पुलिस के आतंक से गांव में पसरा सन्नाटा, दहशत में ग्रामीण
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पुलिस के आतंक से गांव में पसरा सन्नाटा, दहशत में ग्रामीण

पटना जिला अंतर्गत घोसवरी प्रखंड के सम्यागढ़ गांव में पिछले दो दिनों से सन्नाटा पसरा है. यहां एक जाति विशेष के लोगों को पुलिस के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, जिस वजह से उस जाति के कई लोग गांव से बाहर चले गए हैं तो कई अंडरग्राउंड हैं.

(फाइल फोटो)

पटना : पटना जिला अंतर्गत घोसवरी प्रखंड के सम्यागढ़ गांव में पिछले दो दिनों से सन्नाटा पसरा है. यहां एक जाति विशेष के लोगों को पुलिस के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है, जिस वजह से उस जाति के कई लोग गांव से बाहर चले गए हैं तो कई अंडरग्राउंड हैं. घोसवरी प्रखंड अंतर्गत आने वाला सम्यागढ़ गांव प्रखंड का इकलौता गांव रहा है जहां भूमिहार समाज के लोग काफी संख्या में रहते थे. वक्त के साथ गांव के ज्यादातर भूमिहार परिवार विभिन्न शहरों में जाकर बस गए और कभी कभार ही गांव आते हैं. 

अवैध वसूली का विरोध युवक को पड़ा महंगा
गांव के दर्जनों लोगों और पीड़ित परिवार से बातचीत के आधार पर ऐसी जानकारी मिलती है कि उन्हीं परिवारों में से एक परिवार जो गांव से बाहर रहता है, छठ मनाने गांव आया हुआ है. शुक्रवार की सुबह दीपक कुमार जो कि एक इंजीनियर हैं और कोलकाता में किसी निजी कम्पनी में नौकरी करते हैं इसी क्रम में गांव आया. गांव में ही एक सार्वजनिक स्थान पर वो ग्रामीणों के साथ बैठा था. तभी सादी वर्दी में सम्यागढ़ ओपी के एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह 107 का नोटिस दिखाकर किसी से अवैध वसूली कर रहे थे. दीपक कुमार ने इसका विरोध किया, जिससे एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह आगबबूला हो गए और दीपक कुमार को गाली-गलौज करने लगे. दीपक कुमार ने इसका विरोध किया, तब तक कुछ और पुलिस कर्मी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने दीपक कुमार को थाने चलने के लिए कहा. दीपक को लेकर वो थाने चले गए. 

जिस घर में सभी सो रहे थे वहां जबर्दस्ती पुलिस पहुंची 
इस घटना की खबर सुनते ही कई ग्रामीण पीछे से थाने गए और फिर दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर मामला शांत हो गया और दीपक अपने घर चले आए. रात में जब सभी अपने घर में सो रहे थे, दरवाजे पर किसी ने धक्का दिया. आवाज सुनकर दीपक कुमार के पिता ने दरवाजा खोला और दरवाजा खुलते ही सम्यागढ़ ओपी प्रभारी बनारसी चौधरी, प्रमोद बिहारी सिंह और उनके साथ चुनाव करवाने आए केंद्रीय पुलिस बल के करीब 100-150 जवान घर के अंदर दाखिल हो गए और कमरों में जा जाकर तलाशी लेने लगे. दीपक कुमार की भाभी, बहन, पत्नी सहित और भी महिला घर में थी. ओपी प्रभारी और एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह भद्दी-भद्दी गालियां दे रहे थे और दीपक कुमार को ढूंढ रहे थे. दीपक के मिलते ही सभी उस पर टूट पड़े, कोई गोली मारने की बात करता तो कोई कुछ और. 

युवक को अधमरा कर 11 फीट ऊंचे छत से पुलिस वालों ने नीचे फेंक दिया
अपनी जान बचाने के लिए दीपक जब छत पर भागे तो सभी उसके पीछे गए और छत पर उसे अधमरा कर करीब 11 फीट ऊंचे छत से नीचे फेंक दिया. घायल अवस्था में दीपक बगल के घर में बन्द हो गए. पुलिस कर्मियों ने घर का दरवाजा तोड़ने की कोशिश की इसके बाद दीपक बाहर निकले और सबों से आरजू मिन्नत कर छोड़ने की बात कहने लगे. बावजूद पुलिस कर्मी उनके टूटे हुए हाथ को पकड़कर उसे घसीटते हुए थाने लाया. घटना की सूचना मिलते ही जब उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कुमार शानू थाना पहुंचे तो एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह ने उनसे भी गाली-गलौज की और फर्जी मामले में बंद करने की धमकी दी. कई अन्य लोगों के पहुंचने पर दीपक कुमार को इलाज के लिए प्राथमिक उपचार केन्द्र घोसवरी ले जाया गया. जहां उन्हें रेफरल अस्पताल मोकामा रेफर किया गया, वहां से अनुमंडल अस्पताल बाढ़ और वहां से पीएमसीएच रेफर किया गया, जहां दीपक कुमार का इलाज चल रहा है. 

इसी बीच 28 अक्टूबर को ही एएसआई प्रमोद बिहारी सिंह ने पुलिस थाने में ये आवेदन दिया है कि धारा 107 के एक अभियुक्त के घर जाने पर वहां मौजूद दीपक कुमार ने अन्य के सहयोग से उनके साथ धक्का-मुक्की, मारपीट एवं गला दबाकर जान मारने की कोशिश की. एएसआई ने अपने आवेदन में भूमिहार समाज के दस और लोगों को नामजद और एक ही जाति के 30-35 अज्ञात को अभियुक्त बनाया है. ये ताज्जुब की बात है कि पुलिस ने अज्ञात सभी को एक ही जाति का बताया है. 
(रिपोर्ट- सुनील कुमार)

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