Explainer: पहली परीक्षा में PK और जन सुराज फेल, बिहार की 4 सीटों पर उपचुनाव में दावे और नतीजे में कितना फर्क?
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Explainer: पहली परीक्षा में PK और जन सुराज फेल, बिहार की 4 सीटों पर उपचुनाव में दावे और नतीजे में कितना फर्क?

Bihar By-elections 2024 Results: चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी को अपनी चुनावी शुरुआत में ही नाकामी का सामना करना पड़ा. बिहार की चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में उनके उम्मीदवार बुरी तरह हार गए. हालांकि, अगले साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले अपनी सियासी हैसियत का आकलन करने और कई जमीनी सबक सीखने में पीके जरूर कामयाब हो सकते हैं. 

Explainer: पहली परीक्षा में PK और जन सुराज फेल, बिहार की 4 सीटों पर उपचुनाव में दावे और नतीजे में कितना फर्क?

Prashant Kishor And Jan Suraaj Party: बिहार की चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आने के साथ ही चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी को पहली परीक्षा में ही फेल करार दिया जाने लगा है. बिहार उपचुनाव में प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी खाता खोलने में ही नहीं बल्कि कोई असर छोड़ने में भी नाकाम रही. उनके सभी चार उम्मीदवार हार गए. उनमें से तीन की जमानत जब्त हो गई.

बड़े-बड़े दावे के बावजूद क्यों फेल हो गई जन सुराज पार्टी?

प्रशांत किशोर ने इसी साल गांधी जयंती (2 अक्टूबर)  को जब अपनी जन सुराज पार्टी की शुरुआत की थी, तब उन्होंने कहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे. इसके साथ ही उनकी पार्टी ने घोषणा की थी कि वह चुनावी लड़ाई की अपनी शुरुआत करते हुए सभी चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ेगी. हालांकि, जन सुराज पार्टी अपने पहले ही चुनाव में बड़े-बड़े दावे करने के बावजूद कोई सीट जीत पाने में फेल हो गई.

पहली परीक्षा में ही नाकामी के बाद प्रशांत बोले- निराश नहीं हैं

बिहार उपचुनाव में अपनी पहली परीक्षा में ही नाकाम होने और जन सुराज पार्टी की हार पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वे हार से निराश नहीं हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने वोट शेयर को 40 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे. किशोर ने कहा, “हमारी पार्टी सिर्फ़ एक महीने पुरानी है और हमें चुनाव से दस दिन पहले ही चुनाव चिन्ह मिला है. चुनाव ऐसे इलाके में हुए, जहां जन सुराज यात्रा नहीं हुई और पार्टी अपना आधार बना रही थी. फिर भी हमें कुल 10 प्रतिशत वोट मिले.”

'एक साल लगे या 5 साल... हासिल करेंगे 40 प्रतिशत वोट शेयर'

प्रशांत किशोर ने आगे कहा, “इमामगंज, बेलागंज, रामगढ़ और तरारी विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में जन सुराज पार्टी के खराब प्रदर्शन की मैं पूरी ज़िम्मेदारी लेता हूं. वोट प्रतिशत उम्मीद से कम रहा. लेकिन मैं पीछे नहीं हटूंगा और इसे 40 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए अपना प्रयास जारी रखूंगा, चाहे इसके लिए एक साल लगे या पांच साल. यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा जल्दी हो.” 2 अक्टूबर, 2022 से लगभग दो वर्षों में पूरे बिहार में 5,000 किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा और लोगों से बातचीत कर चुके प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ताओं से निराश नहीं होने की अपील की.

क्या बिहार उपचुनाव के लिटमस टेस्ट में फेल हुई जन सुराज पार्टी?

बिहार की चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में प्रशांत किशोर के उम्मीदवार बुरी तरह हार गए. जन सुराज पार्टी ने इमामगंज, बेलागंज, रामगढ़ और तरारी निर्वाचन क्षेत्रों से क्रमशः जितेंद्र पासवान, मोहम्मद अमजद, सुशील कुमार सिंह और किरण सिंह को मैदान में उतारा था. 13 नवंबर को उपचुनाव के लिए औसतन 53 प्रतिशत मतदान हुआ. जन सुराज पार्टी के सभी उम्मीदवार बेहद खराब चुनाव प्रदर्शन के साथ अपनी-अपनी सीटों पर बहुत बड़े अंतर से चुनाव हार गए. बिहार की चार सीटों पर उपचुनाव में जन सुराज पार्टी की बुरी तरह हारने को उसके लिटमस टेस्ट में फेल होना बताया जा रहा है. 

