तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का आज 87वां जन्मदिन है, इनका असली नाम ल्हामो थोंडुप है. ये जब महज दो साल के थे तभी इनकी पहचान 13वें दलाई लामा थुबटेन ग्यात्सो के पुनर्जन्म के रूप में की गई. तभी से 14वें दलाई लामा तेंजिन ग्यात्सो हैं.
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Dalai Lama Birthday: आज तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का 87वां जन्मदिन मनाया जा रहा है. दलाई लामा तिब्बतियों पर हो अत्याचार के दौरान 15 दिनों का कठिन सफर पूरा करके 31 मार्च, 1959 को भारत आए थे, तभी से वह तिब्बत की संप्रभुता के संघर्ष कर रहे हैं. वर्तमान में वो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित मैक्लोडगंज में रहते हैं. दुनियाभर के लोग इन्हें कई रूपों में देखते हैं कोई इन्हें शिक्षक तो कोई करूणा का प्रतीक मानता है.
लामा का परिचय
तिब्बती भाषा में 'लामा' को 'ब्ला-मा' कहा जाता है, जिसका मतलब होता है श्रेष्ठतम व्यक्ति. यह शब्द गुरु का ही मूल रूप है, जो सबका मार्गदर्शन करता है. ऐसा कहा जाता है कि यह नाम केवल एक ही व्यक्ति को मिल सकता है, लेकिन अब यह लामा साधना में विभिन्न उपलब्धियां हासिल कर चुके बौद्ध भिक्षुओं को भी प्रदान किया जाता है, पर इन सबमें दलाई लामा का स्थान सर्वोच्च है.
कैसे बनते हैं दलाई लामा
दुनिया में कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिनका जीवन अपने लिए नहीं बल्कि लोगों के लिए होता है. वो देश-दुनिया में घूम कर लोगों को शिक्षा देते हैं और विश्वभर में शांति स्थापित करना चाहते हैं. दलाई लामा ऐसे ही व्यक्तित्व हैं.
पुनर्जन्म से मिलते हैं दलाई लामा
ऐसी मान्यता है कि जब दलाई लामा की मौत होती है, तो वह एक नए रूप में दोबारा से धरती पर जन्म लेते हैं. पुनर्जन्म का बाद धर्म अधिकारी उस बच्चे की खोज करते हैं और फिर उसे ही अगला दलाई लामा नियुक्त किया जाता है.
ऐसे की जाती है खोज
लामा की मृत्यु के बाद नए लामा की खोज गेलगुपा परंपरा के मुताबिक उच्च लामास और तिब्बत सरकार करती है, जिसमें लंबा समय लगता है. इसकी शुरुआत उच्च लामा को दिखने वाले सपनों से होती है. इसके बाद खोज आरंभ की जाती है. मान्यता के अनुसार दलाई लामा के मरने के बाद उन्हें जलाया जाता है, तो उनकी चिता से उठने वाला धुआं लामा के पुनर्जन्म का संकेत देता है. इस दौरान तिब्बत की पवित्र नदी ला-तसो के पास जाकर उच्च लामा ध्यान लगाते हैं कि उन्हें किस दिशा में बढ़ना है. एक धारणा के अनुसार इस नदी की पवित्र आत्मा ने प्रथम दलाई लामा को वचन दिया था, कि उनके वंशज को ढूंढने में यह हमेशा उनकी सहायता करेगी. इसलिए यहां आने के बाद ही दलाई लामा की खोज पूरी होती है.
कठिन परीक्षाओं के बाद होता है चयन
संकेत के बाद बच्चे को खोजा जाता है, जो अगला दलाई लामा होता है. उसके बाद बच्चे की कठिन परीक्षाओं की शुरूआत होती है. वह असली लामा वंशज है, इसके लिए उससे कुछ विशेष कार्य करवाए जाते हैं. यह सब कुछ पिछले लामा से जुड़ा हुआ होता है. जब बच्चा सभी मानकों पर खरा उतर जाता है, तो फिर उसकी सूचना सरकार को दी जाती है.
वर्तमान दलाई लामा का 2 साल की उम्र में हो गया था चयन
वर्तमान दलाई लामा का असली नाम ल्हामो थोंडुप है. इनका जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के उत्तर पूर्वी तिब्बत में एक किसान परिवार में हुआ था. ये जब महज दो साल के थे तभी इनकी पहचान 13वें दलाईलामा, थुबटेन ग्यात्सो के पुनर्जन्म के रूप में की गई और तेंजिन ग्यात्सो नाम दिया गया. तभी से 14वें दलाई लामा तेंजिन ग्यात्सो हैं. तेंजिन ग्यात्सो ने मठ से जुड़ी शिक्षा 6 वर्ष की आयु में शुरू कर दी थी, उनकी शिक्षा नालंदा परंपरा पर आधारित थी. इसमें उन्हें तर्कशास्त्र, ललित कला, संस्कृत व्याकरण और औषधि का ज्ञान लिया. दलाई लामा ने बौद्ध दर्शन का ज्ञान भी अर्जित किया है.
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