कौन बना भारत में सबसे कम उम्र का पैंक्रियाटिक डोनर? मरकर भी दे गया 4 लोगों को नई जिंदगी
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कौन बना भारत में सबसे कम उम्र का पैंक्रियाटिक डोनर? मरकर भी दे गया 4 लोगों को नई जिंदगी

केन्या का 2 साल का बच्चा लुंडा कायुम्बा, जिसे प्यार से 'प्रॉस्पर' बुलाया जाता था, उसने अपनी मौत के बाद भी भारत में इतिहास रच दिया है. दुख की घड़ी में उसके पैरेंट्स ने लोगों की जिंदगी बचाने वाला फैसला लिया.

कौन बना भारत में सबसे कम उम्र का पैंक्रियाटिक डोनर? मरकर भी दे गया 4 लोगों को नई जिंदगी

Kenyan Boy 'Prosper' Becomes Youngest Pancreatic Donor In India: ऑर्गन डोनेशन लोगों की जान बचाने की तरफ एक बेहद जरूरी कदम है, कुछ लोग जीते जी अंगदान करते हैं, तो लोग मौत के बाद ये पुण्य काम करके लोगों के दिलों में हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं. कई बार तो ऑर्गन डोनेशन को लेकर वर्ल्ड रिकॉर्ड तक बन जाता है. ऐसा ही कुछ मामला भारत के सबसे खूबसूरत शहरों में एक चंडीगढ़ में सामने आया, जिसकी हर तरफ तारीफें हो रही हैं.

मरहूम 'प्रॉस्पर' ने दी नई जिंदगी
चंडीगढ़ (Chandigarh)) के पीजीआईएमईआर (PGIMER) अस्पताल में 2 साल का मरहूम बच्चा 'प्रॉस्पर' (Prosper) दुनिया का सबसे कम उम्र का पैंक्रियाटिक डोनर बना. बच्चे का असली नाम लुंडा कायुम्बा (Lunda Kayumba) है. उसकी वजह से किडनी फेलियर के 2 मरीजों को नई जिंदगी मिल गई. एक रोगी को एक साथ पैंक्रियास और किडनी का प्रत्यारोपण किया गया और दूसरे में किडनी ट्रांसप्लांट की गई. 

फैमली ने लिया बड़ा फैसला

प्रॉस्पर की फैमिली ने अपने बेटे के अंग दान करने का निस्वार्थ फैसला लिया, जिससे 2 और लोगों को 'आंखों की रोशनी' का तोहफा भी मिला. इस तरह लुंडा कायुम्बा के परिवार की उदारता ने 4 लोगों की जिंदगी में नई उम्मीदें जगाई दी ये पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में पहला इंटरनेशनल ऑर्गन डोनेशन का मामला था.

प्रॉस्पर के परिवार ने अपने दर्द के बीच दूसरों की जिंदगी में रोशनी लाने का मुश्किल लेकिन बहादुरी भरा फैसला लिया. पीजीआईएमईआर के डायरेक्टर प्रो. विवेक लाल (Prof. Vivek Lal) ने गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "ये मामला अंगदान की अहमियत को उजागर करता है. इतनी कम उम्र में जिंदगी खोना बेहद दुखद है, लेकिन प्रोस्पर के परिवार का ये फैसला हमें दयालुता और सेवा की एक अनोखी मिसाल देता है, जो निराशा के क्षणों में भी दूसरों को जिंदगी का तोहफा दे सकता है."

हादसे में गई थी जान

17 अक्टूबर को  प्रॉस्पर एक हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था और उसे तुरंत पीजीआईएमईआर लाया गया, लेकिन 26 अक्टूबर को उसे ब्रेन-डेड डिक्लेयर कर दिया गया. गहरे दुख के बावजूद, प्रोस्पर के परिवार ने उसके ऑर्गन को डोनेट करने का फैसला लिया, जिससे वो देश के सबसे कम उम्र का पैंक्रियास दानकर्ता बन गया।

"टूट गया दिल, फिर भी है सुकून"

मरहूम बच्चे प्रॉस्पर की मां जैकलीन डायरी (Jackline Diary) ने बताया, "हमारा दिल टूट गया है, लेकिन इस बात का सुकून है कि हमारे बेटे के ऑर्गन्स दूसरों को नई जिंदगी देंगे. इस तरह हम उसकी यादों को जिंदा रख सकते हैं और दूसरों को उम्मीद दे सकते हैं."

4 लोगों को मिली जीने की उम्मीद

पीजीआईएमईआर के मेडिकल सुपरिटेंडेंट  प्रो. विपिन कौशल (Prof Vipin Koushal) ने बताया कि केन्याई उच्चायोग (Kenya High Commission) से जरूरी क्लीयरेंस मिलने के बाद पीजीआईएमईआर की टीम ने एक मरीज को एक साथ पैंक्रियास और किडनी का प्रत्यारोपण किया, जबकि दूसरे मरीज को किडनी दी गई. इसके अलावा प्रोस्पर की आंखों के कॉर्निया के डोनेशन से 2 अन्य लोग फिर से देखने के काबिल हो सकेंगे, जिससे 4 लोगों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया है.

(इनपुट-आईएएनएस)

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