Budget 2023: आखिर 1 फरवरी को 11 बजे ही क्यों पेश होता है बजट, जानें इसके पीछे का इतिहास
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Budget 2023: आखिर 1 फरवरी को 11 बजे ही क्यों पेश होता है बजट, जानें इसके पीछे का इतिहास

Budget 2023-24: भारत में 1 फरवरी 2023 को साल का बजट पेश होने वाला है. यह बजट मोदी सरकार के लिए बहुत ही अहम साबित होने वाला है, क्योंकि अगले साल यानी 2024 में चुनाव हैं तो सराकर ऐसे में वोटर को साधने की कोशिश करेगी.

Budget 2023: आखिर 1 फरवरी को 11 बजे ही क्यों पेश होता है बजट, जानें इसके पीछे का इतिहास

Budget 2023: 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2023-24 का बजट केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. इसकी तैयारी कई महीने पहले से ही शुरू हो जाती है. वहीं यह जानना भी जरूरी है कि भारतीय बजट के बारे में संविधान क्या कहता है और इसे पेश करने के लिए सरकार कौन-कौन सी तैयारियां करती है. वहीं हम यह भी जानेंगे की भारत का पहला बजट कब पेश हुआ था और किसने किया था.

फिलहाल बता दें कि यह बजट मोदी सरकार के लिए काफी अहम होने वाला है, क्योंकि 2024 चुनाव से पहले यह सराकर का आखिरी पूर्ण बजट है. इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार बजट के द्वारा लोगों को साधने का काम करेगी.

बजट
बता दें कि संविधान में बजट का सीधे तौर पर जिक्र नहीं किया गया है. हालांकि संविधान के अनुच्छेद 112 में वार्षिक वित्तीय विवरण की चर्चा है. इस अनुच्छेद के तहत ही सरकार को अपने हर साल की कमाई और व्यय का लेखा-जोखा देना अनिवार्य होता है. इस अनुच्छेद के अनुसार बजट को पेश करने का अधिकार राष्ट्रपति को है। , लेकिन राष्ट्रपति खुद बजट पेश नहीं करते, बल्कि अपनी तरफ से किसी मंत्री को बजट पेश करने के लिए कह सकते हैं. देश में हाल ही में यह तब हुआ था, जब 2019 में अरुण जेटली के बीमार होने पर पीयूष गोयल ने वित्त मंत्री न रहते हुए भी बजट पेश किया था. 

इसमें 1 साल का लेखा-जोखा होता है. इसे पेश करने से पहले एक सर्वे कराया जाता है, जिसमें सरकार की कमाई का अनुमान लगाया जता है. बजट के द्वारा सरकार अनुमान लगाती है कि उसे प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर, रेलवे के किराए और अलग-अलग मंत्रालय के जरिये कितनी कमाई होगी. वहीं सर्वे में यह भी पता लगाया जाता है कि आने वाले साल में सरकार का कितना खर्च अनुमानित होगा. अगर सीधे शब्दों में कहें तो बजट एक साल में होने वाली कमाई और खर्चों का ब्योरा होता है. वित्त मंत्री अपने इन्हीं कमाई और खर्च का ब्योरा बजट भाषण में देते हैं। इसे ही आम बजट या संघीय बजट कहते हैं. बजट की अवधि एक साल की होती है, जो कि हर साल पेश किया जाता है. 

बजट का इतिहास
हर साल देश के वित्त मंत्री 1 फरवरी को साल का बजट पेश करते हैं, जो कि 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के लिए लागू होता है. वहीं बजट दोपहर में 11 बजे ही पेश किया जाता है. इससे पहले अंग्रेजी के समय में बजट शाम को 5 बजे पेश किया जाता था. बता दें कि आजाद भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पेश हुआ था, जो कि भारत के पहले वित्त मंत्री शणमुखम शेट्टी ने किया था.

वहीं बजट के इतिहास की बात करें तो भारत में इसका इतिहास करीब 180 साल पुराना है. ब्रिटिश सरकार में 7 अप्रैल 1860 में देश का पहला बजट आया था. इसे वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था. इसके बाद सर बेसिल ब्लैकैट सन 1924 में बजट पेश करने की एक नई परंपरा शुरू की थी. इसमें बजट 28 या 29 फरवरी को पेश किया जाता था, वो भी शाम के 5 बजे. शाम 5 बजे बजट पेश करने के पीछे का कारण था अधिकारियों को आराम देना और यह परंपरा 1999 तक रही. इसके बाद सन 2000 में NDA की सरकार ने यह परंपरा तोड़ी और बजट 1 फरवरी को 11 बजे पेश किया. इसके बाद से अभी तक ऐसे ही बजट पेश होता है. वर्ष 2000 में तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने सुबह 11 बजे देश का केंद्रीय बजट पेश किया. यह पूरी तरह से भारतीय समयानुसार और भारतीय परंपरा के अनुरूप था.

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