भारत के शहरों के नाम अक्सर प्राचीन काल के किसी पौराणिक इतिहास और पात्रों से जुड़े होते हैं, जिनमें देवता, राक्षस और महान योद्धा शामिल हैं, जिनकी कहानियाँ हमारे सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बन गई हैं. एक ऐसा शहर 'गया' है, जो बिहार राज्य में स्थित है. यहां की पौराणिक कथा के अनुसार, इस शहर का नाम 'गयासुर' नामक एक शक्तिशाली राक्षस के नाम पर पड़ा. गयासुर को भगवान शिव से यह वरदान प्राप्त था कि इस स्थान का नाम हमेशा उसके नाम से जाना जाएगा. इसके अलावा, यह विश्वास किया जाता है कि जो भी इस शहर में पिंडदान या श्राद्ध करता है, उसे अपने पितरों के लिए पुनः ऐसा करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे यह स्थान हिन्दुओं के लिए अत्यधिक पवित्र बन गया है.
इसी तरह 'पलवल' शहर का नाम भी एक मिथकीय पात्र 'पलंबासुर' के नाम पर पड़ा है. प्राचीन काल में इस शहर को 'पलंबरपुर' कहा जाता था, जो बाद में बदलकर 'पलवल' हो गया. पौराणिक इतिहास के अनुसार, यह राक्षस एक महत्वपूर्ण पात्र था और उसकी शक्ति और प्रभाव ने इस शहर के नाम को प्रभावित किया, जो आज भी उसके इतिहास को समर्पित है.
इसके अलावा, 'जालंधर' शहर का नाम भी एक राक्षस 'जालंधर' के नाम पर पड़ा है. जालंधर एक शक्तिशाली राक्षस था, जो भगवान शिव का अंश था. वह अपनी शक्ति से अनजान था, और इसी वजह से उसका अंत हुआ. आज भी जालंधर शहर इस राक्षस के नाम से जाना जाता है, जो अपनी शक्ति और दिव्यता के लिए प्रसिद्ध था.
'तिरुचिरापल्ली', तमिलनाडु का एक प्रमुख शहर भी इसी प्रकार की एक मिथकीय कहानी से जुड़ा है. यहां एक राक्षस 'थिरिसिरन' ने भगवान शिव की तपस्या की थी. शहर का नाम पहले 'थिरिसिकरपुरम' था, जो बाद में बदलकर 'तिरुचिरापल्ली' हो गया. इस नाम में राक्षस की तपस्या की श्रद्धांजलि दी गई है, और यह शहर आज भी उसकी पुण्य भूमि के रूप में सम्मानित है.
अंत में, मैसूर का नाम भी एक राक्षस 'महिषासुर' के नाम पर पड़ा है. महिषासुर को देवी चामुंडेश्वरी ने हराया था, और जहां यह युद्ध हुआ, उस स्थान को पहले 'महिषाऊरु' कहा जाता था, जो बाद में 'मैसूर' के नाम से जाना गया. आज, मैसूर का नाम इस महान युद्ध और महिषासुर के पराजय को याद करता है.
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