोग ने राहुल गांधी और अमित शाह की तरफ से एक दूसरे की पार्टियों पर दिए गए बयानों को लेकर नोटिस भेज दिया है. भाजपा और कांग्रेस को भेजे गए इस नोटिस का जवाब सोमवार तक देना है. चुनाव आयोग ने दोनों के बयान को आचार संहिता के खिलाफ बताया है.
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Election Commission: चुनाव आयोग ने शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की तरफ से दिए गए बयानों को लेकर जवाब तलब किया है. आयोग ने इस संबंध में भाजपा और कांग्रेस से जवाब मांगा है. चुनाव आयोग ने उनके द्वारा दिए गए बयानों को आचार संहिता का उल्लंघन करने वाला बताया है. चुनाव आयोग की तरफ से भेजे गए इस नोटिस का जवाब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को महाराष्ट्र और झारखंड में मतदान से दो दिन पहले अपने जवाब देने हैं.
भाजपा ने राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कांग्रेस नेता ने 6 नवंबर को मुंबई में दिए गए भाषण में 'अन्य राज्यों पर महाराष्ट्र से कथित अवसरों को चुराने और छीनने का झूठा आरोप लगाया.' राहुल गांधी को लेकर कहा गया था कि वो अपने बयानों से महाराष्ट्र के युवाओं को भड़का रहे हैं जो राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए बेहद खतरनाक है. शिकायत में आगे कहा गया है कि राहुल गांधी ने अपने भ्रामक बयान से महाराष्ट्र और गुजरात और अन्य राज्यों के लोगों के बीच विभाजन पैदा करने की कोशिश की है.
कांग्रेस ने जवाबी शिकायत में आरोप लगाया कि गृह मंत्री अमित शाह ने 12 नवंबर को धनबाद में एक चुनावी रैली के दौरान 'कांग्रेस और उसके सहयोगियों के बारे में कई झूठे, विभाजनकारी, दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक बयान दिए हैं.' कांग्रेस ने कहा,'अपने भाषण के दौरान अमित शाह ने आरोप लगाया कांग्रेस और उसके सहयोगी दल अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के खिलाफ हैं.' इसके अलावा शाह ने कांग्रेस पर देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया.
कांग्रेस ने अपनी शाकियत में कहा,'झारखंड में भाजपा के अभियान में एक आम बात यह बन गई है कि अमित शाह ने कांग्रेस पर एसटी, एससी और ओबीसी समुदायों के सदस्यों से आरक्षण छीनने और उन्हें एक विशेष धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को देने की योजना बनाने का भी आरोप लगाया है.' उन्होंने कहा,'अमित शाह की तरफ से दिए गए बयान धर्म और जाति के आधार पर वोटरों को भड़काने के इरादे से दिए गए हैं; ताकि वोटों को एकजुट किया जा सके और सांप्रदायिक असुरक्षा को भड़काकर उन्हें भाजपा के लिए वोट करने के लिए प्रेरित किया जा सके.'
बता दें कि आदर्श आचार संहिता आजाद और निष्पक्ष चुनाव यकीनी बनाने के लिए दिशा-निर्देशों का एक सेट है, जिसमें यह अनिवार्य है कि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगी जो मतभेदों को बढ़ाए या आपसी नफरत पैदा करे. यहां तक कि अलग-अळग जातियों और समुदायों या धार्मिक और भाषा के बीच तनाव पैदा करे. अगर कोई आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग उससे जवाब तलब करता है या फिर कोई अन्य एक्शन भी ले सकता है.