अजय माकन ने सवाल किया कि अगर दिल्ली के सभी पूर्व मुख्यमंत्री बिना कोई हंगामा किए अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे थे तो केजरीवाल इतनी अव्यवस्था क्यों फैला रहे हैं?
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Delhi Ordinance Row: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों विपक्षी एकता की मुहिम में जुटे हैं. इसके लिए वह लगातार मोदी विरोधी नेताओं से मिल रहे हैं और उन्हें एक छतरी के नीचे खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. इसी कड़ी में उन्होंने दिल्ली अध्यादेश पर आम आदमी पार्टी का समर्थन करते हुए विपक्ष से संसद में एकजुट होकर इस अध्यादेश का विरोध करने की अपील की थी. हालांकि उनकी इस अपील पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने पानी फेर दिया है.
नीतीश जहां इस मुद्दे पर विपक्षको एकजुट कर रहे हैं तो वहीं माकन ने स्पष्ट तौर पर इस मुद्दे पर केजरीवाल का विरोध किया है. उन्होंने साफ कहा है कि केजरीवाल का समर्थन करने का मतलब पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जैसे नेताओं की विवेकपूर्ण निर्णयों के खिलाफ खड़ा होना होगा. माकन ने सवाल किया कि अगर दिल्ली के सभी पूर्व मुख्यमंत्री बिना कोई हंगामा किए अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे थे तो केजरीवाल इतनी अव्यवस्था क्यों फैला रहे हैं?
Title: "An Examination of Reasons to Not Oppose the Ordinance - Administrative, Political, and Legal Aspects"
The discussion must begin with two critical observations.
First, by backing Kejriwal, we are going against the decisions and wisdom of numerous respected leaders: Baba…— Ajay Maken (@ajaymaken) May 23, 2023
माकन ने केजरीवाल पर कांग्रेस पार्टी को कमजोर करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली और पंजाब की सत्ता में आने पर कांग्रेस नेताओं को परेशान करने का काम किया. उन्होंने आगे कहा कि केजरीवाल जब मुसीबत में फंसे तो कांग्रेस पार्टी से मदद मांग रहे हैं, जबकि इससे पहले वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का भारत रत्न वापस लेने की मांग कर चुके हैं. माकन ने कहा कि यदि इस अध्यादेश से जुड़ा विधेयक पारित नहीं होता है, तो केजरीवाल को एक अद्वितीय विशेषाधिकार प्राप्त होगा. जिससे शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज जैसे पूर्व के मुख्यमंत्रियों को वंचित रहना पड़ा था.
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बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस के पास अजय माकन से बड़ा कोई चेहरा नहीं लिहाजा कांग्रेस पार्टी के लिए उनकी राय की काफी मायने रखती है. ऐसे में देखना ये होगा कि क्या कांग्रेस आलाकमान अपने नेता की सुनेंगे और पार्टी को मजबूत करेंगे या फिर केजरीवाल का समर्थन करके विपक्ष के साथ खड़े होंगे.