ब्रेन डेड घोषित मरीजों का लाइफ सपोर्ट हटा सकते हैं डॉक्टर? जानें किन शर्तों पर होगा तय
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ब्रेन डेड घोषित मरीजों का लाइफ सपोर्ट हटा सकते हैं डॉक्टर? जानें किन शर्तों पर होगा तय

Health Ministry: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष डॉ. आर.वी. अशोकन ने कहा कि यह गाइडलाइन डॉक्टरों पर अनावश्यक तनाव डालेगी. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे क्लिनिकल फैसले डॉक्टर नेक नीयत से लेते हैं और हर मामले में मरीज के परिजनों को स्थिति की पूरी जानकारी दी जाती है.

ब्रेन डेड घोषित मरीजों का लाइफ सपोर्ट हटा सकते हैं डॉक्टर? जानें किन शर्तों पर होगा तय

पटना: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु (पैसिव यूथेनेशिया) पर नई गाइडलाइन का मसौदा जारी किया है, जिसमें डॉक्टरों को मरीज का लाइफ सपोर्ट हटाने के लिए चार शर्तों का पालन करना जरूरी बताया गया है. पहली शर्त यह है कि मरीज को ब्रेन डेड घोषित किया गया हो. ब्रेन डेड तब होता है जब मस्तिष्क का एक हिस्सा, जिसे ब्रेनस्टेम कहा जाता है वो काम करना बंद कर देता है. इस स्थिति में मरीज कभी होश में नहीं आता और वेंटिलेटर के बिना सांस भी नहीं ले पाता है.

डॉक्टरों के अनुसार दूसरी शर्त यह है कि जांच से पता चल जाए कि मरीज की बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच गई है और इस स्थिति में इलाज का कोई फायदा नहीं होगा. तीसरी शर्त है कि मरीज या उसके परिजनों ने खुद लाइफ सपोर्ट जारी रखने से इनकार कर दिया हो. चौथी और अंतिम शर्त यह है कि लाइफ सपोर्ट हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार ही की जाए. मंत्रालय ने इस मसौदे पर हितधारकों से 20 अक्टूबर तक सुझाव और प्रतिक्रियाएं मांगी हैं.

जानकारी के लिए बता दें कि ड्राफ्ट में टर्मिनल बीमारियों का भी उल्लेख किया गया है, जो ऐसी लाइलाज बीमारियां होती हैं जिनमें मरीज के बचने की संभावना बहुत कम होती है. इसमें गंभीर मस्तिष्क चोटें भी शामिल हैं, जिनमें 72 घंटे या उससे अधिक समय तक कोई सुधार नहीं दिखता. ऐसे मरीजों के लिए लाइफ सपोर्ट सिस्टम से कोई लाभ नहीं होता और इसे हटाना एक मानक प्रक्रिया मानी जाती है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के अध्यक्ष डॉ. आरवी अशोकन ने इस मसौदे पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि इससे डॉक्टरों पर कानूनी दबाव बढ़ेगा और वे तनाव में आ जाएंगे. उन्होंने कहा कि ऐसे निर्णय डॉक्टर हमेशा पूरी सहमति और सावधानी के साथ लेते हैं, और मरीज के परिवार को हर स्थिति से अवगत कराते हैं.

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