High Court Attached Himachal Bhawan Delhi: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दिल्ली के मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश दिया है. क्या आपको पता है कि आखिर राजधानी दिल्ली में राज्यों का 'अपना घर' क्यों होता है?
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Why State's House In Delhi-NCR: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मंडी हाउस स्थित हिमाचल भवन को कुर्क करने का आदेश जारी किया. क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार लगभग 150 करोड़ रुपये का बिजली बकाया भुगतान करने में नाकाम रही है. हाईकोर्ट ने विद्युत विभाग के प्रधान सचिव को इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने के लिए फैक्ट-चेक करने का निर्देश भी दिया है.
हाईकोर्ट ने क्यों दिया दिया हिमाचल भवन नीलाम करने का आदेश?
सुक्खू सरकार द्वारा 64 करोड़ रुपये चुकाने से जुड़े कोर्ट के पिछले आदेशों की अनदेखी करने के बाद यह फैसला आया है. अब ब्याज के कारण रकम बढ़कर करीब 150 करोड़ रुपये हो गया है. लाहौल-स्पीति में चिनाब नदी पर बनने वाले 400 मेगावाट सेली हाइड्रो प्रोजेक्ट के संदर्भ में यह मामला उठाया गया था. कोर्ट ने साफ किया कि यह रकम राज्य के खजाने से जा रही है, जिसका नुकसान जनता को उठाना होगा. इसलिए कंपनी को हिमाचल भवन को नीलाम कर अपनी रकम वसूलने की इजाजत दी गई है.
आखिर देश की राजधानी दिल्ली में राज्यों का 'अपना घर' क्यों होता है?
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए छह दिसंबर की तारीख तय की है. हालांकि, कोर्ट से एक के बाद एक लगातार कई झटके खा रही हिमाचल सरकार की बढ़ती मुश्किलों के बीच दिल्ली स्थित हिमाचल भवन चर्चा में आ गई है. इसके साथ ही लोगों के मन में सवाल भी उठा कि आखिर दिल्ली के मशहूर मंडी हाउस में हिमाचल भवन क्यों है? साथ ही उसके आसपास ही पंजाब भवन, हरियाणा भवन, महाराष्ट्र भवन वगैरह कैसे बना हुआ है. आइए, जानते हैं कि आखिर देश की राजधानी दिल्ली में राज्यों का 'अपना घर' क्यों होता है?
ब्रिटिश काल में कोलकाता से राजधानी को दिल्ली लाने के बाद व्यवस्था
देश की आजादी के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विभिन्न राज्यों के स्टेट हाउस या "राज्य का घर" बनाया गया है. ब्रिटिश काल में साल 1911 में राजधानी को कोलकाता से दिल्ली लाए जाने के बाद प्रभावशाली राजा-रजवाड़ों को दिल्ली में अपना एक घर बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था. आजादी के बाद रियासतों के विलय या एकीकरण और राजतंत्र को खत्म कर लोकतंत्र अपनाने के बाद भी यह व्यवस्था जारी रही. संघीय ढ़ांचे के तहत राष्ट्रीय राजधानी में सभी राज्यों को स्टेट हाउस बनाने के लिए जगह दी गई.
राष्ट्रीय राजधानी में तैनात अपने अधिकारियों को राज्य से मिलीं सुविधाएं
राष्ट्रीय राजधानी में तैनात अपने अधिकारियों को संबंधित राज्य सरकार द्वारा आवास समेत कई सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. इनमें आवास प्रमुख होता है. केंद्रीय पॉलिटिकल पावर सेंटर यानी संसद के राजधानी में होने के चलते तमाम जनप्रतिनिधि और राजनेताओं के अलावा बड़े पैमाने पर सरकारी अधिकारियों और गणमान्य लोगों को भी दिल्ली का दौरा करना पड़ता है. इसलिए, आमतौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के भीतर प्रमुख स्थान पर राज्यों का अपना घर या स्टेट हाउस होता है.
दिल्ली में बैठकों, आधिकारिक कार्यों और आवास के लिए राज्यों के घर
स्टेट हाउस या राज्यों के अपने भवन से राजधानी में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले एक समर्पित स्थान, आवास या दफ्तर पर रहते हुए केंद्र सरकार, सुप्रीम कोर्ट, संसद समेत तमाम प्रशासनिक कार्यों तक उन राज्यों के गणमान्य लोगों के लिए आसान पहुंच मिलती है. राज्यों के भवन या घर उनके प्रतिनिधियों को राजधानी के दौरे के दौरान सरकारी कार्यालयों तक पहुंचने और राष्ट्रीय स्तर की चर्चाओं में भाग लेने के लिए एक सुविधाजनक केंद्रीय जगह की सुविधा प्रदान करता है. अक्सर बैठकों, आधिकारिक कार्यों और आवास के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है.
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देश की राजधानी में राज्यों के प्रतिनिधित्व के अलावा और भी कई वजह
इन सब जरूरी कारणों के अलावा राजधानी में राज्यों के प्रतिनिधित्व के लिए भी प्रत्येक राज्य सरकार दिल्ली के भीतर अपना एक समर्पित घर या भवन रखती है. यह राजधानी में राज्यों के अधिकारियों के दौरे के दौरान उनके लिए आधार के रूप में काम करता है. यह भवन राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच सुचारू समन्वय और संचार की सुविधा प्रदान करती है. इसके अलावा, प्रोटोकॉल और प्रतिष्ठा के लिहाज से भी राज्य के घरों या स्टेट हाउस को अक्सर राष्ट्रीय राजधानी के भीतर एक राज्य की उपस्थिति और महत्व का प्रतीक माना जाता है.
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नए राज्यों के निर्माण के कारण दिल्ली में उनके भवनों की संख्या भी बढ़ी
देश में नए-नए राज्यों के निर्माण के कारण राजधानी में राज्यों के भवन की संख्या बढ़ाने की स्थिति सामने आती जा रही है. इसके लिए दिल्ली-एनसीआर में जगह तय करने की प्रक्रिया में कई मंत्रालयों और विभागों के साथ अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड (NCRPB) भी शामिल होती है. राजधानी दिल्ली में राज्यों के भवन के लिए जमीन का आवंटन और निर्माण की प्रक्रिया ढेर सारे क्लीयरेंस की वजह से बेहद धीमी होती है. यही कारण है कि उत्तराखंड और झारखंड जैसे कई राज्यों को काफी इंतजार करना पड़ा.