डब्लूएचसी विश्व धरोहर से संबंधित सभी मामलों के लिए यूनेस्को के अधीन समन्वयक हुआ है. यूनेस्को के निर्देशानुसार महाविहार के संरक्षण से संबंधित एकीकृत मास्टर प्लान जमा करने की प्रतिबद्धता का सम्मान किया जाना चाहिए और ये बहुत ही जरूरी है.
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पटना : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई ) ने बिहार सरकार से विश्व धरोहर में शामिल नालंदा महाविहार के संरक्षण के मास्टर प्लान की मांग की है, ताकि समय पर उसे पेरिस स्थित वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर ( डब्ल्यूएचसी) में प्रस्तुत किया जा सके. बता दें कि अगर जल्द ही मास्टर प्लान नहीं प्रस्तुत किया गया, तो विश्व धरोहर का दर्जा खतरे में पड़ सकता है. इसलिए एएसआई की ओर से संरक्षण के मास्टर प्लान की मांग की जा रही है.
विश्व धरोहर की सूची से हट सकता है महाविहार
पटना सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद् गौतमी भट्टाचार्य ने बताया कि धरोहर से संबंधित रिपोर्ट पेरिस स्थित वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर ( डब्ल्यूएचसी) को निर्धारित समय के भीतर प्रस्तुत करनी पड़ती है. अगर समय पर रिपोर्ट नहीं पहुंची तो महाविहार को यूनेस्को की प्रतिष्ठित विश्व धरोहर सूची से हटाए जाने का जोखिम उत्पन्न हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो यह ठीक नहीं है.
प्रतिबद्धता का किया जाना चाहिए सम्मान
बता दें कि डब्लूएचसी विश्व धरोहर से संबंधित सभी मामलों के लिए यूनेस्को के अधीन समन्वयक हुआ है. यूनेस्को के निर्देशानुसार महाविहार के संरक्षण से संबंधित एकीकृत मास्टर प्लान जमा करने की प्रतिबद्धता का सम्मान किया जाना चाहिए और ये बहुत ही जरूरी है. भट्टाचार्य ने दावा किया कि हाल के महीनों में एएसआई द्वारा बार-बार याद दिलाने के बावजूद नालंदा जिला प्रशासन ने एएसआइ को एकीकृत मास्टर प्लान जमा नहीं किया है.
दिसंबर के पहले सप्ताह में होगी डब्ल्यूएचसी की बैठक
बता दें कि नालंदा महाविहार का अवशेष 2016 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था. इसके अलावा बता दें कि डब्ल्यूएचसी की बैठक दिसंबर के पहले सप्ताह में होने की संभावना है. इससे पहले मास्टर प्लान जमा करना होगा. अगर समय पर जमा नहीं हुआ तो महाविहार को शामिल नहीं किया जा सकता है. अधीक्षण पुरातत्वविद् ने कहा कि उन्होंने 17 अक्टूबर को नालंदा के जिलाधिकारी को आखिरी पत्र लिखा था.