Nag Panchami 2022: नागपंचमी के दिन सुबह उठ जाएं और तैयारी कर लें. पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिटटी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर रखें. हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा करें.
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पटनाः Nag Panchami 2022: नागपंचमी का महोत्सव भारत के ग्रामीण परिवेश का उत्सव है. सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नाग देवता को समर्पित है. नाग हमारे जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र का आधार हैं. भारत में नागों का पौराणिक महत्व भी है. यह भगवान शिव के कंठहार हैं, जिनका नाम वासुकी है. वहीं शेषनाग भगवान विष्णु की शैय्या हैं. इन्होंने ही अपने फन पर पृथ्वी को संभाल रखा है. नागपंचमी पर आज कैसे करें पूजा जानिए सारी जानकारी.
नागपंचमी पूजा विधि
नागपंचमी के दिन सुबह उठ जाएं और तैयारी कर लें. पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिटटी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर रखें. हल्दी, रोली (लाल सिंदूर), चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा करें. उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर लकड़ी के पट्टे पर बैठे सर्प देवता को अर्पित किया जाता है. पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है. सुविधा की दृष्टि से किसी सपेरे को कुछ दक्षिणा देकर यह दूध सर्प को पिला सकते हैं. अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुननी चाहिए.
नागपंचमी का यह है भोग
इसके अलावा नागपंचमी के दिन घरों के दरवाजे पर गोबर से चौकोर आकृति का घेरा बनाया जाता है. इस पर घी से पांच बार सर्प की आकृति उकेरी जाती है. इसके लिए दहलीज पर द्वार के दोनों ओर गाय के गोबर से ये आकृति बना लें. इसके बाद इन आकृति का दूध, सैंवई खीर और घी चढ़ाकर अभिषेक करें. नाग देवता को खीर-पूड़ी समर्पित करें. उन्हें दूध से बने पकवान का भोग लगाया जाता है और अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की वृद्धि की कामना की जाती है.
इस मंत्र का करें जाप
अनंतं वासुकि शेष पद्मनाभं च कम्बलम्।
शड्खपाल धार्तराष्ट्र तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः।।
तस्मे विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयीं भवेत्।
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