Innovation: गरीब की बेटी ने किया कमाल, पहली बार में बना डाली ऐसी मशीन; वैज्ञानिक भी रह गए हैरान
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Innovation: गरीब की बेटी ने किया कमाल, पहली बार में बना डाली ऐसी मशीन; वैज्ञानिक भी रह गए हैरान

Latest Innovation: प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती. कोई भी बाधा प्रतिभा को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती हैं. जरूरत है तो बस प्रतिभाओं को मौका देने की. यह बात एक बार फिर चरितार्थ हुई है यूपी (UP) के बाराबंकी जिले में जहां एक सरकारी स्कूल की 8वीं क्लास में पढ़ने वाली बच्ची ने कमाल कर दिया.

सांकेतिक तस्वीर

Barabanki School Girl Innovation: यूपी (UP) के बाराबंकी जिले में एक मजदूर माता-पिता की संतान और झोपड़ी में रहकर पढ़ाई करने वाली बच्ची ने अपने माता-पिता और शिक्षकों का नाम रोशन किया है. गांव के एक सरकारी स्कूल की आठवीं क्लास में पढ़ने वाली पूजा ने धूल रहित थ्रेशर का मॉडल बनाकर कमाल कर दिया है. अपनी इस खोज के लिए पूजा का नाम अब इंस्पायर अवार्ड के लिए राष्ट्रीय स्तर पर नामित हुआ है.

जिले के सिरौली गौसपुर ब्लॉक के ग्राम अगेहरा की इस प्रतिभा को लोग सलाम कर रहे हैं. गांव की बेटी पूजा पूर्व माध्यमिक विद्यालय की छात्रा है. पूजा के पिता पुत्तीलाल दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. वहीं मां सुनीला देवी महीने में 1500 रुपये मानदेय पर उसी सरकार स्कूल में रसोईया हैं जहां पूजा पढ़ती है.

टीचर ने दिखाई राह

पूजा ने अपने साइंस के टीचर राजीव श्रीवास्तव की मदद से इंस्पायर अवार्ड के लिए आवेदन किया था. उसका धूल रहित थ्रेशर का मॉडल जिले स्तर के बाद अब प्रदेश स्तर के लिए चुना गया. इसके बाद अगले चरण में जब उसकी खोज का प्रदेश स्तर पर मूल्यांकन हुआ तब पूजा की बनाई मशीन को राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा के लिए चुन लिया गया.

प्रतिभा की हो रही चर्चा

आपको बता दें कि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से हर साल इंस्पायर अवार्ड दिया जाता है. इस अवार्ड का हिस्सा बनने के लिए सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 6ठी से 10वीं क्लास के बच्चों को जिला स्तर पर अपना साइंटिफिक मॉडल भेजना होता है. अब पूजा के थ्रेशर वाले मॉडल का मूल्यांकन देश के वरिष्ठ वैज्ञानिकों का डेलिगेशन करेगा. 

स्कूल में आ रही धूल से मिला आइडिया

पूजा के टीचर ने कहा, पिछले साल स्कूल के पास एक थ्रेशर में गेहूं की मड़ाई हो रही थी. जिसकी धूल उनके स्कूल की ओर आ रही थी. इससे सभी परेशान थे. तब पूजा ने ही सुझाया कि क्यों न एक ऐसा थ्रेशर बनाया जाए जो धूल न फैलाए. बस इसी सोच पर काम करते हुए होनहार और मेधावी छात्रा ने कबाड़ के सामान से थ्रेशर का मॉडल तैयार कर दिया. इसके बाद टीचर ने अवार्ड के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर दिया.

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