Jharkhand Results: वोट 10 फीसदी कम, लेकिन JMM ने कैसे जीत ली BJP से 13 ज्यादा सीटें?
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Jharkhand Results: वोट 10 फीसदी कम, लेकिन JMM ने कैसे जीत ली BJP से 13 ज्यादा सीटें?

Jharkhand Assembly Election 2024 Results: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे के मुताबिक, आदिवासी बहुल राज्य सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाले सत्तारुढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार चार सीटों का फायदा हुआ है. विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को इतनी ही सीटों का नुकसान उठाना पड़ा है.

 Jharkhand Results: वोट 10 फीसदी कम, लेकिन JMM ने कैसे जीत ली BJP से 13 ज्यादा सीटें?

How JMM Win 13 More Seats Than BJP: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे ने हेमंत सोरेन के मुकाबले करारी हार के बावजूद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को संतोष करने का एक बहाना दे दिया. झारखंड में सत्ता से दूर रह गई भाजपा वोट शेयर के मामले में सबसे आगे रही. वहीं, भाजपा के मुकाबले 10 फीसदी कम वोट शेयर पाने के बावजूद सत्तारुढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने उससे 13 अधिक सीटों पर कब्जा कर लिया.

झारखंड में दोबारा सबसे ज्यादा वोट शेयर, लेकिन भाजपा ने गवाईं 4 सीटें

आदिवासी बहुल राज्य झारखंड में भाजपा (BJP) को भले ही एक बार फिर राज्य में सबसे ज्यादा वोट शेयर हासिल हुआ, लेकिन उसे पिछली बार के मुकाबले चार सीटों का नुकसान झेलना पड़ा है. वहीं, झारखंड में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाले झामुमो (JMM) को पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार चार सीटों का ही फायदा हुआ है. जबकि भाजपा के मुकाबले झामुमो को 13 सीटें ज्यादा मिली हैं. आइए, जानते हैं कि हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने कैसे ये कामयाबी हासिल की?

झामुमो का अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन, करीब 80 प्रतिशत स्ट्राइक रेट

इंडिया गठबंधन में हुए सीटों के बंटवारे के तहत झामुमो ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ा और 34 सीटों पर जीत हासिल की. साल 2019 में इतनी ही सीटों पर लड़कर झामुमो ने 30 सीटों पर कब्जा किया था. 79 प्रतिशत से अधिक स्ट्राइक रेट के साथ यह झामुमो का अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन है. झामुमो को 23.44 प्रतिश वोट शेयर मिले हैं. अपने वोट शेयर में भी झामुमो ने इस बार अच्छी बढ़त हासिल की है. पिछली बार 2019 में उसे 18.72 फीसदी वोट मिले थे.

हेमंत सोरेन की अगुआई में इंडिया गठबंधन की लगातार दूसरी बार शानदार जीत 

झारखंड में हेमंत सोरेन की अगुआई में 'इंडिया' गठबंधन ने लगातार दूसरी बार शानदार जीत हासिल की. झामुमो की सहयोगी कांग्रेस को 15.56 फीसदी से अधिक और राजद को 3.44 फीसदी वोट हासिल हुए. वहीं, भाजपा ने सबसे अधिक 33.18 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया है. पिछली बार 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को करीब 34 और 2014 के चुनावी नतीजे में 31.26 फीसदी वोट शेयर मिले थे. 

झारखंड में भाजपा को लगातार दूसरी बार विपक्ष में ही रहने का जनादेश

विधानसभा चुनाव 2014 में सरकार बनाने वाली भाजपा को 2019 में झारखंड में विपक्ष में रहना पड़ा था. पांच साल पहले 2019 में भाजपा को अकेले लड़कर 25 सीटों पर जीत मिली थीं, जबकि इस बार गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने के बावजूद उसे 21 सीटें ही मिल पाई है. वोट शेयर में मामूली गिरावट और चार सीटों पर नुकसान उठाकर भाजपा को विपक्ष में ही रहने का जनादेश मिला है.

अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित 28 सीटों का दिखा बड़ा असर 

झारखंड में भाजपा के मुकाबले 13 अधिक सीटें जीतने वाली झामुमो और उसके सहयोगियों ने अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 28 सीटों में से 23 से ज्यादा सीटें जीत ली. झारखंड की आबादी में आदिवासी मतदाताओं की संख्या करीब 27 फीसदी है. विधानसभा चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के मामले में हेमंत सोरेन के जेल जाने, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और जमानत पर बाहर आने पर फिर मुख्यमंत्री बनने के बाद चंपई सोरेन की बगावत वगैरह ने आदिवासी मतदातों के बीच सहानुभूति की लहर झामुमो की ताकत बन गई.

