हरियाणा में अधिकारियों की लापरवाही से करीब 17 लाख छात्रों को न छात्रवृत्ति भत्ता मिला न ही यूनिफॉर्म ग्रांट मिल पाई. वहीं एमआईएस पोर्टल पर डेटा अपडेट न होने की वजह से 260 करोड़ रुपये फंस गए हैं.
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चंडीगढ़: हरियाणा में शिक्षा विभाग की लापरवाही की वजह से प्रदेश के 17 लाख बच्चों का छात्रवृत्ति भत्ता रुक गया है. साथ ही उन्हें यूनिफॉर्म ग्रांट भी नहीं मिल पाई है. 2022-2023 शिक्षा का सत्र शुरू हुए 9 महिने से ज्यादा का समय हो गया है.
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बता दें कि हरियाणा शिक्षा विभाग के एमआईएस पोर्टल पर डेटा अपडेट न होने की वजह से 260 करोड़ रुपये फंस गए हैं. इसके कारण पैसा रिलीज नहीं हो पाया और कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को न छात्रवृत्ति भत्ता मिला न ही यूनिफॉर्म ग्रांट मिल पाई.
सरकार यूनिफॉर्म ग्रांट के नाम पर 5वीं तक के बच्चों को 800 रुपये मिलते हैं और 6-8 तक के बच्चों को 1000 रुपये मिलते हैं. वहीं अनुसूचित जाति के छात्रों को कक्षा 1 से 5 तक 150 रुपये प्रति महीने और छात्राओं के लिए 225 रुपये प्रति महीने छात्रवृत्ति भत्ता मिलता है. वहीं कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए 200 रुपये और छात्राओं के लिए 300 रुपये हर महीने दिया जाता है.
वहीं सरकार अनुसूचित जाति के छात्र और छात्राओं को साल में एक बार स्टेशनरी खरीदने के लिए राशि भी देती है. इसमें सरकार पहली कक्षा के छात्र को 740 रुपये, दूसरी कक्षा के छात्र को 750 रुपये, तीसरी के छात्र को 960 रुपये, चौथी कक्षा के छात्र को 970 रुपये, पांचवी के छात्र को 980 रुपये और कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को साल में 1250 रुपये दिए जाते हैं.
एमआईएस पोर्टल पर प्रदेश के हर छात्र का पूरा रिकॉर्ड जन्मतिथि, कैटेगरी, अभिभावकों का व्यवसाय, पता, शैक्षणिक योग्यता, आय, बैंक खाता आदि के साथ साथ छात्र कहां-कहां पढ़ा है, सहति तमाम जानकारियों के साथ पूरी जानकारी एक क्लिक पर देख सकते हैं. इस पोर्टल पर सही डेटा अपडेट करने की पूरी जिम्मेदारी विभाग के IT सेल की है. वहीं जानकारी के अनुसार इस बार परिवार पहचान पत्र (PPP) से दाखिल हुए बच्चों के आधार नंबर स्कूल पोर्टल पर अब तक भी अपलोड अपडेट नहीं किए गए हैं. इसलिए ये परिशानी आई है.
वहीं इस मामले में राजकीय शिक्षक संघ हरियाणा के जिला महासचिव सुनील बास ने बताया कि समस्या का पता होने के बाद भी अधिकारियों ने मंत्री और सरकार के सामने गलत आंकड़े पेश किए. इसका खामियाजा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को भुगतना पड़ रहा है.