छात्रों का कहना है कि शोध पत्र पर एक से अधिक नाम होने के कारण अंक बंट जाते हैं, जिससे शिक्षक भर्ती के लिए शामिल होने वाले शोधार्थियों को नुकसान होता है. वहीं छात्रों ने आगे कहा कि जब यूजीसी की गाइडलाइन में ऐसी व्यवस्था नहीं दी हुई है, तो इस तरह के नियम क्यों लागू किए जा रहे है?
Trending Photos
नई दिल्ली: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डीन एवं रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रो. एसआई रिजवी की ओर से दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा गया है कि शोधार्थियों को अपने शोध पत्रों, आलेखों और पुस्तकों में अपने गाइड व सुपरवाइजर का नाम देना जरूरी है. इस संदर्भ में छात्रों का कहना है कि ऐसा करने से शोधार्थियों की मेहनत और हक में जबरदस्ती का बंटवारा होगा. छात्रों ने कहा कि वे ऐसा बिल्कुल नहीं करेंगे और इसके खिलाफ उन्होंने प्रदर्शन करने का भी फैसला लिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, विवि में छात्र संघ बहाली के लिए आंदोलन कर रहे अजय यादव सम्राट और अन्य छात्र नेताओं का इस मामले में कहना है कि मेहनत विद्यार्थी करे और उसके द्वारा लिखे हुए शोध पत्र पर नाम शोध निर्देशक का जाए, यह बिल्कुल भी सही नहीं है. उन्होंने कहा कि वे इसके खिलाफ आंदोलन करेंगे. बता दें कि अकादमिक प्रदर्शन सूचकांक के शोध पत्रों के अंकों के आधार पर ही असिस्टेंट प्रोफेसर का चयन किया जाता है.
RBSE 5th-8th Result 2022: इस दिन जारी होंगे परिणाम, इन स्टेप्स के जरिए देखें सकेंगे रिजल्ट
इस मामले में छात्रों का कहना है कि शोध पत्र पर एक से अधिक नाम होने के कारण अंक बंट जाते हैं, जिससे शिक्षक भर्ती के लिए शामिल होने वाले शोधार्थियों को नुकसान होता है. वहीं छात्रों ने आगे कहा कि जब यूजीसी की गाइडलाइन में ऐसी व्यवस्था नहीं दी हुई है, तो इस तरह के नियम क्यों लागू किए जा रहे है?
इस पूरे मामले पर विश्वविद्यालय के डीन प्रो. रिजवी का कहना है कि इस नियम के लागू होने से सुपरवाइजर की जिम्मेदारी तय होगी. प्लेग्यरिजम पर भी प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा. छात्रों की पीएचडी तभी पूरी होती है, जब वे किसी गाइड या सुपरवाइजर के निर्देशन में अपनी शोध को पूरा करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि व्यवस्था में बदलाव करने से शोधपत्रों की विश्वसनीयता में भी बढ़ोत्तरी होगी.