Mughal-E-Azam: इस गाने में दिलीप कुमार ने पहने थे सोने के जूते, एक नहीं दो 'मधुबाला' का था कमाल
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Mughal-E-Azam: इस गाने में दिलीप कुमार ने पहने थे सोने के जूते, एक नहीं दो 'मधुबाला' का था कमाल

 Mughal-E-Azam: जब बात होती है हिंदी सिनेमा की सबसे बेहतरीन फ‍िल्‍मों की तो 'मुगल-ए-आजम' (Mughal E Azam) का नाम पहले नंबर पर लिया जाता है. ये फिल्म 5 अगस्त 1960 को रिलीज हुई थी जिसे लोग आज भी देखना पसंद करते हैं. 

 

Dilip lkumar-madhubala

61 Years of Mughal-E-Azam: अब हिंदी सिनेमा 111 साल का हो चुका है. लेकिन इतने लंबे समय में जब भी बात होती है बॉलीवुड की सबसे शानदार फिल्मों की तो 'मुगल-ए-आजम' (Mughal E Azam) का नाम लिस्ट में जरूर शामिल होता है. ये कहना गलत नहीं है कि 'मुगल-ए-आजम' कई मायनों में खास फिल्म रही है. स्टार्स की अदाकारी हो, आलीशान सेट, शानदार डायलॉग, खूबसूरत संगीत या फिर महंगे कॉस्ट्यूम. डायरेक्‍टर के आस‍िफ ने फिल्म के हर पहलू पर बारीकी से काम किया था. फिल्म की कहानी का बेस हर कोई जानता है फिर भी बता देते हैं कि 'मुगल-ए-आजम' मुगल बादशाह मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर के बेटे सलीम और अनारकली की लव स्टोरी पर बनी फिल्म है. हालांकि, कम ही लोग जानते हैं कि ये फिल्म 1940 में रिलीज होने वाली थी. उस वक्त फिल्म की कास्ट भी कुछ और थी. फिल्म के लिए सप्रू चंद्रमोहन और नरगिस को कास्ट कर लिया गया था. लेकिन 20 साल बाद पृथ्‍वीराज कपूर, मधुबाला और दिलीप कुमार को फिल्म के लिए चुना गया. 

20 साल देर से बनी फिल्म

वो कहते हैं न कि नायाब चीज को तराशने में वक्त लगता है तो ऐसे ही के आसिफ की 'मुगल-ए-आजम' को बनने में भी कई सालों का वक्‍त लगा. इसे बनाने में मेकर्स ने अपनी जिंदगी के 14 साल और सारी दौलत लगा दी थी. जब ‘मुंबई टॉकीज’ में इस फिल्म की शूट‍िंग शुरू हुई तब भारत और पाकिस्तान का व‍िभाजन शुरू हो गया. फिल्म के प्रोड्यूसर सिराज विभाजन के वक्त पाकिस्तान चले गए जिसके बाद शूटिंग ही रुक गई. फिर साल 1952 में नए प्रोड्यूसर और नई स्टार कास्ट के साथ 'मुगल-ए-आजम' को फिर से शुरू किया गया. ये वो दौर था जब कोई भी फ‍िल्‍म 10-15 लाख में आराम से बन जाया करती थीं मगर के आसिफ सब कुछ परफेक्ट और रीयल चाहते थे. इसी वजह से  'मुगल-ए-आजम' को बनाने में 1.5 करोड़ रुपये लगे. हैरानी होगी जानकर कि इस फिल्म के लिए के आसिफ ने कुल 72 गाने लिखवाए थे. 

गाने की खास बातें

यूं तो फिल्म के संगीत ने हर किसी का दिल जीता लेकिन  'मुगल-ए-आजम' का सबसे फेमस गाना 'जब प्‍यार क‍िया तो डरना क्‍या' की बात कुछ अलग ही थी. इस गाने को 105 घंटे में ल‍िखा गया और सिर्फ इसी गाने की शूटिंग में 10 लाख रुपये लग गए. इतना ही नहीं इस गाने को फिल्माने के लिए शीसे से बना सेट बनवाया गया जिसे बनने में 2 साल लग गए. गाने में दिलीप कुमार ने असली सोने के जूते पहने थे. के आसिफ की जिद थी कि वो दिलीप कुमार को सोने के ही जूते पहनाएंगे. उनका मानना था कि सोने के जूतों की वजह से दिलीप कुमार के चेहरे पर चमक आएगी और उसका कोई तोड़ नहीं होगा. 

 

 दो मधुबाला ने दिखाया कमाल 

 

फिल्म के गाने 'प्यार किया तो डरना क्या' की एक और खास बात ये थी कि नौशाद साब ने 105 गानों को रिजेक्ट करने के बाद इसे सिलेक्ट किया था. वहीं, लता मंगेशकर ने भी गाने को स्टूडियो के बजाए बाथरूम में गाया था. गाने में मधुबाला की अदाओं ने लोगों के दिलों में आग लगा दी. लेकिन इसमें एक नहीं बल्कि दो मधुबाला थीं. कहा जाता था कि मधुबाला एक्ट्रेस तो बहुत ही कमाल की  थीं, लेकिन डांसर ज्यादा अच्छी नहीं थीं. दूसरी तरफ के आसिफ को सब कुछ परफेक्ट चाहिए था. इसी वजह से उन्होंने रिस्‍क नहीं लिया. फिर क्या था, मूर्तिकार बी आर खेड़कर ने उन्हें सलाह दी कि वो प्रोफेशनल डांसर से मधुबाला के डांस स्टेप्स करवा लें. के आसिफ ने उनकी सलाह मान ली. इसके बाद उस जमाने की मशहूर डांसर लक्ष्मी नारायण को मधुबाला का मुखौटा पहनाकर गाना शूट किया गया.

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