Bombay High Court: बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने गैंगरेप एक केस की सुनवाई करते हुए साफ किया है कि अगर ग्रुप का कोई एक शख्स भी रेप करता है तो अन्य सदस्य भी रेप के दोषी माने जाएंगे.
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Bombay High Court News: बॉम्बे हाई कोर्ट ने गैंगरेप के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है और कहा है कि ऐसे मामलों में दोषी ठहराने के लिए यौन उत्पीड़न में सीधे शामिल होना जरूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि अगर साझा मंशा का सबूत है तो यह सजा के लिए काफी है. यानी गैंगरेप के किसी केस में आरोपी बनाने के लिए रेप अनिवार्य नहीं है, बल्कि अगर ग्रुप का कोई एक शख्स भी रेप करता है तो अन्य सदस्य भी रेप के दोषी माने जाएंगे. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने गैंगरेप के दोषी ठहराए गए चार लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही. जस्टिस गोविंदा सनप ने चारों दोषियों की सजा बरकरार रखी है, जिन्होंने चंद्रपुर सत्र न्यायालय द्वारा दी गई अपनी सजा को चुनौती दी थी.
2015 में मंदिर गई लड़की के साथ हुआ था गैंगरेप
14 जून 2015 को एक लड़की का संदीप तलंडे, कुणाल घोडाम, शुभम घोडाम और अशोक कन्नके नाम के चार लड़कों ने गैंगरेप किया था. इसके बाद चंद्रपुर सत्र न्यायालय ने चारों आरोपियों को 20 अगस्त, 2018 को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने माना कि केवल दो आरोपियों ने महिला के साथ बलात्कार किया, लेकिन अन्य दो आरोपियों के साझा इरादे ने उन्हें भी समान रूप से दोषी ठहराया.
बता दें कि लड़की और उसकी दोस्त मंदिर में दर्शन करने के बाद एक पेड़ के नीचे बैठे थे, जब आरोपियों ने खुद को वन विभाग का अधिकारी बताते हुए उनसे 10 हजार रुपये मांगे. जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया तो उनकी पिटाई की गई और उनके मोबाइल फोन छीन लिए गए. इसके बाद संदीप और शुभम ने लड़की के साथ बलात्कार किया, जबकि कुणाल और अशोक ने उसकी दोस्त को उसे बचाने से रोका. हालांकि, फॉरेस्ट गार्ड के मौके पर पहुंचने के बाद आरोपी भाग गए. इसके बाद पीड़िता और उसकी दोस्त ने पुलिस को अपराध की सूचना दी और मेडिकल जांच में बलात्कार की पुष्टि हुई.
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फैसला सुनाते हुए जस्टिस सनप ने क्या कहा?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस गोविंदा सनप ने कहा, 'दोनों आरोपियों ने पीड़िता को एक पेड़ के पीछे घसीटा, जबकि बाकी दो ने पीड़िता की दोस्त को पकड़ लिया. यह कार्रवाई स्पष्ट रूप से उनके इरादे को दर्शाती है, जिससे वे समान रूप से दोषी बनते हैं.'
जस्टिस सनप ने इस तर्क में कोई दम नहीं पाया कि साक्ष्य के आधार पर कुणाल और अशोक को गैंगरेप के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता. उ्होंने कहा, 'वो कानूनी कार्रवाई से बच सकते थे, बशर्ते कि उन्होंने पीड़िता की दोस्त को न पकड़ा होता. अगर उसे पकड़ा नहीं गया होता तो वह उसे बचाने की कोशिश करती और आरोपियों को यह घिनौना काम करने से रोकती. उन्होंने आगे कहा कि दोनों ने अन्य दो आरोपियों शुभम और संदीप द्वारा किए गए अपराध में मदद की.