ट्रंप चचा, हम चीन नहीं हैं ! भारत को बार-बार टैरिफ की धमकी देने से पहले ये आंकड़े देख लीजिए
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ट्रंप चचा, हम चीन नहीं हैं ! भारत को बार-बार टैरिफ की धमकी देने से पहले ये आंकड़े देख लीजिए

Donald Trump on India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनियाभर के देशों को तेवर दिखाने लगे हैं. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही उन्होंने भारत समेत ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दे डाली. लेकिन उनके लिए ऐसा कर पाना आसान नहीं है. ऐसा करने से पहले उन्हें इन आंकड़ों को देखना चाहिए. 

ट्रंप चचा, हम चीन नहीं हैं ! भारत को बार-बार टैरिफ की धमकी देने से पहले ये आंकड़े देख लीजिए

India-US Trade: अमेरिकी राष्ट्रपति (US President) की गद्दी पर बैठने के साथ ही डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump)  दुनियाभर के देशों को तेवर दिखाने लगे हैं. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही उन्होंने भारत समेत ब्रिक्स देशों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी एक बार फिर से दे डाली. हालांकि ये पहली बार नहीं है. चुनाव में जीत हासिल करने के बाद से उन्होंने ब्रिक्स देशों को दो टूक कहा कि अगर डी-डॉलराइज़ेशन की बात भी की तो 100 फीसदी टैरिफ लगा दिया जाएगा. ट्रंप की धमकी भारत और भारतीय कंपनियों को परेशान तो कर सकती है, लेकिन इसका खामियाजा अमेरिका को भी भुगतना पड़ेगा. अगर डोनाल्ड ट्रंप इस टैरिफ के चक्कर में भारत और चीन को एक ही तराजू पर तोलने की गलती कर रहे हैं तो उनकी ये गलती उनपर ही भारी पड़ने वाली है.   

अमेरिका पर न भारी पड़ जाए ट्रंप की ये धमकी  

टैरिफ बढ़ाने की धमकी देकर डोनाल्ड ट्रंप भारत को परेशान कर सकते हैं, लेकिन उनका ये फैसला उनके देश पर भी भारी पड़ेगा.  ग्लोबल रिसर्च इनिशिएटिव की माने तो अगर ट्रंप भारत पर टैरिफ बढ़ाते हैं तो उसका नुकसान अमेरिकी नागरिकों को भी झेलना पड़ेगा. अमेरिका को निर्यात करने वाली कंपनियां इस फैसले से परेशान तो होगी, लेकिन खामियाजा अमेरिकी ग्राहक भी भुगतेंगे. उन्हें भारत से आने वाली चीजों के लिए ऊंची कीमत चुकानी होगी. इतना ही नहीं ट्रंप के फैसले से ग्लोबल ट्रेड बिखर जाएगा. व्यापारिक पलटवार की स्थिति में ट्रेड वॉर की स्थिति बन सकती है.  

धमकी देने से पहले इन आंकड़ों को भी देख लें ट्रंप  

भारत के साथ व्यापार की स्थिति बिगाड़ने से सिर्फ आर्थिक संबंधों ही नहीं बल्कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों पर भी असर पड़ेगा. भारत ने हमेशा से अमेरिकी कंपनियों का स्वागत किया है. ऐपल, फेसबुक, गूगल, उबर, एनवीडिया जैसी कंपनियां भारत में न केवल सिर्फ कारोबार कर रही है, बल्कि अरबों डॉलर में मोटा पैसा भी बना रही है. अमेरिका में रहने वाली भारतीयों की जनसंख्या करीब 1.5 प्रतिशत है, लेकिन अमेरिका के टैक्स कलेक्शन में उनका योगदान 5-6 प्रतिशत तक है.   

 हमें चीन समझने की गलती ने करें ट्रंप

चीन की जमीं पर अमेरिकी कंपनियों के लिए कारोबार करना आसान नहीं है, ये वो समझ चुके हैं. चीनी सरकार की दखल, दर्जनों प्रतिबंध उनके कारोबार में दखल डालती है. वहीं भारत में विदेशी कंपनियों के लिए अनुकुल वातावरण है. ऐसे में भारत और चीन को एक ही तरह से ट्रीट करना अमेरिका की बड़ी गलती साबित हो सकती है.  

कारोबार में भी बड़ा फासला  

अगर ट्रंप चीन और भारत को एक ही तराजू पर तौल रहे हैं तो उन्हें पहले इन आंकड़ों को भी देखना चाहिए. अमेरिका का चीन के साथ व्यापारिक घाटा 25 फीसदी का है. वहीं भारत के साथ सिर्फ 4 फीसदी, यानी जितना अमेरिका भारत से सामान खरीदता है, लगभग उतना ही बेचता भी है. वहीं चीन के साथ इसमें करीब 25 फीसदी का अंतर है.  वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और अमेरिका के बीच 118.28 अरब डॉलर का कारोबार हुआ, जिसमें भारत का निर्यात 77.51 अरब डॉलर रहा, वहीं आयात 41.77 अरब डॉलर.  भारत से भेजा जाने वाला सामान अमेरिका की टेक्सटाइल और फार्मा इंडस्ट्रीज की जरूरतों को पूरा करती है. यही वजह है कि भारत के इन सामानों पर अमेरिका में कम या फिर जीरों टैरिफ लगता है, लेकिन ट्रंप ने आने के साथ ही अनाप-शनाप बातें करना शुरू कर दिया और 100 फीसदी तक टैरिफ लगाने की धमकी दे दी. अगर ऐसा हुआ तो अमेरिकी कंपनियों को परेशानी होंगी ही, वहां के लोगों को भी इन सामानों के लिए अधिक कीमत होगी.  

भारत ने शुरू कर दी तैयारी 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अनाप-शनाप की चेतावनियों का असर दिखने लगा है. भारत का वाणिज्य मंत्रालय भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के अलग-अलग पहलुओं की समीक्षा कर रहा है. वहीं ट्रेड से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है तो भारत को भी उसका जवाब देना चाहिए. अगर अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारतीय उत्पादों पर हाई ड्यूटी लगाने का फैसला करते हैं तो उसके जवाब में भारत को भी उसी तरह के कदम उठाने चाहिए. भारत ने पहले भी अमेरिका की ओर से कुछ इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों पर लगाए गए गैरकानूनी शुल्कों के जवाब में सेब जैसे कई अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी सीमा शुल्क लगाए हैं.  ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने की माने तो भारत को दृढ़ता से और समान उपायों के साथ जवाब देना चाहिए. उन्होंने बताया कि जब साल 2018 में अमेरिका ने भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम पर कर लगाया था तो भारत ने भी 29 अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई की थी.  

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