77 साल पहले की वो तारीख जब भारत को मिला 'मुकुट' और कश्मीर हो गया हिंदुस्तान का
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77 साल पहले की वो तारीख जब भारत को मिला 'मुकुट' और कश्मीर हो गया हिंदुस्तान का

How Kashmir Became Part of India: परिस्थितियों को देखते हुए कश्मीर के राजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को अपने राज्य को भारत में मिलाने का फैसला किया. इस समझौते पर दस्तखत होते ही भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर पहुंचकर हमलावर पड़ोसी की सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

77 साल पहले की वो तारीख जब भारत को मिला 'मुकुट' और कश्मीर हो गया हिंदुस्तान का

Kashmir History: साल के दसवें महीने की 26 तारीख देश का ऐतिहासिक और भौगोलिक स्वरूप तय करने में बेहद खास है. यह उन दिनों की बात है, जब 1947 में बंटवारे की आंच अभी ठंडी भी नहीं हुई थी. हर तरफ अफरा-तफरी और अनिश्चितता का माहौल था. ऐसे में हमसाया देश आक्रामक हो उठा और बंटवारे के बाद अस्तित्व में आए पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया.

परिस्थितियों को देखते हुए कश्मीर के राजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को अपने राज्य को भारत में मिलाने का फैसला किया. इस समझौते पर दस्तखत होते ही भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर पहुंचकर हमलावर पड़ोसी की सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. इस लड़ाई में कश्मीर का कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया. कश्मीर आज तक दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी की वजह बना हुआ है. ये छोटी स्टोरी तो आपने सुनी होगी. अब आपको विस्तार से बताते हैं कि कैसे कश्मीर भारत का हिस्सा बना. 

देश झेल रहा था बंटवारे का दर्द

भारत को जब आजादी मिली तो वह टुकड़ों में बंटा हुआ था. अलग-अलग रियासतें. सबके अपने-अपने मसले. देश बंटवारे का दर्द झेल ही रहा था. उस वक्त जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर के शासकों ने भारत के साथ विलय नहीं किया था. जूनागढ़ में जब भारत ने जनमत संग्रह कराया तो वहां के लोगों ने हिंदुस्तान के साथ जाने का फैसला किया. 9 नवंबर 1947 को भारत का हिस्सा जूनागढ़ बन गया. इसके बाद सेना ने एक्शन लिया और हैदराबाद का निजाम का गुरूर टूट गया और 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद भी भारत का हिस्सा बन गया. 

पेच फंस रहा था जम्मू-कश्मीर पर. 1947 में जम्मू-कश्मीर ने स्टैंड स्टिल एग्रीमेंट पर दस्तखत किए थे. पाक ने यह प्रस्ताव मान लिया.लेकिन भारत को आपत्ति थी. 24 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान के कबायली लड़ाकों ने कश्मीर पर हमला कर दिया. कश्मीर की सिक्योरिटी को लेकर वहां के राजा हरिसिंह भी दुखी थे.

सेना ने कबायलियों को खदेड़ा

उन्होंने मदद के लिए भारत सरकार के आगे गुहार लगाई. चूंकि भारत में कश्मीर का विलय नहीं हुआ था, ऐसे में तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने कहा था कि भारतीय सेना कश्मीर की कोई मदद नहीं कर सकती. फिर क्या था. 26 अक्टूबर 1947 को महाराजा हरिसिंह ने भारत के साथ विलय पर दस्तखत कर दिए और भारतीय सेना ने कबायलियों को खदेड़ दिया. 

इसके बाद 1948 में कश्मीर का मुद्दा पहली बार यूएन पहुंचा. भारत ने इसका डटकर विरोध किया और कहा कि पाकिस्तान ने कश्मीर के कुछ हिस्सों पर बलपूर्वक कब्जा कर लिया है. इसके बाद यूएन के संकल्प में भारत और पाकिस्तान से सीजफायर और दोबारा जनमत संग्रह करने को कहा गया.  जम्मू-कश्मीर में पहली बार अंतरिम सरकार का गठन हुआ और शेख अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री घोषित किया गया. 

सवा साल तक चला युद्ध

31 दिसंबर 1948 को सवा साल तक चला युद्ध खत्म हो गया और एक तिहाई कश्मीर का हिस्सा गया पाकिस्तान के पास और दो तिहाई भारत के हिस्से में आया. लेकिन इसके बाद से आजतक कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव का मुद्दा बना हुआ है. घाटी से 370 भी खत्म हो चुका है और अब कश्मीर एक नई राह पर आगे बढ़ रहा है. 

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