Who is Chhathi Mata: जब पूरे बिहार और झारखंड में आज बड़े ही उल्लास से छठी माता की पूजा हो रही है तो छह की ये संख्या बरबस ही अपनी ओर ध्यान खींचती है.
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पटनाः Who is Chhathi Mata: छठी मइया की उपासना का लोक पर्व महाछठ शुरू हो गया है. देवी छठी का नाम अंकमाला के छठवें अंक पर आधारित है, जिससे की साफ स्पष्ट है कि छह की संख्या से देवी का कोई सीधा संबंध है. छठी शब्द मानव समाज में बहुत प्रचलित है. इसका सबसे पहला प्रयोग शिशु जन्म के ही साथ हो जाता है. जैसे ही किसी के घर संतान जन्म लेती है, लोग उसकी छठी की रीत करने की तैयारी में जुट जाते हैं. छठी की रीत यानि कि शिशु के जन्म के छठवें दिन का खास समय.
उल्लास के साथ हो रही छठी माता की पूजा
जब पूरे बिहार और झारखंड में आज बड़े ही उल्लास से छठी माता की पूजा हो रही है तो छह की ये संख्या बरबस ही अपनी ओर ध्यान खींचती है. आखिरी शिशु की छठी रीत, नवरात्र की षष्ठी तिथि, भादों की छठी तिथि, औऱ छठ माता की पूजा क्या ये सभी एक ही हैं. आखिर इनकी देवी कौन हैं, ये प्रश्न उठता है. इसका जवाब पुराण कथाओं, खास तौर पर स्कंद पुराण, नारद पुराण और देवी भागवत पुराण में मिलता है.
कात्यायनी देवी से संबंध
नवरात्र के अवसरों में छठा दिन देवी कात्यायनी को समर्पित है. यह छठवें दिन की देवी माता कात्यायनी हैं, जिन्होंने महिषासुर का वध किया था.
नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी की उपासना का दिन होता है. इनके पूजन से साधक में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है. माता नकारात्मक शक्तियों और दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं. इनका ध्यान गोधुली बेला में करना चाहिए. प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य माता का यह श्लोक सरल और स्पष्ट है. माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में छठे दिन इसका जाप करना चाहिए.
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
देवी ने माना सभी को अपना बालक
ये तो रही देवी कात्यायनी की बात. देवी कात्यायनी ने असुरों का वध करके देवताओं को अभय दिया और समस्त मानव जाति को अपना शिशु माना. वह माता की ही तरह हमारी रक्षा, पालन-पोषण किए जाने के कारण अंबा कहलाईं. इस तरह नवरात्र का छठवां दिन देवी को तो समर्पित है ही, इस दिन बच्चों को अभय मिले, इसके भी विशेष प्रयास किए जाते हैं.
जन्म के छठवें दिन छठी मनाते हुए इसी देवी से संतान के अभय के लिए विनती की जाती है. खुद माता यशोदा ने अपने लाला कन्हैया की छठी बहुत धूमधाम से की थी और उनकी रक्षा के लिए विनती की थी. देवी कात्यायनी छठवें दिन की देवी हैं, इसलिए कात्यायनी माता ही छठी माता का स्वरूप हैं.
इन्हीं छठ माता की होती है पूजा
बिहार में होने वाली छठ पूजा में जिस छठ मईया के नाम से पूजन होता है, वह यही देवी हैं. उन्होंने बुरी प्रकृति (यानी राक्षसों) का विनाश करके सद आचरण वाली प्रकृति को संरक्षित किया था. इसलिए छठ में माता की पूजा प्रकृति के शोधक-रक्षक और पालिका के रूप में होती है. वह बच्चों के लिए ममता मयी पालक-पोषक हैं. इसलिए सूप में अपनी मनोकामना और परिवार की सुरक्षा की चिंता की गठरी लिए एक महिला पानी में उतरी है. वह छठी माता की पूजा कर रही है और सूर्य देव से उगने की विनती कर रही है. उगा उगा हो सुरुजदेव....
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