Sweet Corn Agriculture: स्वीट कॉर्न की खेती ने न सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि यह एक उदाहरण बन गया है कि कैसे आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाकर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है.
पूर्णिया और सीमांचल के किसान अब मक्के की नई प्रजाति, स्वीट कॉर्न की खेती कर रहे हैं. जिससे उन्हें पहले से कई गुना ज्यादा मुनाफा हो रहा है. इस फसल ने किसानों के जीवन को आसान बना दिया है और कृषि अर्थव्यवस्था में योगदान दिया है.
चांदी पंचायत के किसान शशि भूषण सिंह ने बताया कि पहले वह सामान्य मक्के की खेती करते थे, जिसमें उतना मुनाफा नहीं मिलता था. लेकिन स्वीट कॉर्न की खेती करने से उन्हें बेहतर परिणाम मिले हैं. प्रशिक्षण के बाद उन्होंने इस नई प्रजाति के बीज अपने खेतों में लगाए और अब वह इससे अधिक लाभ कमा रहे हैं.
किसान शशि भूषण सिंह को स्वीट कॉर्न की खेती के लिए सरकार से अनुदान भी मिला है. यह अनुदान उन्हें खेती के उपकरण और बीज खरीदने में मदद करता है, जिससे उनकी मेहनत का परिणाम बेहतर होता है.
स्वीट कॉर्न की बिक्री किसानों के लिए एक स्थिर आय का स्रोत बन गई है. शशि भूषण सिंह के खेत से हर भुट्टे की कीमत 10 रुपये तक मिल रही है. यह फसल सिर्फ तीन महीने में तैयार हो जाती है, जिससे किसानों को जल्दी फायदा होता है.
स्वीट कॉर्न के पौधे के बाकी हिस्से को पशु चारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह से किसान एक ही फसल से दोहरा फायदा उठा रहे हैं. मुनाफा और पशु चारा दोनों. साथ ही स्वीट कॉर्न की खेती में खर्च उतना अधिक नहीं होता जितना सामान्य मक्के में होता है. इससे किसानों को कम खर्च में ज्यादा लाभ मिल रहा है, जो उनके लिए फायदेमंद है.
स्वीट कॉर्न रबी और खरीफ दोनों मौसम में अच्छे परिणाम देता है. इससे किसानों के पास वर्षभर फसल का अच्छा उत्पादन रहता है और वे मौसम की अनिश्चितताओं से प्रभावित नहीं होते. स्वीट कॉर्न की मांग बढ़ती जा रही है और इसका बाजार भी विस्तृत हो गया है. कृषि उत्पादकों को अब इस फसल को बेचने में कोई समस्या नहीं हो रही है, क्योंकि इस फसल का बाजार स्थिर और उपलब्ध है.
शशि भूषण सिंह जैसे किसान अब दूसरे किसानों को भी स्वीट कॉर्न की खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उनका अनुभव यह दिखाता है कि सही तकनीक और नई प्रजातियों की खेती से मुनाफा बढ़ सकता है.
स्वीट कॉर्न की खेती ने कृषि के पारंपरिक तरीकों में बदलाव लाया है. यह बदलाव पूर्णिया और सीमांचल के किसानों के लिए सकारात्मक है और इससे क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था में भी सुधार हो रहा है.
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