अमरावती हिंसा: क्या है 'रजा अकादमी' का इतिहास? आजाद मैदान के दंगों में भी आया था नाम
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अमरावती हिंसा: क्या है 'रजा अकादमी' का इतिहास? आजाद मैदान के दंगों में भी आया था नाम

History Of Raza Academy: मुंबई के आजाद मैदान के दंगों में रजा अकादमी का नाम सामने आया था. वैक्सीन के खिलाफ भी रजा अकादमी फतवा जारी कर चुकी है.

रजा अकादमी का प्रदर्शन (फाइल फोटो) | साभार- पीटीआई.

अमरावती: त्रिपुरा (Tripura) में हिंसा की अफवाह को लेकर महाराष्ट्र (Maharashtra) के तीन शहरों अमरावती (Amarawati), नांदेड़ (Nanded) और मालेगांव (Malegaon) में हिंसा भड़क गई. इस बीच बीजेपी विधायक नितेश राणे (Nitesh Rane) ने रजा अकादमी (Raza Academy) को आतंकवादी संगठन कहा है और उसपर बैन लगाने की मांग की है. नितेश राणे ने कहा कि रजा अकादमी ही अमरावती, नांदेड़ और मालेगांव में हुई हिंसा की जिम्मेदार है. इस खबर में जानिए रजा अकादमी का इतिहास क्या है?

  1. फ्रांस के खिलाफ रजा अकादमी ने किया था प्रदर्शन
  2. रजा अकादमी ने सऊदी अरब का किया था विरोध
  3. WHO को लेटर लिख चुकी है रजा अकादमी

रजा अकादमी का इतिहास

बता दें कि रजा अकादमी की स्थापना 1978 में अलहज मोहम्मद सईद नूरी ने की थी. नूरी 1986 से रजा अकादमी के अध्यक्ष रहे. रजा अकादमी की स्थापना सुन्नी विद्वानों की विशेष रूप से इमाम-ए-अहमद रजा खान कादरी और अन्य की पुस्तकों को प्रकाशित करने के लिए की गई थी. उर्दू, अरबी, हिंदी और अंग्रेजी में विभिन्न इस्लामी विषयों की कई सौ किताबें रजा अकादमी ने प्रकाशित की हैं.

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रजा अकादमी का मकसद

रजा अकादमी का नाम बरेली से आने वाले धार्मिक गुरु इमाम अहमद रजा खान के नाम पर रखा गया. रजा अकादमी मुस्लिम धर्म से जुड़ी किताबों को छापने और लोगों तक पहुंचाने का काम करती है. संस्था की शुरुआत का असली मकसद मुस्लिम धर्म की किताबों का पब्लिकेशन करना, धर्मिक किताबों को पूरी दुनिया के लोगों तक पहुंचाना, मदरसे और दीन से जुड़ी किताबों का ट्रांसलेशन करना था. जब रजा अकादमी को बनाया गया तब ये एक एजुकेशन सोसाइटी थी. इसका रजिस्ट्रेशन भी रजा वेलफेयर सोसायटी के नाम से हुआ था. धीरे-धीरे ये एक सोशल आर्गेनाइजेशन बन गई. मुस्लिम समाज से जुड़े हर मुद्दे पर अपनी राय रखने लगी. ये मुस्लिम लोगों को उस मुद्दे पर एकजुट करने का काम करने लगी. रजा अकादमी का नाम चर्चा में तब आया जब मुंबई के आजाद मैदान मे दंगे हुए.

आजाद मैदान के दंगों में रजा अकादमी का नाम

मुंबई के आजाद मैदान में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी असम में हुई हिंसा और म्यांमार में रोहिंग्या के साथ हिंसा को लेकर विरोध प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे. बड़े पैमाने पर आगजनी की गई थी, अमर जवान की मूर्ति को तोड़ा गया था. पुलिस वालों के साथ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी. घटना में 2 लोगों की मौत हुई थी जबकि 50 से ज्यादा पुलिस के जवान घायल हो गए थे. पुलिस का अनुमान है इस घटना में ढाई करोड़ से ज्यादा की प्राइवेट और सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ था.

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पुलिस का कहना था कि उन्हें बताया गया कि विरोध प्रदर्शन के लिए सिर्फ 1500 लोग ही आएंगे और लेकिन जो भीड़ इकट्ठा हुई वो 40,000 के आसपास थी. उस वक्त मुंबई शहर के पुलिस कॉमिशनर अरूप पटनायक थे, घटना के बाद उनका तबादला हो गया था. रजा अकादमी महाराष्ट्र में मुस्लिमों के लिए नौकरियों और शिक्षा में 5 फीसदी रिजर्वेशन की मांग करती है.

इसके अलावा रजा अकादमी सभी राज्य सरकारों से मुहम्मद पैगम्बर बिल पास करने की भी मांग कर चुकी है. जिसके मुताबिक इस्लाम धर्म और पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने वाले के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान होना चाहिए. तमिल वेब सीरीज नवरस को पवित्र कुरान का अपमान करने के लिए बैन किए जाने की मांग भी रजा अकादमी ने की थी.

रजा अकादमी ने प्रो इजराइल रवैये के लिए सऊदी अरब का विरोध किया था. रजा अकादमी ने ईरानी फिल्म मोहम्मद द मैसेंजर पर रोक की मांग भी की थी. रजा अकादमी ने फ्रांस के विरोध से लेकर भारत में कोरोना की वैक्सीन को लेकर भी फतवा जारी किया था. रजा अकादमी वैक्सीन को लेकर WHO तक को लेटर लिख चुकी है. रजा अकादमी ने कहा था कि पहले सरकार या वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ये बताए कि वैक्सीन में क्या-क्या मिलाया गया है? उसके बाद ही वो मुस्लिम समाज के लोगों को वैक्सीन लेने के लिए कहेंगे.

जब केंद्र सरकार की तरफ से ट्रिपल तलाक को लेकर बिल पास किया गया तो रजा अकादमी ने इसका विरोध किया और कहा कि सरकार उनके धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रही है. मशहूर संगीतकार एआर रहमान को लेकर भी रजा अकादमी फतवा जारी कर चुकी है.

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