Bhutan की खिचड़ी चीन के साथ पक रही, क्या बताने भारत पहुंचे भूटान नरेश?
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Bhutan की खिचड़ी चीन के साथ पक रही, क्या बताने भारत पहुंचे भूटान नरेश?

Bhutan King: फिलहाल भारत ने अभी तक चीन और भूटान की बातचीत के बारे में कोई बयान तो नहीं दिया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत चीन और भूटान के बीच हाल ही में हुई बातचीत पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहता है लेकिन भूटान के साथ अपने संबंधों को और मजबूत जरूर कर रहा है.

Bhutan की खिचड़ी चीन के साथ पक रही, क्या बताने भारत पहुंचे भूटान नरेश?

India Bhutan China: भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक इस समय अपने भारत दौरे पर हैं. वे दिल्ली पहुंचे तो विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनक हवाई अड्डे पर स्वागत किया. इसके बाद मंगलवार को उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात की है. मुलाक़ात के बाद एक संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष असम के कोकराझार को भूटान के गेलेफू से जोड़ने वाले प्रस्तावित सीमा पार रेल लिंक के लिए अंतिम स्थान सर्वेक्षण पर सहमत हुए. इसके साथ अन्य बिंदुओं पर भी सहमति हुई. लेकिन भूटान नरेश की इस यात्रा को ऐसे समझने की जरूरत है कि इस समय भूटान के चीन से संबंध काफी अच्छे दौर में चल रहे हैं. उसकी अलग ही खिचड़ी पक रही है. ऐसे में भूटान नरेश की भारत की यात्रा क्या दोनों देशों के बीच संबंधों पर संतुलन बनाने की कोशिश है या कुछ और है.

असल में पीएम मोदी और भूटान नरेश की मुलाक़ात के बाद कहा गया कि दोनों पक्ष पश्चिम बंगाल में बनारहाट और भूटान में समत्से के बीच रेल संपर्क स्थापित करने पर विचार करने पर भी सहमत हुए. यह भी बताया गया कि पीएम मोदी और भूटान नरेश वांगचुक ने भारत-भूटान साझेदारी के विस्तार का सकारात्मक मूल्यांकन किया, जिसमें सीमा पार व्यापार बुनियादी ढांचे, पारस्परिक निवेश, स्वास्थ्य, शिक्षा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और लोगों से लोगों के संपर्क के नए क्षेत्र शामिल हैं. 

असल में वांगचुक की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भूटान और चीन अपने बीच के सीमा विवाद को जल्द से जल्द सुलझाने पर जोर दे रहे हैं. भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर चल रही वार्ता के बीच नामग्याल वांगचुक की यह यात्रा बेहद खास मानी जा रही है. भारत, भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद पर होने वाली बातचीत पर करीबी नजर रख रहा है, क्योंकि यह भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से डोकलाम ट्राई जंक्शन पर और भी महत्वपूर्ण है. 

पिछले दिनों भूटान के विदेश मंत्री तांडी दोरजी की बीजिंग यात्रा के दौरान चीन ने भूटान को औपचारिक राजनयिक संबंध बनाने और सीमा विवाद समझौते का प्रस्ताव दिया था. चीन ने भूटान को डोकलाम की जमीन की अदला-बदली का प्रस्ताव भी दिया है. इसे लेकर भारत अलर्ट है. डोकलाम सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) के नजदीक है. 60 किमी लंबा और 22 किमी चौड़ा यह कॉरिडोर नॉर्थ-ईस्ट के 7 राज्यों को भारत के साथ जोड़ता है. 

भूटान के प्रधानमंत्री लोताय शेरिंग ने भी पिछले दिनों एक इंटरव्यू में चीन के द्वारा डोकलाम की जमीन के अदला-बदली करने के प्रस्ताव का जिक्र किया था. ऐसे में भारत अलर्ट है और इस पर करीबी नजर रख रहा है. फिलहाल भारत ने अभी तक चीन और भूटान की बातचीत के बारे में कोई बयान तो नहीं दिया है. भूटान और असम के बीच रेल लिंक स्थापित करने पर भी चर्चा हो रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत चीन और भूटान के बीच हाल ही में हुई बातचीत पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहता है लेकिन भूटान के साथ अपने संबंधों को और मजबूत जरूर कर रहा है.

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