Kiran Rao: साइरस सेज पॉडकास्ट के हालिया एपिसोड में आमिर खान की एक्स-वाइफ और फिल्म निर्माता किरण राव ने बताया कि कैसे उन्होंने एक सहायक निर्देशक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी और उनके शुरुआती दिन कितने मुश्किलों से भरे थे.
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Kiran Rao Buying Car From Her Father: बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहे जाने वाले सुपरस्टार आमिर खान की एक्स-वाइफ और फिल्म निर्माता-निर्देशक किरण राव की फिल्म 'लापता लेडीज' ने बॉक्स ऑफिस से लेकर ओटीटी पर खूब बवाल काटा. फिल्म को खूब पसंद किया गया. साथ ही फिल्म के सभी किरदारों के अभिनय से लेकर फिल्म की कहानी तक सभी ने दर्शकों का खूब दिल जीता. किरण राव ने एक सफल फिल्म निर्माता बनने से पहले कई प्रोजेक्ट्स में को-डायरेक्टर के तौर पर काम किया है.
उन फिल्मों में आमिर खान की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'लगान' भी शामिल है. हाल ही में साइरस सेज पॉडकास्ट के हालिया एपिसोड में किरण राव ने बताया कि को-डायरेक्टर के तौर पर उनके शुरुआती दिन काफी मुश्किल भरे थे. जब किरण राव पहली बार मुंबई आईं, तो उन्हें अपने रोजमर्रा के खर्चों और किराए के लिए नौकरी करनी पड़ी थी. उन्होंने अपने एक्सपीरियंस के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि उन्होंने फ्रीलांस काम किया. निर्माता ने बताया, 'मैं मूल रूप से एक गिग वर्कर थी'.
को-डायरेक्टर के तौर पर झेली बहुत मुश्किलें
'लापता लेडीज' डायरेक्टर ने बताया, 'मैं जो भी काम मिलता उसे कर लेती थी, जब तक कि वो पैसे देता रहे, तब तक काम करती, फिर मैं अगली नौकरी ढूंढ़ने के लिए संघर्ष करती. इस दौरान मैं इस बात को लेकर परेशान रहती थी कि क्या मेरी सेविंग्स चलेगी और क्या मैं अपना किराया दे पाऊंगी'. उन्होंने अपने पिता से 1 लाख रुपए में अपनी पहली कार खरीदने के बारे में भी बताया. किरण ने बताया, 'मैंने अपनी कार अपने पिता से खरीदी थी. उन्होंने मुझे इसे 1 लाख में बेचा था. क्या आपने कभी इसके बारे में सुना है?
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पिता से खरीदी थी अपनी पहली कार
किरण राव ने आगे बताया, 'मेरे पिता ने कहा, 'यही एकमात्र तरीका है जिससे आप पैसे बचा पाएंगे. हमने इसे नए बने एक्सप्रेसवे पर बैंगलोर से मुंबई तक चलाया था'. कुछ समय पहले, किरण राव ने NDTV के साथ बात करते हुए फिल्मों के अपने प्यार और आमिर खान के साथ अपने रिश्ते के बारे में बात की थी. उन्होंने बताया था, 'आमिर ज़्यादा फिल्में नहीं देखते हैं, लेकिन वे ऐसे ही इंसान हैं...वे बहुत पढ़ते थे और वे बहुत मज़ेदार हैं. हम किताबों के ज़रिए काफ़ी जुड़ते थे. घटनाओं को फिर से बताने पर... वे मुझे बहुत हंसाते थे. मज़ेदार इंसान है'.