प्रशांत किशोर के प्रत्याशियों का चारों सीटों पर कैसा रहा प्रदर्शन?

प्रशांत किशोर ने बेलागंज से मोहम्मद अमजद को उम्मीदवार बनाया था. वह तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 17,285 वोट मिले. इस सीट से जदयू उम्मीदवार मनोरमा देवी ने 73,334 वोटों के साथ चुनाव जीता. इमामगंज में प्रशांत किशोर ने जितेंद्र पासवान को टिकट दिया था. वह तीसरे स्थान पर रहे. उन्हें 37,103 वोट मिले. इस सीट से केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी चुनाव जीतीं और उन्हें 53,435 वोट मिले. 

रामगढ़ में जन सुराज के सुशील कुमार सिंह मैदान में थे, लेकिन चौथे स्थान पर रहे. उन्हें 6,513 वोट मिले. भाजपा उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह ने यह सीट जीती और उन्हें 62,257 वोट मिले. तरारी में प्रशांत किशोर ने किरण सिंह को मैदान में उतारा था, लेकिन वे 5,592 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहीं. पूर्व विधायक और कद्दावर नेता सुनील पांडेय के बेटे भाजपा उम्मीदवार विशाल प्रशांत ने चुनाव जीता और उन्हें 78,564 वोट मिले.

जन सुराज के चारों उम्मीदवारों में कोई करीबी मुकाबले तक में नहीं

बिहार उपचुनाव में जन सुराज द्वारा उतारे गए चारों उम्मीदवारों में से कोई भी करीबी मुकाबले में भी नहीं था. उपचुनाव के नतीजे आने पर रामगढ़ और तरारी में भाजपा ने जीत दर्ज की, जबकि बेलागंज और इमामगंज में क्रमश: जदयू और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने जीत दर्ज की. इस तरह चारों सीटों पर बिहार और केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए का कब्जा रहा. इनमें से तीन सीटें तरारी, रामगढ़ और बेलागंज पहले विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन (इंडिया) के पास थीं और इमामगंज सीट एनडीए के पास थी.

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बिहार उपचुनाव के नतीजे के बाद जन सुराज से अधिक राजद में मातम 

रामगढ़ और बेलागंज पर पहले कब्जा करने वाली राजद इस बार एक भी सीट नहीं जीत पाई. पिछले दो कार्यकाल से तरारी पर कब्जा करने वाली भाकपा (माले) इस बार सीट बचाने में विफल रही. भाजपा के विशाल प्रशांत ने भाकपा (माले) के राजू यादव को हराकर जीत दर्ज की. रामगढ़ में भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सतीश सिंह यादव उर्फ ​​पिंटू यादव को हराया. राजद के अजीत सिंह यहां तीसरे स्थान पर रहे. इमामगंज में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उम्मीदवार रोशन मांझी हारे. बिहार में उपचुनाव के नतीजे के बाद राजद कार्यालय में मातम छाया हुआ रहा. 

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जदयू का नहीं, राजद का काफी ज्यादा नुकसान कर बैठी जन सुराज पार्टी

उपचुनाव में हार के बाद राजद नेताओं ने एनडीए से ज्यादा प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी पर निशाना साधा. बेलागंज में राजद उम्मीदवार ने कहा कि कुछ युवा मिस गाइड हुए हैं. इसके बारे में विचार करेंगे. क्योंकि बिहार में लालू यादव और नीतीश कुमार का विकल्प बनने का दावा करने वाले प्रशांत किशोर ने जदयू का तो नहीं, लेकिन राजद का काफी ज्यादा नुकसान कर दिया. प्रशांत किशोर की पहली परीक्षा यानी उपचुनाव में चारों सीटों पर राजद जितने वोटों से हारा है, जन सुराज पार्टी ने उससे कहीं ज्यादा वोट हासिल किया है. राजद के लिए 2025 से पहले ही प्रशांत किशोर बड़ी चुनौती बन गए हैं.

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