Godda Assembly Seat: बीजेपी का अभेद्य गढ़ है गोड्डा सीट, क्या अमित फिर खिला पाएंगे किला?
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Godda Assembly Seat: बीजेपी का अभेद्य गढ़ है गोड्डा सीट, क्या अमित फिर खिला पाएंगे किला?

Godda Assembly Seat: भाजपा ने गोड्डा विधानसभा सीट पर कई बार जीत हासिल की है. गोड्डा जिले की तीनों सीटों में से केवल गोड्डा ही ऐसी सीट है जो भाजपा के पास है. 2016 में हुए उपचुनाव के बाद से भाजपा के अमित मंडल इस सीट के विधायक हैं. 2014 के चुनाव में अमित मंडल के पिता, रघुनंदन मंडल, ने इस सीट से जीत दर्ज की थी.

Godaa Chunav Date: बीजेपी का अभेद्य गढ़ है गोड्डा सीट, क्या अमित फिर खिला पाएंगे किला?

Godda Assembly Seat: गोड्डा विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान होगा और यह झारखंड के चुनावी माहौल में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है. चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. गोड्डा जिले की तीन विधानसभा सीटें गोड्डा, महागामा और पोड़ैयाहाट में दूसरे चरण में वोटिंग होगी. इन तीनों सीटों के परिणाम 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार गोड्डा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दबदबा रहा है. भाजपा ने इस सीट पर अक्सर जीत हासिल की है और गोड्डा विधानसभा सीट भाजपा के लिए एक मजबूत गढ़ मानी जाती है. 2016 में हुए उपचुनाव के बाद से अमित मंडल इस सीट के विधायक हैं. पहले उनके पिता रघुनंदन मंडल ने इस सीट से चुनाव जीता था, लेकिन उनके निधन के बाद अमित ने पहले ही प्रयास में चुनाव जीतकर यह सीट अपने नाम की। तब से वह लगातार गोड्डा से विधायक हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञों ने आगे कहा कि विपक्षी महागठबंधन की बात करें, तो गोड्डा की सीट को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए आरक्षित किया गया है. राजद की ओर से संजय प्रसाद यादव यहां से चुनाव लड़ते रहे हैं. उन्होंने 2009 में इस सीट पर जीत हासिल की थी. 2019 में हुए चुनाव में भी संजय यादव ने अमित मंडल को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन वह केवल 4,512 वोटों से हार गए. 

साथ ही 2024 का चुनावी समीकरण भी यही संकेत करता है कि महागठबंधन फिर से इस सीट को राजद के हाथ में सौंपेगा. इस बार संजय प्रसाद यादव का प्रदर्शन कैसा रहता है, यह देखने वाली बात होगी. गोड्डा विधानसभा सीट झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण मानी जाती है और यहां के चुनावी परिणाम पूरे राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकते हैं. अब सभी की निगाहें इस चुनाव पर टिकी हुई हैं कि किस पार्टी और उम्मीदवार की जीत होती है.

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