Amarnath Yatra big truth: अमरनाथ धाम का दर्शन हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए किसी सपने के सच होने जैसा होता है. बाबा बर्फानी की एक झलक पाने के लिए हर साल लाखों भक्त अमरनाथ यात्रा पर निकलते हैं. सालों से चली आ रही इस धार्मिक यात्रा को लेकर कई कहानियां हैं.
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Amarnath Yatra big truth: अमरनाथ धाम का दर्शन हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए किसी सपने के सच होने जैसा होता है. बाबा बर्फानी की एक झलक पाने के लिए हर साल लाखों भक्त अमरनाथ यात्रा पर निकलते हैं. सालों से चली आ रही इस धार्मिक यात्रा को लेकर कई कहानियां हैं. आज हम आपको बाबा बर्फानी की खोज से जुड़ी सालों से फैलाई जा रही एक झूठी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं.
पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा
पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा के लिए लोग सालों से तैयारी करते हैं. कई ऐसे भक्त हैं जो हर साल बाबा के दर्शन करने जाते हैं. इस धार्मिक यात्रा में तमाम जटिलताओं को पार करते हुए बाबा बर्फानी के दर्शन कर भक्त खुद को धन्य मानते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2023 में 5 लाख से अधिक यात्रियों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे.
सदियों से फैलाई गई झूठी कहानी
अब आपको अमरनाथ यात्रा से जुड़ी उस झूठी कहानी के बारे में बताते हैं जिसे सदियों से सच साबित करने की कोशिश की गई. हो सकता है आपने भी सुना हो कि बाबा बर्फानी की खोज एक मुस्लिम गड़ेरिये ने की थी. गड़ेरिया का नाम बूटा मलिक था. हकीकत से अंजान लोग हमेशा से दावा करते रहे हैं कि बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा 1850 में खोजी गई थी और इसे पहली बार बूटा मलिक ने देखा था.
मुस्लिम गड़ेरिये के दावे का झूठा सच
लेकिन इतिहास के पन्नों में दर्ज तथ्यों को जानने के बाद उन लोगों की आंखें खुल जाएंगी जो मुस्लिम गड़ेरिये की कहानी को सच मानते हैं. अमरनाथ यात्रा और भगवान शिव के हिमलिंग के साक्ष्य 18वीं सदी से भी सदियों पुराने हैं. इसका जिक्र धार्मिक ग्रंथों में विस्तार से किया गया है. अमरनाथ की पवित्र गुफा का जिक्र 5वीं शताब्दी में लिखे गए लिंग पुराण में है. 12वीं शताब्दी में कश्मीर पर लिखे गए ग्रन्थ राजतरंगणि में भी बाबा बर्फानी की गुफा का जिक्र है. 16वीं शताब्दी में अकबर के शासन पर लिखी गई आइन ए अकबरी में भी अमरनाथ की पवित्र गुफा के बारे में बताया गया है. 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के फ्रेंच डॉक्टर फ्रैंकोइस बेरनर की किताब और 1842 में ब्रिटिश यात्री GT vegne की किताब में भी अमरनाथ गुफा और भगवान शिव के हिमलिंग के साक्ष्य मिलते हैं. इन किताबों में अमरनाथ गुफा और भगवान शिव के हिमलिंग का विस्तृत वर्णन है.
इन श्लोकों में है पवित्र गुफा का जिक्र
पांचवी शताब्दी में लिखे गए लिंग पुराण के 12वें अध्याय के 487 नंबर पेज पर 151 वां श्लोक अरमनाथ यात्रा के साक्ष्य पर प्रकाश डालता है.
मध्यमेश्वरमित्युक्तं त्रिषु लोकेषु विश्रुतम् ।
अमरेश्वरं च वरदं देवैः पूर्वं प्रतिष्ठितम् ॥
श्लोक में अमरेश्वरं का अर्थ है, अमरनाथ में विराजमान बाबा बर्फानी जिन्हें अमरेश्वर नाम से भी जाना जाता है.
12 वीं शताब्दी में कश्मीर के प्राचीन इतिहासकार कलहड़ ने राजतरंगिणी ग्रन्थ लिखा था. जिसके 280 पेज पर 267वां श्लोक है.
दुग्धाव्धिधवलं तेन सरो दूरगिरी कृतम्।
अमरेश्वरयात्रायां जनरद्यापि दृश्यते ।।
अकबर-औरंगजेब के शासन में भी हुआ पवित्र गुफा का जिक्र
इन श्लोकों को पढ़कर आपको समझ आ गया होगा कि अमरनाथ यात्रा कितनी पुरानी है. ये भी यकीन हो गया होगा कि पवित्र गुफा को लेकर 1850 की खोज और मुस्लिम गड़ेरिये की कहानी कितनी झूठ है. आइन ए अकबरी के दूसरे खण्ड के पेज नंबर 360 में लिखा है कि गुफा में बर्फ की आकृति है जिसे अमरनाथ कहा जाता है. 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के शासन में फ्रेंच डॉक्टर फ्रैंकोइस बेरनर ने Travels in the Mogul Empire नाम से लिखी किताब में भी अमरनाथ गुफा का जिक्र किया है. इस किताब के 418 नंबर पेज पर अमरनाथ यात्रा और भगवान शिव के हिमलिंग और हिन्दू मान्यताओं के बारे में बताया गया है.
साल 2000 में लिया गया बड़ा फैसला
गौर करने वाली बात यह है कि साल 1850 में अमरनाथ यात्रा की खोज का मस्लिम गड़ेरिये का झूठा दावा सामने आने के बाद से साल 2000 तक बूटा मलिक के वंशज ही अमरनाथ गुफा की देख-रेख कर रहे थे. पवित्र गुफा के चढ़ावे का एक तिहाई हिस्सा भी बूटा मलिक के वंशजों को मिलता रहा था. साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अमरनाथ श्राइन बोर्ड का गठन हुआ और बूटा मलिक के वंशजों को अमरनाथ गुफा से अलग कर दिया गया.