AIIMS : घुटनों और कूल्हे की तरह अब AIIMS में होगा सस्ते में कोहनी का रिप्लेसमेंट
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AIIMS : घुटनों और कूल्हे की तरह अब AIIMS में होगा सस्ते में कोहनी का रिप्लेसमेंट

All India Institute Of Medical Science : दिल्ली एम्स ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर कोहनी के रिप्लेसमेंट का सस्ता विकल्प तैयार कर लिया है. जिसकी कीमत 30 हजार रुपये तक हो सकती है. 

AIIMS Hospital

Elbow Replacement : आपने घुटने और कूल्हे के ज्वाइंट्स यानी जोड़ो के रिप्लेसमेंट के बारे में तो सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी तरह कोहनी का भी रिप्लेसमेंट किया जा सकता है. दिल्ली एम्स ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर कोहनी के रिप्लेसमेंट का सस्ता विकल्प तैयार कर लिया है.

 

एम्स के हड्डी रोग विभाग के हेड डॉ रवि मित्तल के मुताबिक ELBOW REPLACEMENT उन मरीजों में किया जाता है जिनकी कोहनी में किसी एक्सीडेंट में चोट लगी हो या फिर आर्थराइटिस की बीमारी की वजह उनके जोड़ काम ना कर रहे हों.
 

अभी तक भारत में होने वाले ELBOW REPLACEMENT के लिए विदेश से इंम्प्लांट आते हैं. केवल इंम्पलांट की कीमत 2 लाख रुपए है. इसके अलावा विदेशी इंप्लांट भारतीयों की कद काठी के हिसाब से फिट नहीं बैठ पाते हैं. 

 

ऐसे में अब एम्स दिल्ली ने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर एक सस्ता इंम्प्लांट तैयार किया है जिसकी कीमत 30 हजार रुपये तक हो सकती है. इस रिसर्च को ICMR से फंडिंग मिली है.

 

एम्स के ऑरथोपेडिक सर्जन डॉ भावुक गर्ग के मुताबिक इस इंप्लांट को डिजाईन करने के बाद इसकी मेटिरियल टेस्टिंग और फटीग (FATIGUE) टेस्टिंग हो चुकी है. यानी ये आर्टिफिशियल कोहनी कितनी तरह से मुड़ सकेगी, कितना वजन उठाया जा सकेगा - आईआईटी की FATIGUE TESTING मशीन में ये सामने आया है कि आर्टिफिशियल एल्बो से 2.5 किलो तक वजन उठाया जा सकता है.

 

बच्चों में ये सर्जरी आमतौर पर नहीं की जाती. इसके अलावा हड्डिया बहुत कमजोर हों या उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी हो तो भी इस सर्जरी को करने में फायदा नहीं है. टाइटेनियम से बने इस इंप्लांट को CADEVAR यानी मृत लोगों पर टेस्ट किया जा चुका है. जिससे इसकी फिटिंग की जांच हो चुकी है.

 

रिप्लेसमेंट यानी आपके शरीर के किसी जोड़ को या हड्डी को आर्टिफिशियल तरीके से बनाए गए जोड़ से बदल देना. हड्डी अकड़ जाए, बेजान हो जाए तो कोहनी को नए इंम्प्लांट से बदला जा सकता है. एम्स में बन रहे इंप्लांट को पूरी तरह बाजार में आने में दो साल लग सकते हैं. 

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