झारखंड में काम नहीं आया भाजपा समेत विपक्षी दलों का आक्रामक प्रचार

झारखंड में विपक्षी दल भाजपा ने आक्रामक अभियान चलाकर सरकार पर आरोप लगाया कि घुसपैठिए राज्य की जनसांख्यिकी को बदल रहे हैं और जमीन और नौकरियों पर कब्जा कर रहे हैं, लेकिन वह चुनावी नारा बनकर रह गया. झामुमो के संस्थापक सदस्य, दूसरे नंबर का कद रखने वाले, वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन का भाजपा में शामिल होना भी झामुमो के लिए फायदेमंद रहा. आदिवासी मतदाताओं ने इसे भी हेमंत सोरेन को परेशान करने का एक तरीका माना. 

झारखंड में सबसे बड़े आदिवासी चेहरा बने हेमंत, भाजपा में नहीं दिखा विकल्प

लोकसभा चुनाव 2024 में भी झारखंड में भाजपा ने सभी आदिवासी सीटें खो दी थीं. विधानसभा चुनाव के नतीजे में भी कमोबेश उसका ही दोहराव दिखा. विपक्ष के पास हेमंत सोरेन के मुकाबले आदिवासी चेहरे का नहीं होना, विपक्ष का परिवारवाद और भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बना पाने में नाकाम होना और एनडीए के स्थानीय नेताओं के आपसी सामंजस्य की कमी भी झामुमो की करिश्माई जीत की बड़ी वजह बनकर उभरी.

झारखंड के पांचों सियासी क्षेत्रों में कैसे रहे नतीजे? झामुमो ने कहां-कहां पलटी बाजी?

कुल 81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड में कुल 24 जिले को सियासी रूप से पांच क्षेत्रों में बंटा गया है. इन क्षेत्रों के आधार पर ही सत्ता के समीकरण बनते और बिगड़ते रहे हैं. इनमें संथाल परगना, कोल्हान, पलामू, उत्तर छोटानागपुर और दक्षिण छोटानागपुर शामिल हैं. झारखंड के क्षेत्रवार नतीजों पर नजर डालें तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के गढ़ संथाल परगना में झामुमो को बड़ी जीत मिली. कोल्हान टाइगर कहे जाने वाले चंपाई सोरेन को पार्टी लाने के बावजूद कोल्हान क्षेत्र में भाजपा की उम्मीदों को झटका लगा. झामुमो ने पिछली बार यहां सर्वाधिक 11 सीटें जीती थीं. इस बार भी 10 सीटें मिली.

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उत्तर छोटानागपुर में पिछले विधानसभा चुनाव से एक सीट ज्यादा जीतकर भाजपा सभी दलों पर भारी रही. दक्षिण छोटानागपुर इलाके कुल 15 सीटों में से झामुमो और कांग्रेस ने पिछली बार 4-4 सीटें जीती थीं जो इस बार बढ़कर 7 और 6 हो गया है. वहीं, सीटों के लिहाज से झारखंड के सबसे छोटे क्षेत्र पलामू की कुल 9 विधानसभा सीटों में से सबसे ज्यादा 4 सीटें जीतने के बावजूद भाजपा पिछली बार से 1 कम सीट जीत पाई. 

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झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा और जयराम महतो से एनडीए को नुकसान

अब झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JKLM) बनाकर विधानसभा चुनाव में उतरे युवा नेता जयराम महतो ने झारखंड में आदिवासियों के बाद दूसरे बड़े जाति समूह कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगाकर भाजपा और उसके सहयोगी आजसू की ताकत को बिखरा दिया. सिर्फ अपनी एक सीट जीतने वाले जयराम महतो ने डुमरी, सिल्ली, रामगढ़, बेरमो, सिंदरी, खरसावां, चंदनकियारी, गोमिया, ईचागढ़ और तमाड़ सीटों पर बड़ा उलटफेर कर एनडीए के मुकाबले झामुमो गठबंधन को बड़ी मदद पहुंचाई. जेकेएलएम ने झारखंड में 71 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. इन सभी सीटों पर विरोधी नेताओं ने उसे झामुमो का शैडो बताया था. 

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