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Republic Day Parade 2025: कर्तव्य पथ पर आकर्षण का केंद्र रहेगी बिहार की झांकी, शांति का संदेश देते भगवान बुद्ध आएंगे नजर

Republic Day Parade 2025: लंबे अंतराल के बाद इस बार गणतंत्र दिवस के परेड में दिल्ली के कर्तव्य पथ पर बिहार की झांकी दिखने वाली है.बिहार की झांकी के माध्यम से ज्ञानभूमि नालंदा की प्राचीन विरासत एवं उसके संरक्षण हेतु किए जा रहे प्रयासों के साथ ही नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना के माध्यम से बिहा

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झांकी के अग्र भाग में बोधि वृक्ष इस बात का संदेश दे रही है कि इसी धरती से ज्ञान का प्रकाश सम्पूर्ण विश्व में फैला है. बिहार राज्य की झांकी में बिहार की समृद्ध ज्ञान एवं शांति की परंपरा को प्रदर्शित किया गया है. झांकी में शांति का संदेश देते भगवान बुद्ध को प्रदर्शित किया गया है. भगवान बुद्ध की यह अलौकिक मूर्ति राजगीर स्थित घोड़ा कटोरा जलाशय में स्थित है, जहां प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं.

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वर्ष 2018 में स्थापित एक ही पत्थर से बनी 70 फीट की भगवान बुद्ध की इस अलौकिक एवं भव्य मूर्ति के साथ घोड़ा कटोरा झील का विकास इको टूरिज्म के क्षेत्र में बिहार सरकार का अनूठा प्रयास है. झांकी में प्राचीन नालंदा महाविहार (विश्वविद्यालय) के भग्नावशेषों को भी दर्शाया गया है, जो इस बात के साक्षी है कि चीन, जापान एवं मध्य एशिया के सुदूरवर्ती देशों से छात्र यहाँ ज्ञान की प्राप्ति के लिए आते थे.

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नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष प्राचीन भारत की ज्ञान परंपरा के प्रतीक है. इन भग्नावशेषों का संरक्षण एवं संवर्धन भारतीय सांस्कृति की धरोहर को संजोने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. बिहार सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों से नालंदा का प्राचीन गौरव पुनर्स्थापित हो रहा है. झांकी में बिहार की प्राचीन एवं समृद्ध विरासत को भित्ति चित्रों के माध्यम से भी उकेरा गया है.

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प्राचीन नालंदा को ज्ञान केन्द्र के रूप में पुनर्स्थापित करने की दृष्टि से राजगीर में ही अन्तर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है. नवनिर्मित नालंदा विश्वविद्यालय का लोकार्पण मुख्यमंत्री बिहार की उपस्थिति में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा दिनांक-19.06.2024 को किया गया है.

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प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की वास्तुकला पर आधारित इस आधुनिक संरचना में सारिपुत्र स्तूप, गोपुरम प्रवेश द्वार तथा पारम्परिक बरामदे की अवधारणा को दर्शाया गया है. पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से निर्मित इन संरचनाओं से यह विश्वविद्यालय कार्बन न्यूट्रल तथा Net Zero कैम्पस के रूप में स्थापित हुआ है.

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