Gumla Assembly Seat: 34 वर्षों का अनोखा रिकॉर्ड, लगातार दूसरा टर्म जीतने में असफल रहे विधायक
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Gumla Assembly Seat: 34 वर्षों का अनोखा रिकॉर्ड, लगातार दूसरा टर्म जीतने में असफल रहे विधायक

Gumla Assembly Seat: गुमला विधानसभा सीट की राजनीति में इन सभी पहलुओं का खास महत्व है. आगामी चुनाव में कौन सा उम्मीदवार जीत हासिल करेगा, यह देखना दिलचस्प होगा. यह सीट झारखंड की राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है और यहां के चुनावी समीकरण हमेशा से रोचक रहे हैं.

 

Gumla Assembly Seat: 34 वर्षों का अनोखा रिकॉर्ड, लगातार दूसरा टर्म जीतने में असफल रहे विधायक

Gumla Assembly Seat: गुमला विधानसभा सीट झारखंड की राजनीति में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह सीट अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है और 1951 में इस सीट का गठन हुआ था. तब से अब तक गुमला ने 16 विधायकों को चुना है. इस सीट के पहले विधायक सुकरू उरांव थे, जिन्होंने इस क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई. गुमला में उरांव जाति के विधायकों का कब्जा रहा है और यह सीट हमेशा से कांटे की टक्कर का मैदान रही है.

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार गुमला विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास बहुत दिलचस्प है. 1990 के बाद से यहां कोई भी विधायक लगातार दो बार चुनाव नहीं जीत पाया है. हालांकि, इससे पहले सुकरू उरांव, रोपना उरांव और बैरागी उरांव ऐसे विधायक रहे हैं, जिन्होंने लगातार दो बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बनाया. पिछले कुछ चुनावों में गुमला में कांग्रेस का कोई विधायक नहीं बन पाया, जबकि झामुमो और भाजपा के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ी है.

राजनीतिक विशेषज्ञों ने आगे बताया कि 2000 में भाजपा के सुदर्शन भगत ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. इसके बाद 2005 में झामुमो के भूषण तिर्की ने सुदर्शन भगत को हराकर जीत दर्ज की. 2009 में फिर से भाजपा के कमलेश उरांव ने भूषण तिर्की को हराया. 2014 में शिव शंकर उरांव ने भूषण तिर्की को मात दी. साथ ही हाल ही में हुए 2019 के चुनाव में भूषण तिर्की ने भाजपा के मिशिर कुजूर को हराकर फिर से जीत हासिल की. अब 2024 के चुनाव में भूषण तिर्की को लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने का मौका मिल सकता है, लेकिन भाजपा ने इस बार सुदर्शन भगत को मैदान में उतारा है. वहीं, मिशिर कुजूर भाजपा से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

इसके अलावा गुमला विधानसभा सीट पर हुए पिछले चार चुनावों के परिणामों को देखें तो हर बार जीत-हार का अंतर बहुत कम रहा है. 2005 में भूषण तिर्की ने 36,266 वोट प्राप्त किए थे, जबकि सुदर्शन भगत ने 35,397 वोट लिए थे. 2009 में कमलेश उरांव ने 39,955 वोट लेकर जीत हासिल की, जबकि भूषण तिर्की ने 27,468 वोट प्राप्त किए थे. 2014 में शिव शंकर उरांव ने 50,473 वोट लिए और भूषण तिर्की को 46,441 वोट मिले. 2019 में भूषण तिर्की ने 67,130 वोट के साथ जीत हासिल की, जबकि मिशिर कुजूर ने 59,537 वोट प्राप्त किए. गुमला विधानसभा सीट की राजनीति में इन सब पहलुओं का महत्व है और यह देखने की बात होगी कि आगामी चुनाव में कौन सा उम्मीदवार जीत हासिल करेगा. यह सीट झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण मानी जाती है और यहां के चुनावी समीकरण हमेशा से ही दिलचस्प रहे हैं.

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