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8th Pay Commission: देश में हर 10 साल बाद एक नए वेतन आयोग के गठन का प्रावधान है. वेतन आयोग का काम महंगाई को ध्यान में रखते हुए नए वेतनमान की अनुशंसा करना है और सरकार उस पर फैसला लेती है. फरवरी 2014 में 7वें वेतन आयोग का गठन किया गया था और फरवरी 2024 से पहले 8वें वेतन आयोग के गठन करना होगा. हालांकि अगर सरकार पूर्व वित्त मंत्री स्व. अरुण जेटली के फॉर्मूले पर चली तो वेतन आयोग के गठन के सिलसिले पर ब्रेक लग सकता है और यह खत्म किया जा सकता है. लोकसभा चुनाव से पहले सरकार शायद ही यह बड़ा रिस्क ले. अभी यह तय नहीं है कि सरकार किस फॉर्मूले पर जाने के मूड में है. अगर अरुण जेटली के फॉर्मूले पर अमल नहीं हुआ अगले साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले नया वेतन आयोग अस्तित्व में आ जाएगा.
2016 में अरुण जेटली ने दिया था फॉर्मूला
दरअसल, पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2016 में संसद में दिए अपने संबोधन में वेतन आयोग का चलन खत्म करने को लेकर इशारा किया था. अरुण जेटली ने तब कहा था कि सरकार को वेतन आयोग से हटकर कर्मचारियों के बारे में सोचना चाहिए. सरकार का फाइनल स्टैंड इस बारे में क्या होगा, यह तो स्पष्ट नहीं हो पाया है लेकिन यह कहा जा रहा है कि वित्त मंत्रालय में इसको लेकर गहन विमर्श चल रहा है. बता दें कि केंद्र के पास अभी 68 लाख कर्मचारी और 52 लाख पेंशनभोगी हैं.
प्रदर्शन के आधार पर वेतन बढ़ाने का फॉर्मूला
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार कर्मचारियों के प्रदर्शन के आधार पर वेतन वृद्धि की योजना बना रही है. अभी निजी क्षेत्र के कर्मचारियों का वेतन इसी आधार पर बढ़ाया जाता है. बताया जा रहा है कि सरकार ऐसी योजना पर काम कर रही है, जिसमें 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता होने पर वेतन में स्वाभाविक रूप से इजाफा हो जाएगा. इसे स्वाभाविक पे रिविजन नाम दिया गया है. हालांकि सरकार ने अभी तक इस बारे में कुछ भी पुष्टि नहीं की है.
निम्न स्तर के कर्मचारियों को होगा ज्यादा लाभ
अगर सरकार 50 प्रतिशत महंगाई भत्ता होने पर वेतन रिवाइज करने वाला नियम लागू करती है तो इसका लाभ निम्न स्तर के कर्मचारियों को ज्यादा होगा. स्व. अरुण जेटली का मानना था कि मध्यम वर्ग के कर्मचारियों के साथ निम्न स्तर के कर्मचारियों को भी वेतन वृद्धि का लाभ मिले. बताया जा रहा है कि इससे 1 से 5 लेवल वाले कर्मचारियों की बेसिक सैलरी कम से कम 21,000 रुपये तक जा सकती है.