इजराइल के यरूशलम और तेल अवीव के बीच एक गांव बसा हुआ है, जहां आज के समय में हजारों की संख्या में इजरायली और फिलिस्तीनी एक साथ भाइयों की तरह रहते हैं.
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नई दिल्ली: जहां पिछले कई दशकों से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष जारी है, वहां एक गांव ऐसा भी है, जहां इजरायली और फिलिस्तीनी एक साथ भाई-भाई की तरह रहते हैं. इजरायल और फिलिस्तीन के बीच चल रहा संघर्ष पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण तनाव और हिंसा का स्रोत रहा है. लेकिन इजरायली और फिलिस्तीनी व्यक्तियों और समुदायों का यह गांव एक उदाहरण हैं, जिन्होंने शांतिपूर्वक और पड़ोसियों के रूप में एक साथ रहने और काम करने का विकल्प चुना है.
53 सालों से हैं एक साथ
दरअसल, हम बात कर रहे हैं इजराइल के यरूशलम और तेल अवीव के बीच बसे "वहात अल-सलाम" गांव की, जहां आज की डेट में हजारों की संख्या में इजरायली और फिलिस्तीनी एक साथ रहते हैं. बता दें कि वहात अल-सलाम एक तरह का समुदाय है, जहां इजरायली यहूदी और फिलिस्तीनी अरब, जिनमें मुस्लिम और ईसाई दोनों शामिल हैं, वे सभी शांतिपूर्वक भाईयों की तरह रहते हैं. इस गांव की स्थापना 1970 के दशक में दोनों समुदायों के बीच शांति और मेल-मिलाप को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ की गई थी. वहात अल-सलाम के निवासी समझ और कोएग्जिस्ट के निर्माण के लिए सक्रिय रूप से संवाद, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शैक्षिक पहल में संलग्न हैं.
एक साथ पढ़ते हैं यहूदी और अरबी समुदाय के बच्चे
बता दें कि यहां करीब 70 से ज्यादा परिवार रहते हैं, जिसमें यहूदी और अरब दोनों तरफ के लोग शामिल हैं. इस गांव में वही लोग रहने आते हैं, जो दोनों तरफ शांति चाहते हैं. इस गांव में बच्चों के पढ़ने के लिए एक स्कूल भी बनाया गया है, जहां यहूदी और अरबी दोनों समुदाय के बच्चे एक साथ पढ़ते हैं. इस गांव की शुरुआत केवल 4 परिवारों से हुई थी. इसके बाद यहां धीरे-धीरे लोग बसने लगे और इस गांव की आबादी काफी अधिक हो गई है.
हालांकि, यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि ऐसे समुदाय संघर्ष के व्यापक संदर्भ में अपवाद हैं, और इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष अत्यधिक जटिल और गहराई से जुड़ा हुआ है. इस तरह के प्रयास इस बात के प्रेरक उदाहरण हैं कि कैसे अलग-अलग पृष्ठभूमि के लोग शांति से एक साथ रहना चुन सकते हैं, लेकिन वे क्षेत्र की व्यापक स्थिति का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. यह संघर्ष एक गहरा राजनीतिक और ऐतिहासिक मुद्दा है, जिसका कोई आसान समाधान नहीं है और यह एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है.