Eye Care Tips in Summer : भीषण गर्मी अगर झुलसा रही है आखों को तो इन आसान उपायों से रखें रोशनी बरकरार
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Eye Care Tips in Summer : भीषण गर्मी अगर झुलसा रही है आखों को तो इन आसान उपायों से रखें रोशनी बरकरार

Eye care Tips: बढ़ती गर्मी के चलते लोगों को आंखों की परेशानी होने लगती है. इसको लेकर एम्स के डॉ. राजेश सिन्हा ने बताया कि मोतियाबिंद सर्जरी रिस्टोरेटिव से रिफ्रैक्टिव सर्जरी में बदल चुकी है.

Eye Care Tips in Summer : भीषण गर्मी अगर झुलसा रही है आखों को तो इन आसान उपायों से रखें रोशनी बरकरार

Eye Health Tips: बढ़ती गर्मी और प्रदूषण के चलते लोगों की आंखों में कई तहर की परेशानी हो रही है. इसको लेकर आज एम्स (AIIMS) के आई स्पेशलिस्ट डॉ. राजेश सिन्हा ने मीडिया से बताया कि इस मौसम में लू और धूल के कारण आंखों संबंधी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. आंखों में जलन, दर्द होना, खुजली, लालिमा और आंखों में दर्द मुख्य समस्या है. वायरस और बैक्टिरिया के कारण आंखें लाल हो जाती हैं. गंदी उंगलियां आंखों से लगाने, धूल-धुएं का प्रतिकूल असर, पसीना से यह बीमारी ज्यादा होती हैं. वायरस मक्खियों व हवा के माध्यम से आंखों तक पहुंचता है. संक्रमण इतना तीव्र होता है कि आंखों में देखने से दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाता है. आंखों संबंधी बीमारियां ऐसी हैं कि कार्निया क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है.

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डॉ. राजेश सिन्हा ने यह भी बताया कि आंखों में सफेद पन और लेंस आंख का एक स्पष्ट भाग है, जो लाइट या इमेज को रेटिना पर फोकस करने में सहायता करता है. रेटिना आंख के पिछले भाग पर प्रकाश के प्रति संवेदनशील उतक है. सामान्य आंखों में, प्रकाश पारदर्शी लेंस से रेटिना को जाता है. एक बार जब यह रेटिना पर पहुंच जाता है, प्रकाश नर्व सिग्नल्स में बदल जाता है, जो मस्तिष्क की ओर भेजे जाते हैं. आप इस तरह समझने की कोशिश करिए रेटिना शार्प इमेज प्राप्त करे. इसके लिए जरूरी है कि लेंस क्लियर हो, जब लेंस क्लाउडी हो जाता है तो लाइट लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती, जिससे जो इमेज आप देखते हैं वो धुंधली हो जाती है. इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहते हैं. वहीं नजर धुंधली होने के कारण मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों को पढ़ने, नजर का काम करने, कार चलाने विशेषकर रात के समय में समस्या आती है.

सर्जरी के पश्चात मरीज के लिए स्पष्ट देखना संभव होता है. हालांकि पढ़ने या नजर का काम करने के लिए निर्धारित नंबर का चश्मा पहनने की जरूरत पड़ सकती है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान मोतियाबिंद सर्जरी रिस्टोरेटिव से रिफ्रैक्टिव सर्जरी में बदल चुकी है, यानी कि अब यह न सिर्फ मोतियाबिंद का इलाज करती है. बल्कि धीरे-धीरे चश्मे पर निर्भरता को भी समाप्त करती जा रही है. हम देश के लोगों का कहना चाहते हैं कि आप मेडिकल साइंस पर भरोसा रखें आधुनिक तकनीकों द्वारा मोतियाबिंद की सर्जरी में लगाए जाने वाले चीरे का आकार घटता गया है, जिससे मरीज को सर्जरी के बाद बेहतर दृष्टि परिणाम एवं जल्द स्वास्थ्य लाभ मिलता है.

Input: Mukesh Singh