ASI करेगा निंदौर में खुदाई, उत्खनन के लिय मांगी इजाजत, जानें क्या है वजह
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ASI करेगा निंदौर में खुदाई, उत्खनन के लिय मांगी इजाजत, जानें क्या है वजह

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), पटना परिक्षेत्र ने कैमूर जिले में 'निन्दौर; में खुदाई करने का प्रस्ताव अपने दिल्ली मुख्यालय को सौंपा है. निन्दौर में खुदाई करने का उद्देश्य मगध साम्राज्य के नंद राजाओं से इसके संभावित संबंध का पता लगाना है.

 (फाइल फोटो)

Patna: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), पटना परिक्षेत्र ने कैमूर जिले में 'निन्दौर; में खुदाई करने का प्रस्ताव अपने दिल्ली मुख्यालय को सौंपा है. निन्दौर में खुदाई करने का उद्देश्य मगध साम्राज्य के नंद राजाओं से इसके संभावित संबंध का पता लगाना है. नंद वंश ने 343 और 321 ईसा पूर्व के बीच मगध पर शासन किया था और उनकी राजधानी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) थी. 

भौगोलिक स्थिति है बहुत महत्वपूर्ण 

ASI, पटना परिक्षेत्र की अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने कहा कि स्थल (निन्दौर) की भौगोलिक स्थिति बहुत महत्वपूर्ण है. यह पाटलिपुत्र से काशी के बीच एक प्राचीन मार्ग पर स्थित है जो सोन नदी सासाराम-भभुआ से होते हुए है. यह प्राचीन मगध और काशी महाजनपद के बीच सबसे बड़ी नगर बस्ती थी. प्रारंभिक ऐतिहासिक काल में यह स्थान प्रशासनिक और व्यापार केंद्र रहा होगा. 

उन्होंने आगे कहा कि यह स्थल पुरातत्वविदों द्वारा पूरी तरह से जांच करने योग्य है और यहां पुरातात्विक उत्खनन बेहद फायदेमंद होगा. इसलिए हमने हाल ही में 'निन्दौर' में खुदाई करने का एक प्रस्ताव ASI मुख्यालय को भेजा है ताकि मगध के नंद राजाओं के साथ इसके संभावित संबंध का पता लगाया जा सके.

निन्दौर पटना से करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. भट्टाचार्य ने बताया कि गांव के ऐतिहासिक महत्व के टीले को पहली बार 1812.-13 में एफ. बुकानन द्वारा देखा गया था और फिर वर्ष 1877 में डब्ल्यू डब्ल्यू हंटर द्वारा संदर्भित किया गया था. भट्टाचार्य ने कहा, 'बुकानन के अनुसार निन्दौर को नंद राजा का निवास स्थान कहा जाता है. उन्होंने किले के अवशेष, टैंक, ईंट और पत्थरों की संरचनाओं को देखा था. लेकिन वह टीले के पुरातात्विक महत्व और वह कितना पुराना है, का आकलन करने में असमर्थ थे.'

एक बस्ती जैसा होता है प्रतीत

उन्होंने कहा, 'ऊंचा टीला लगभग 380 गुना 225 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. टीले पर ईंट और पत्थरों से बनी संरचनाएं, रिंग अच्छी तरह से देखी जा सकती हैं. टीले की भौगोलिक विशेषताओं के अनुसार यह एक प्राचीन नगर बस्ती जैसा प्रतीत होता है.' टीले से विभिन्न आकार के बिना तराशे पत्थर, ईंट पाए गए हैं. टीले पर बलुआ पत्थर से बनी मूर्तियों के कुछ टुकड़ों को भी देखा गया. भट्टाचार्य ने कहा कि उक्त स्थल पर देखे गए मिट्टी के बर्तनों में लाल बर्तन ज्यादा जबकि काले बर्तन कम हैं.  नंद वंश ने भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी हिस्से पर शासन किया था. नंदों ने मगध में शिशुनाग वंश को उखाड़ फेंका था और अपने साम्राज्य का उत्तर भारत में विस्तार किया था. इसके संस्थापक महापद्म नंद थे और अंतिम नंद राजा धनानंद थे. 

(इनपुट: भाषा)

 

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