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15 बच्चे...65 स्वेटर, आंगनबाड़ी केंद्र में चल रहा गजब का खेल, दिमाग हिला देगी रिपोर्ट

खूंटी के आंगनबाड़ी केंद्र में आजकल बच्चे कम दिखाई देने लगे हैं, लेकिन कहीं कहीं आंगनबाड़ी सेविका भोजन बनाकर बच्चों को कभी कभी इकठ्ठा कर लेती है.

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खूंटी के आंगनबाड़ी केंद्र में आजकल बच्चे कम दिखाई देने लगे हैं, लेकिन कहीं कहीं आंगनबाड़ी सेविका भोजन बनाकर बच्चों को कभी कभी इकठ्ठा कर लेती है. वहीं जब भोजन का समय होता है तो कुछ बच्चों को सेविका सहायिका बुला लेती है और भोजन करा देती हैं. 

जहां 15 -20 बच्चे हैं उन्हें भी 65 स्वेटर दे दिया गया

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जहां 15 -20 बच्चे हैं उन्हें भी 65 स्वेटर दे दिया गया

प्रशासन की तरफ से आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए स्वेटर मुहैया करायी है. मगर, जहां 15 -20 बच्चे हैं उन्हें भी 65 स्वेटर दे दिया गया है, ताकि स्वेटर की खपत हो जाय. स्वेटर की खपत कराने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में स्वेटर उपलब्ध कराया गया था. 

आंगनबाड़ी केंद्र में मात्र 14 अनौपचारिक बच्चे

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आंगनबाड़ी केंद्र में मात्र 14 अनौपचारिक बच्चे

इस प्रकार मुरहू की आंगनबाड़ी सेविकाओं ने बताया कि बच्चे तो कम हैं पर स्वेटर 65 मिला है. अब बच्चे नहीं हैं तो इधर उधर के बच्चों को बांटना पड़ेगा. मुरहू के सोमवार बाजार आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका अनीता गुप्ता ने बताया कि मेरे आंगनबाड़ी केंद्र में मात्र 14 अनौपचारिक बच्चे है जो पढ़ने आते हैं और 65 स्वेटर मिले हैं. 

7 महीने से तीन वर्ष के बच्चों को भी स्वेटर

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7 महीने से तीन वर्ष के बच्चों को भी स्वेटर

उन्होंने कहा कि 7 महीने से तीन वर्ष के बच्चों को भी स्वेटर देने के लिए कहा गया है, जो टीका वगैरह लेने आते हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष हिसाब से हम लोगों को स्वेटर मिला था, लेकिन इस बार उन लोगों को भी देने के लिए कहा गया है.

मुरहू के प्रखंड उपप्रमुख अरुण साबू की बात जानिए

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मुरहू के प्रखंड उपप्रमुख अरुण साबू की बात जानिए

मुरहू बस्ती आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सरिता देवी ने बताई कि मेरे आंगनबाड़ी केंद्र में 15 बच्चे हैं, लेकिन प्रतिदिन सारे बच्चे नहीं आ पाते हैं और स्वेटर 65 मिला है. मुरहू के प्रखंड उपप्रमुख अरुण साबू ने बताया कि आंगनबाड़ी केदों में विद्यार्थी रहते ही नहीं है. तो उन्हें लाभ दिलाने का क्या फायदा. 

बच्चे समय से क्यों नहीं आ पाते हैं?

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बच्चे समय से क्यों नहीं आ पाते हैं?

आंगनबाड़ी केंद्र का उद्देश्य है कि छोटे बच्चे शिक्षा जगत से जुड़े, लेकिन ऐसा नहीं होता है. इसलिए सीडीपीओ को भी प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र में जाकर निरीक्षण करना चाहिए जो वह नहीं करती है. बच्चे समय से क्यों नहीं आ पाते हैं. अरुण साबू ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को देने के लिए जो स्वेटर आया है वह बहुत ही घटिया किस्म का स्वेटर है. वह ऊन नहीं सूत का बना स्वेटर है.

तीन वर्षों से छह वर्ष तक के बच्चे को दो-दो स्वेटर करके देना है

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तीन वर्षों से छह वर्ष तक के बच्चे को दो-दो स्वेटर करके देना है

इधर, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सुमन सिंह ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले तीन वर्षों से छह वर्ष तक के बच्चे को दो-दो स्वेटर करके देना है. यह बाल विकास परियोजना पदाधिकारी की तरफ से संख्या उपलब्ध कराया गया था. विभाग और देने की बात रहेगी तो कर करके फिर से अतिरिक्त लोगों को स्वेटर दिया जाएगा. 

बाहर के बच्चों को या अन्य बच्चों को नहीं दे सकते

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बाहर के बच्चों को या अन्य बच्चों को नहीं दे सकते

उन्होंने कहा कि जो बच्चे प्रतिदिन पढ़ाई के लिए आते हैं उन्हें ही इस योजना का लाभ दिलाना है, बाहर के बच्चों को या अन्य बच्चों को नहीं दे सकते. हमारे जिले में कुल 840 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिसमें 20000 के लगभग बच्चे हैं, इसलिए 41000 स्वेटर की खरीदारी की गई है. जिस पर सत्यापन प्रतिवेदन मिल चुका है.

30 बच्चों के अनुसार 60 स्वेटर का वितरण

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30 बच्चों के अनुसार 60 स्वेटर का वितरण

उपायुक्त लोकेश मिश्रा ने बताया कि कड़ाके की ठंड शुरू होने से पहले ही जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों को जाड़े से बचने के लिए स्वेटर मुहैया करा दिया गया है. उन बच्चों को स्वेटर देना है जो आंगनबाड़ी केंद्र में नामांकित है और प्रतिदिन शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. प्रत्येक बच्चों को दो स्वेटर देना है और 30 बच्चों के अनुसार 60 स्वेटर का वितरण करना है.