Arrah Lok Sabha Seat: आरा लोकसभा क्षेत्र की जनता ने अगर आरके सिंह यहां से जीते तो वे लगातार तीसरी जीत का रिकार्ड बनाएंगे, क्योंकि यहां से लगातार तीसरी बार कोई संसद नहीं पहुंचा है.
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Amit Shah Arrah Rally: लोकसभा चुनाव 2024 के छठे चरण का चुनावी शोर थमने के बाद सातवें चरण के लिए माहौल सेट करने का दौर शुरू हो चुका है. इसी कड़ी में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज (शुक्रवार, 24 मई) को बिहार की आरा लोकसभा सीट में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करने वाले हैं. शाह आरा के वीर कुंवर सिंह स्टेडियम करीब 12 बजे पहुंच जाएंगे और केंद्रीय मंत्री आरके सिंह के लिए वोट मांगेंगे. कार्यक्रम को सफल बनाने की जिम्मेदारी खुद आरके सिंह ने अपने कंधों पर उठा रखी है. उनकी देखरेख में ही मंच तैयार किया गया है. आरके सिंह की ओर से आरा में केंद्रीय गृहमंत्री का ग्रांड वेलकम करने की तैयारी की गई है. उन्होंने बताया कि कई प्रदेश स्तरीय नेता, बिहार सरकार के मंत्री, सांसद और विधायक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का स्वागत करेंगे. वहीं उनकी जनसभा में जिले के कोने-कोने से जनता शिरकत करेगी.
आरके सिंह का सुदामा प्रसाद से मुकाबला
बीजेपी प्रत्याशी ने बताया कि मंच बहुत ही भव्य बनाया गया है. भीषण गर्मी को देखते हुए सभा स्थल में भाग लेने वाले आम जनों के लिए पानी की व्यवस्था करने का उन्होंने निर्देश दिया. जनसभा को ऐतिहासिक बनाने के लिए एनडीए गठबंधन के सभी कार्यकर्ता और आम जनता शामिल होगी. उन्होंने कहा कि सभी पदाधिकारी और कार्यकर्ता तन मन से गृह मंत्री के सभा को सफल बनाने में लगे हुए हैं. बता दें कि आरा लोकसभा सीट पर सातवें चरण यानी 01 जून को वोटिंग होगी. बीजेपी ने एक बार फिर आरके सिंह को ही मैदान में उतारा है. उनके सामने महागठबंधन की ओर से तरारी से भाकपा माले के विधायक बने सुदामा प्रसाद हैं.
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आरा के जातीय समीकरण
आरा लोकसभा क्षेत्र की जनता ने अगर आरके सिंह यहां से जीते तो वे लगातार तीसरी जीत का रिकार्ड बनाएंगे, क्योंकि यहां से लगातार तीसरी बार कोई संसद नहीं पहुंचा है. आरा के चुनावी रण में जातीय समीकरण अपनी जगह है और यह काफी रोचक भी है. जातीय समीकरण की बात करें तो यादव, राजपूत, मुस्लिम, ब्राह्मण, पिछड़ा और अति पिछड़ा हर जाति और वर्ग का अपना वोट है. इन्हें कोई भी पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती. लगभग 3 लाख 50 हजार यादव हैं और मुसलमान मतदाताओं की संख्या 50 हजार के आसपास बताई जाती है. इन्हें आरजेडी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है. वहीं अतिपिछड़ा वोट 5 लाख से ऊपर है. इसमें पासवान और चंद्रवंशी समाज के वोटरों की संख्या भी 50-50 हजार के करीब है. दोनों गठबंधन का पूरा फोकस अतिपिछड़ा वर्ग के वोटरों को ही साधने पर लगा हुआ है.