प्री-पैक्ड एवं प्री- लेबल खाद्यान्न को जीएसटी कर लगाने से छोटे व्यापारियों ने नुक़सान की आशंका जाहिर की है. उन्होंने कहा कि वित्तमंत्री से मिलकर इस निर्णय पर पुन: विचार करने का वे अनुरोध करेंगे.
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नई दिल्ली: प्री-पैक्ड एवं प्री-लेबल खाद्यान्न पर जीएसटी कर लगाने से छोटे व्यापारियों ने नुकसान की संभावना जताई है. यह बात ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन ने कही है. सोमवार को ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने खाद्यान्न पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध करते हुए एक बैठक की. कहा कि जल्द ही कारोबारी वित्त मंत्री से मिलकर उनसे पुनर्विचार करने की गुजारिश करेंगे. इस फैसले से सिर्फ कारोबारी ही नहीं बल्कि किसान और आम जनता भी प्रभावित होगी.
जीएसटी कॉउंसिल द्वारा हाल खाद्य पदार्थों एवं कुछ अन्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश का उन्होंने विरोध किया. कहा कि इससे वे बेहद आक्रोश में हैं. कॉउन्सिल के इस कदम को छोटे निर्माताओं एवं व्यापारियों के हितों के खिलाफ बताया. दिल्ली ग्रेन मर्चेंटस एसोसिएशन अध्यक्ष नरेश गुप्ता ने कहा कि इससे आम सामान की कीमत पर बड़े ब्रांड का कारोबार बढ़ेगा.
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अब तक ब्रांडेड नहीं होने पर विशेष खाद्य पदार्थों, अनाज आदि को जीएसटी से छूट दी गई थी. कॉउन्सिल के इस निर्णय से प्री-पैक, प्री-लेबल दही, लस्सी और बटर मिल्क सहित प्री-पैकेज्ड और प्री-लेबल रिटेल पैक पर भी अब जीएसटी कर लगेगा. देशभर में 6500 से अधिक अनाज मंडियों में खाद्यान्न व्यापारियों के व्यापार में बड़ा अवरोध आएगा. खाद्यान्न व्यापारियों एक सुर में कहा कि वो इस संबंध में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष विवेक जौहरी से मिलेंगे और इस निर्णय पर पुन: विचार किए जाने का आग्रह करेंगे.
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