Crime in Motihari: समीर ने अपनी असली उम्र छुपाकर खुद को नाबालिग बताया, ताकि वह पुलिस की सख्त कार्रवाई से बच सके. यह चालाकी उसे कई बार बचा भी गई. वह सड़कों पर लूटपाट, छिनतई और सीएसपी केंद्रों पर हमले करता रहा.
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मोतिहारी: मोतिहारी के एक छोटे से गांव में जन्मा समीर बचपन से ही एक सामान्य जीवन जी रहा था. उसके माता-पिता ने उसे पढ़ाई के लिए स्कूल भेजा, लेकिन आसपास के माहौल ने उसकी जिंदगी को एक अलग ही मोड़ दे दिया. किशोरावस्था में समीर बुरी संगत में पड़ गया और छोटे-मोटे अपराधों में लिप्त होने लगा. जल्दी ही उसकी दोस्ती कुछ स्थानीय गिरोहों से हो गई, जिन्होंने उसे अपराध की दुनिया में और गहराई तक धकेल दिया. आलम ये रहा कि आज समीर पुलिस की गिरफ्त में है.
समीर की चालाकी और नाबालिग होने का फायदा
समीर ने अपनी असली उम्र छुपाकर खुद को नाबालिग बताया, ताकि वह पुलिस की कड़ी कार्रवाई से बच सके. इस चालाकी ने उसे कई बार बचा भी लिया. वह सड़क लूट, छिनतई और सीएसपी केंद्रों पर हमले जैसी वारदातों को अंजाम देता रहा. पुलिस के रिमांड होम से भागने के बाद उसने अपने गिरोह के साथ मिलकर मोतिहारी में कई अपराध किए, जिनमें सड़क लूट और गोलीबारी शामिल थी.
डुमरिया घाट की घटना
कुछ दिनों पहले समीर के गिरोह ने डुमरिया घाट रोड पर एक बैंक कर्मी, अवनीश कुमार की हत्या कर दी. अवनीश अपने बच्चे के जन्मदिन के लिए छपरा जा रहे थे, लेकिन अपराधियों ने उनकी मोटरसाइकिल लूटने के दौरान उनकी जान ले ली. इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी और पुलिस पर अपराधियों को पकड़ने का भारी दबाव आ गया.
पुलिस की सख्ती और मुठभेड़
मोतिहारी एसपी स्वर्ण प्रभात ने अपराधियों को पकड़ने के लिए एक एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन किया. पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर समीर को पकड़ने की योजना बनाई. संग्रामपुर के एक गांव में छुपे समीर को पकड़ने के दौरान पुलिस का उससे मुठभेड़ हो गया. समीर ने भागने और फायरिंग करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में उसे गोली मार दी. घायल समीर को तुरंत गिरफ्तार कर अस्पताल भेजा गया.
48 घंटों के अंदर हुआ अपराध का अंत
पुलिस ने समीर को 48 घंटों के अंदर गिरफ्तार कर अपनी काबिलियत साबित की. एसपी स्वर्ण प्रभात ने अपनी टीम को इस सफलता के लिए पुरस्कृत किया और कहा कि मोतिहारी में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है. समीर का जीवन एक सबक है कि अपराध का रास्ता हमेशा दुखद अंत की ओर ले जाता है. अगर उसने बचपन में सही दिशा चुनी होती, तो आज उसका जीवन कुछ और ही होता.
इनपुट- पंकज कुमार
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