Chhath Puja 2024: नहाय-खाय से लेकर सूर्योदय अर्घ्य तक, जानें पूजा का सही समय
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Chhath Puja 2024: नहाय-खाय से लेकर सूर्योदय अर्घ्य तक, जानें पूजा का सही समय

Chhath Puja 2024: आचार्य मदन मोहन के अनुसार छठ पूजा 2024 का नहाय-खाय 5 नवंबर को होगा. इस दिन लोग नदी तालाब या किसी पवित्र जल में स्नान करते हैं और सात्विक भोजन का सेवन करते हैं. अगले दिन यानी 6 नवंबर को खरना मनाया जाएगा. इस दिन माताएं पूरा दिन व्रत रखती हैं और पूजा के बाद गुड़ की खीर खाकर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करती हैं. यह पर्व समर्पण और भक्ति के साथ मनाया जाता है.

Chhath Puja 2024: नहाय-खाय से लेकर सूर्योदय अर्घ्य तक, जानें पूजा का सही समय

Chhath Puja 2024 Date: छठ पूजा 2024 का महापर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है. यह पर्व चतुर्थी तिथि से शुरू होता है और सप्तमी तिथि को सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होता है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण दिन षष्ठी तिथि होती है, जब सूर्य देव की पूजा की जाती है. छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार और पूर्वांचल में मनाई जाती है, लेकिन यह पूरे देश में और विदेशों में भी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है. इसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है, क्योंकि माताएं इस दौरान 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं. वे इस व्रत को अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छे भविष्य और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं.

आचार्य मदन मोहन के अनुसार छठ पूजा 2024 नहाय-खाय 5 नवंबर को होगा. इस दिन लोग नदी, तालाब या किसी पवित्र जल में स्नान करते हैं और सात्विक भोजन का सेवन करते हैं. अगले दिन यानी 6 नवंबर को खरना मनाया जाएगा. इस दिन माताएं दिनभर व्रत रखकर, पूजा के बाद गुड़ की खीर खाती हैं और फिर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करती हैं. 7 नवंबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा, जो इस पर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन माताएं सूर्यास्त के समय नदी या तालाब पर जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. अंत में 8 नवंबर को प्रात कालीन अर्घ्य दिया जाएगा, जिसमें उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद माताएं अपना व्रत खोलती हैं और प्रसाद का वितरण करती हैं.

साथ ही छठ पूजा का यह पर्व माताओं के लिए अपने परिवार की भलाई और सुख-समृद्धि की कामना का समय होता है. इस दौरान पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है. माताएं अपनी श्रद्धा और भक्ति से इस पर्व को मनाती हैं. छठ पूजा की तैयारी में कई दिन पहले से लोग जुट जाते हैं, जिससे त्योहार का माहौल भक्तिमय हो जाता है.

Disclaimer: यह जानकारी केवल सूचना के लिए है और इसके सटीकता की कोई गारंटी नहीं है. विभिन्न स्रोतों से यह जानकारी एकत्र की गई है, इसलिए इसे ध्यान में रखते हुए किसी भी निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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