Pitru Paksha 2023: पितरों की नाराजगी दूर करने के लिए इस स्थान पर करें पिंडदान, पितृ ऋृण से भी मिलेगी मुक्ति!
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1893220

Pitru Paksha 2023: पितरों की नाराजगी दूर करने के लिए इस स्थान पर करें पिंडदान, पितृ ऋृण से भी मिलेगी मुक्ति!

  पितृ पक्ष शुरू हो गया है. ऐसे में पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए ये 15 दिन बेहद खास हैं. इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए उनका श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करते हैं.

(फाइल फोटो)

Pitru Paksha 2023:  पितृ पक्ष शुरू हो गया है. ऐसे में पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए ये 15 दिन बेहद खास हैं. इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए उनका श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करते हैं. ऐसे में आपको बता दें कि देश में हर पवित्र नदी के तट पर पिंडदान या तर्पण का कार्यक्रम होता है. इसके अलावा देश के कई अलग-अलग इलाकों में कई जगहें ऐसी हैं जिसे इस काम के लिए विशेष माना गया है. यहां पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध करने से ना सिर्फ पितरों की आत्मा को शांति मिलती है बल्कि पितृ ऋृण के दोष से भी मुक्ति मिलती है. 

पितृ पक्ष की शुरुआत इस बार 29 सितंबर यानी शुक्रवार से हो गया है. यह 14 अक्टूबर तक चलने वाला है. ऐसे में देश के उन स्थानों के बारे में आपको जान लेना चाहिए जहां पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान करने का विशेष फल प्राप्त होता है. ऐसे में इसको करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनको मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. 

ये भी पढ़ें- कहीं आप भी तो नहीं लगाते हैं इस समय परफ्यूम, जानें कैसे आपकी तरफ आएगी मुसीबत!

शास्त्रों की मानें तो बिहार के गया में पिंडदान करना सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. वहीं इसके साथ हरियाणा के कुरुक्षेत्र में. बद्रीनाथ में, उज्जैन में शिप्रा के तट पर, त्र्यंबकेश्वर में कुशावर्त घाट पर, वाराणसी, प्रयागराज में भी इसका विशेष महत्व बताया गया है. वैसे आपको बता दें कि देश की सभी पवित्र नदियों के तट पर पिंडदान, श्राद्ध या फिर तर्पण करने का विशेष महत्व है. 

वैसे आपको बता दें कि गया में पिंडदान करने से आपके 121 पीढ़ी और 7 गोत्रों के पितरों का उद्धार हो जाता है. ऐसे में यहां पिंडदान, श्राद्ध या तर्पण करने से पितर शांत तो होते ही हैं उनका विशेष आशीर्वाद भी मिलता है. कहते हैं गया में एक बार पिंडदान कर देने के बाद फिर कभी पितृपक्ष में श्राद्ध करने की जरूरत नहीं होती है. ऐसे में यह भी कहा जाता है कि गया में पिंडदान करने से पितरों को प्रेत योनी से मुक्ति मिलती है. साथ ही इससे पितृ दोष भी दूर होता है. 

गया में मां सीता ने राम जी के साथ मिलकर अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था. ऐसे में गरुड़ पुराण में वर्णित है कि गया में पिंडदान जिनका हो जाए उन्हें स्वर्ग का सुख मिलता है. यहां के बारे में शास्त्रों में वर्णित है कि स्वयं भगवान विष्णु यहां पितृ देवता के रूप में स्थापित हैं. शास्त्रों की मानें तो फल्गु नदी के जल में भगवान श्री हरिनारायण विष्णु का वास होता है. ऐसे में इस नदी के जल और बालू दोनों से बने पिंड का दान करने से पितृ देवता शीघ्र प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. 

Trending news